Bihar Politics 'धधकाने' को मिला 'टॉपिक',नेताओं ने कसी कमर और गरमाया चुनावी समर

2 days ago

Last Updated:September 27, 2025, 11:56 IST

I Love Mohammad Row: देशभर में 'आई लव मोहम्मद' विवाद लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. यूपी के बरेली में हुई हिंसक झड़प और तौकीर जिया की गिरफ्तारी के बाद अब इस आग की आंच बिहार तक पहुंच चुकी है. पूर्णिया के मरंगा में बैनर को लेकर तनाव और नेताओं के बयानों ने इसे और भड़का दिया है. बिहार में चुनावी साल है तो यह मुद्दा अब चुनावी मुद्दा भी बनने की राह पर बढ़ने लगा है, क्योंकि अब इसमें असदुद्दीन ओवैसी और गिरिराज सिंह जैसे नेताओं की एंट्री हो चुकी है. सवाल यह है कि क्या इस विवाद की लपटें बिहार चुनाव को प्रभावित करेंगी?

Bihar Politics 'धधकाने' को मिला 'टॉपिक',नेताओं ने कसी कमर और गरमाया चुनावी समरअसदुद्दीन ओवैसी की राजनीति का जवाब देने को गिरिराज सिंह ने मोर्चा संभाला.

पटना.‘आई लव मोहम्मद’… क्या यह मुद्दा बिहार में राजनीतिक दलों के लिए वोटों की नई जंग का हथियार बनेगा? सवाल इसलिए क्योंकि ‘आई लव मोहम्मद’ विवाद का मामला अब बिहार में भी आ गया है. पूर्णिया जिले के मरंगा थाना क्षेत्र में ‘आई लव मोहम्मद’ नाम का बैनर लगाने और उसे नोचने को लेकर दो समुदायों के बीच तनाव की स्थिति बन गई थी. मामला जोगी चक सोसा और मुगल टोली गांव की सीमा का है. पूर्णिया सदर एसडीपीओ ज्योति शंकर ने बताया कि पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि इस पूरे विवाद के पीछे कौन लोग थे. हालांकि, वहां फिलहाल शांति का माहौल है, लेकिन बिहार में इस मुद्दे को लेकर सियासत गर्म हो उठी है. दरअसल, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी ‘सीमांचल न्याय यात्रा’ के दौरान ‘आई लव मोहम्मद’ विवाद पर प्रतिक्रिया दी है जिससे इस मामले ने सियासत का रंग ओढ़ लिया है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि ”आस्था का सम्मान करना कोई अपराध या राष्ट्र-विरोधी काम नहीं है”. साफ है कि उन्होंने भी इस मुद्दे को बिहार में उठा लिया है और मुस्लिम समुदाय के सामने इसका जिक्र खुलकर कर रहे हैं. वहीं, ‘आई लव मोहम्मद’ बनाम ‘आई लव महाकाल’ विवाद को लेकर केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय सांसद गिरिराज सिंह ने विपक्षी नेताओं पर तीखा हमला बोला है. गिरिराज सिंह ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी, असदुद्दीन ओवैसी और मुफ्ती जैसे नेता देश में लोगों को भड़काकर गृह युद्ध जैसी स्थिति पैदा करना चाहते हैं. यानी जिस तरह से अब दोनों पक्ष खुलकर सामने आ रहे हैं, इससे बिहार चुनाव से पहले यह मुद्दा गरमाता जा रहा है. ऐसे में सवाल यह कि इसका बिहार चुनाव पर कैसा असर पड़ सकता है?

दरअसल, आई लव मोहम्मद’ विवाद पूर्णिया से शुरू होकर अब बिहार की चुनावी राजनीति में नया मोड़ बनता जा रहा है. असदुद्दीन ओवैसी इसे मुस्लिम आस्था से जोड़ रहे हैं तो गिरिराज सिंह इसे गृह युद्ध की साजिश बता रहे हैं. नतीजा यह कि सीमांचल से बेगूसराय तक इस विवाद ने ध्रुवीकरण की राजनीति को हवा दे दी है. चुनावी हवा में ये विवाद जैसे मसाला डाल रहा है, जहां वोटरों का ध्रुवीकरण तय हो रहा है. क्या ये बिहार की राजनीति को नया रंग देगा या सिर्फ आग लगाएगा?

बिहार में विवाद की शुरुआत कैसे हुई?

बता दें कि पूर्णिया जिले के मरंगा थाना क्षेत्र में ‘आई लव मोहम्मद’ लिखे बैनर ने विवाद की चिंगारी भड़काई. एक पक्ष ने इसे आस्था से जोड़ा तो दूसरे ने इसे उकसाने वाला कदम करार दिया है. इसी क्रम में बैनर फाड़ने की घटना के बाद दोनों समुदाय आमने-सामने आ गए हैं. हालांकि, पुलिस और प्रशासन ने समय रहते हालात काबू में कर लिए, लेकिन इस विवाद ने सीमांचल की संवेदनशील फिज़ा में हलचल जरूर मचा दी है. दरअसल, अब इसमें असदुद्दीन ओवैसी और गिरिराज सिंह जैसे नेताओं के बयान आने शुरू हो गए हैं.

ओवैसी की एंट्री का सियासी संदेश क्या है?

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी अपनी ‘सीमांचल न्याय यात्रा’ के दौरान शुक्रवार को इस मुद्दे पर खुलकर बोले. उन्होंने कहा कि आस्था का सम्मान अपराध नहीं है. ओवैसी ने पीएम मोदी का नाम लेकर तुलना की और कहा, ”पीएम मोदी के लिए हैप्पी बर्थडे बैनर ठीक है तो पैगंबर के लिए ‘आई लव मोहम्मद’ क्यों नहीं?” सीमांचल के कटिहार, पूर्णिया, अररिया और किशनगंज के मुस्लिम बहुल इलाकों में उनका यह बयान एक राजनीतिक संदेश माना जा रहा है.

ओवैसी की सियासत, आस्था का झंडा बुलंद

बता दें कि सीमांचल क्षेत्र में मुस्लिम आबादी 40-70% है और इन क्षेत्रों में एआईएमआईएम पहले से मजबूत है. ऐसे में असदुद्दीन ओवैसी का समर्थन मुस्लिम वोटों को आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन से छीन सकता है. 2020 में वह अपने प्रदर्शन से इसे साबित भी कर चुके हैं. बता दें कि इसी क्षेत्र में वर्ष 2020 विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने पांच सीटें जीतकर सभी को चौंका दिया था. इस बार फिर असदुद्दीन ओवैसी अपने चुनावी अभियान पर हैं और माना जा रहा है कि वह इस विवाद का इस्तेमाल अपने समर्थन आधार को मजबूत करने के लिए कर सकते हैं.

गिरिराज का पलटवार, ध्रुवीकरण की राजनीति

दूसरी ओर, बीजेपी के लिए ये ‘हिंदू एकता’ का मुद्दा है जो गिरिराज सिंह जैसे नेताओं के जरिए हिंदू वोटों को एकजुट करने की रणनीति पर काम कर रही है. केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय सांसद गिरिराज सिंह ने इस विवाद को विपक्षी नेताओं की चाल बताते हुए आरोप लगाया कि राहुल गांधी, असदुद्दीन ओवैसी और तेजस्वी यादव जैसे नेता लोगों को भड़का रहे हैं और गृह युद्ध जैसी स्थिति पैदा करना चाहते हैं.राजनीति के जानकारों की नजर में जिस तरह ओवैसी मुस्लिम गोलबंदी की कवायद कर रहे हैं तो वहीं, गिरिराज सिंह का बयान साफ तौर पर हिंदू वोटरों को साधने और राजनीतिक ध्रुवीकरण को तेज करने की रणनीति है. क्योंकि, बिहार की राजनीति में सांप्रदायिक मुद्दों को हवा देने का उनका पुराना अंदाज यहां भी नजर आ रहा है.

चुनावी जमीन पर ‘आई लव मोहम्मद’ का असर

बता दें कि बिहार में इस समय विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. जानकारी के अनुसार, आगामी 6 अक्तूबर के बाद निर्वाचन आयोग चुनाव की तारीखों का ऐलान कभी भी कर सकता है. राजनीति के जानकार कहते हैं कि इससे पहले बिहार में ‘आई लव मोहम्मद बनाम आई लव महाकाल’ का विवाद चुनावी एजेंडा बदल सकता है. जदयू-भाजपा गठबंधन इस मुद्दे पर सख्त रुख दिखाकर बहुसंख्यक मतदाताओं को एकजुट करने की कोशिश कर सकती है. दूसरी ओर ओवैसी जैसे नेता मुस्लिम वोटों को गोलबंद करने में सफल हो सकते हैं.

सीमांचल की राजनीति में ओवैसी की नई चाल

हालांकि, बिहार में पुलिस सतर्क है, लेकिन सोशल मीडिया पर ‘आई लव राम’ या ‘आई लव रसगुल्ला’ जैसे मीम्स के जरिए यह और भड़कता जा रहा है. ऐसे में जानकारों की नजर में यह विवाद और बढ़ सकता है और इसका बड़ा असर कांग्रेस और राजद जैसी पार्टियों पर पड़ेगा जिन्हें संतुलन साधना मुश्किल होगा. दरअसल, सीमांचल क्षेत्र में मुस्लिम आबादी 40 से 50 प्रतिशत तक है. ऐसे में यहां की राजनीति पर यह विवाद सीधा असर डाल सकता है. अगर असदुद्दीन ओवैसी इस मुद्दे पर मुस्लिम वोटों को मजबूती से अपने पक्ष में कर पाते हैं तो राजद और कांग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. वहीं, भाजपा इसे हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण के लिए अवसर के रूप में देख रही है.

बिहार में बढ़ती ध्रुवीकरण की राजनीति का प्रभाव

‘आई लव मोहम्मद’ विवाद ने यह साफ कर दिया है कि बिहार चुनाव में सांप्रदायिक मुद्दे अहम भूमिका निभा सकते हैं. असदुद्दीन ओवैसी का सक्रिय होना और गिरिराज सिंह का पलटवार इस बात का संकेत है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा और तूल पकड़ सकता है. हालांकि प्रशासन शांति बनाए रखने की कोशिश कर रहा है, लेकिन चुनावी जमीन पर यह विवाद एक बड़े एजेंडे की तरह काम करता दिख रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि, बिहार चुनाव के मद्देनजर यह मामला न सिर्फ समुदायों के बीच तनाव का मुद्दा है बल्कि राजनीतिक दलों की रणनीति में भी अहम मोहरा बन गया है. जाहिर है ‘आई लव मोहम्मद’ बनाम ‘आई लव महादेव’ विवाद बिहार की राजनीति को नया मोड़ दे रहा है जहां आस्था को साधते हुए और सियासत में वोटबैंक को गोलबंद करने का खेल शुरू हो गया है.

Vijay jha

पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...और पढ़ें

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Patna,Patna,Bihar

First Published :

September 27, 2025, 11:32 IST

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