CBI बनकर कॉल करते, फिर उड़ाते करोड़ों! दुबई से चल रहे गिरोह पर ED का शिकंजा

4 weeks ago

Last Updated:June 03, 2025, 12:26 IST

Digital arrest scam: दुबई से ऑपरेट हो रही ₹1500 करोड़ की डिजिटल गिरफ्तारी ठगी का खुलासा हुआ है. ED ने PMLA के तहत मामला दर्ज कर दो मास्टरमाइंड को पकड़ा है.

CBI बनकर कॉल करते, फिर उड़ाते करोड़ों! दुबई से चल रहे गिरोह पर ED का शिकंजा

दुबई से चल रही थी डिजिटल ठगी (प्रतीकात्मक तस्वीर)

कोलकाता में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक बड़ी डिजिटल धोखाधड़ी का खुलासा किया है, जिसमें करीब ₹1500 करोड़ की ठगी की गई थी. इस मामले में ED ने पहली बार कोलकाता में मनी लॉन्ड्रिंग कानून (PMLA 2002) के तहत चार्जशीट दाखिल की है. यह गिरोह देशभर में 930 लोगों को निशाना बना चुका है, जिनमें कई पीड़ित कोलकाता से भी हैं.

दिल्ली-बेंगलुरु से गिरफ्तार हुए 2 मास्टरमाइंड
इस मामले की शुरुआत 2023 में कोलकाता पुलिस की एफआईआर से हुई थी. इसके आधार पर ED ने जांच शुरू की और दिल्ली निवासी योगेश दुआ और बेंगलुरु निवासी चिराग कपूर उर्फ चिंतक राज को गिरफ्तार किया. दोनों को अप्रैल 2025 में रिमांड पर लिया गया था, जिसके 58वें दिन यानी सोमवार को चार्जशीट दाखिल की गई. इनके अलावा 10 और लोगों को नामजद किया गया है, जिनमें योगेश दुआ का भाई आदित्य दुआ और एक कंपनी भी शामिल है. अब तक ED ने ₹10 करोड़ की संपत्तियां जब्त की हैं.

300 फर्जी बैंक खातों के जरिए घुमाया गया पैसा
ED के अनुसार, यह पूरा रैकेट दुबई से चलाया जा रहा था और इसके जरिए 300 से ज्यादा मनी ‘म्यूल अकाउंट’ यानी ऐसे बैंक खातों का इस्तेमाल किया गया जो दूसरों के नाम पर थे. इन खातों के मालिकों को मोटा कमीशन दिया जाता था, ताकि उनका अकाउंट धोखाधड़ी में इस्तेमाल हो सके. पैसे को एक अकाउंट से दूसरे अकाउंट में घुमाकर उसका हिसाब छिपाया जाता था ताकि किसी को भनक न लगे.

दुबई से चल रही थी पूरी साजिश
जांच में सामने आया है कि गिरोह के सदस्य दुबई में बैठे-बैठे भारत के लोगों को फंसाते थे. इसके लिए कोलकाता से इंटरनेशनल रोमिंग वाले सिम कार्ड्स एक्टिव किए गए और उन्हें दुबई भेजा गया. ED ने करीब 350 ऐसे सिम कार्ड्स का पता लगाया है जिनका इस्तेमाल इस ठगी के लिए हुआ था.

नकली अफसर बनकर डराते थे लोग, फिर वसूली करते थे
गिरोह के सदस्य खुद को पुलिस, CBI या किसी जांच एजेंसी का अफसर बताकर लोगों को फोन करते थे. वे पीड़ितों को कहते थे कि उनके नाम से मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज है और उनकी संपत्ति जब्त हो सकती है. इसके बाद वे उन्हें “डिजिटल गिरफ्तारी” में डालने की धमकी देते थे. पीड़ितों को वीडियो कॉल या व्हाट्सऐप पर डराकर पैसे ऐंठे जाते थे.

नकली दस्तावेज और सरकारी मुहरों का भी इस्तेमाल
धोखेबाजों ने ठगी को असली दिखाने के लिए नकली कागजात बनाए थे. इनमें कोर्ट, RBI, कस्टम्स और CBI जैसी संस्थाओं के फर्जी लेटरहेड्स और लोगो का इस्तेमाल किया गया था. इन कागज़ों को पीड़ितों को दिखाकर उन्हें यकीन दिलाया जाता था कि वे किसी गंभीर अपराध में फंसे हुए हैं.

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