Explainer: बांदा की शहजादी को दुबई में फांसी पर क्या था वहां की सरकार का रोल

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Last Updated:March 04, 2025, 15:45 IST

बांदा से दुबई नौकरी करने गई शहजादी को चार माह के बच्चे की मौत के बाद कथित तौर पर उसकी हत्या का दोषी माना गया. माफी की अपील ठुकरा दी गई. क्या बच्चे के पेरेंट्स ने भी केस वापस लिया था, जिसे सरकार ने नहीं माना, जा...और पढ़ें

 बांदा की शहजादी को दुबई में फांसी पर क्या था वहां की सरकार का रोल

हाइलाइट्स

शहजादी खान को दुबई में हत्या के आरोप में फांसी दी गईबच्चे की मौत के बाद शहजादी पर हत्या का आरोप लगाया गयाशहजादी की मौत की सजा संयुक्त अरब अमीरात ने खारिज कर दी

बांदा की शहजादी खान दुबई में एक घर में चार महीने के बच्चे को संभालने का काम कर रही थी. उस पर बच्चे के माता-पिता ने कथित हत्या का आरोप लगाया, जिसे लेकर उसे संयुक्त अरब अमीरात की अदालत ने मौत की सजा सुनाई और उसको 15 फरवरी को फांसी दे दी गई. हालांकि ये पूरा मामला बहुत उलझा हुआ है. शहजादी पर आरोप है कि उसने बच्चे को बेरहमी से पीटा जिससे मौत हुई तो दूसरा पक्ष ये है टीकाकरण के बाद उसकी हालत बिगड़ी और मौत हो गई. बच्चे की मृत्यु के बाद पोस्टमार्टम नहीं किया गया, जिससे यह साबित नहीं हुआ कि मौत का कारण हिंसा था या कोई मेडिकल वजह.

ये बात साफ नहीं है लेकिन 33 वर्षीय शहजादी के पिता का दावा है कि दुबई में बच्चे के माता-पिता ने कहा था कि “कोई कार्रवाई नहीं चाहिए,” यानि परिवार ने “मामले को वापस लेना” बेहतर समझा. लेकिन मामला अदालत में पहुंच चुका था. संयुक्त अरब अमीरात के कानूनों के मुताबिक अगर इस तरह के मामले पुलिस और अदालत के पास पहुंच जाते हैं तो सरकार इसमें खुद पार्टी बन जाती है.

यूएई की अदालत ने उसे फांसी की सजा सुनाई, जिसे वहां की सर्वोच्च अदालत, कोर्ट ऑफ कैसेशन, ने बरकरार रखा. 15 फरवरी 2025 को सजा पर अमल कर दिया गया, जैसा कि भारत के विदेश मंत्रालय ने दिल्ली हाई कोर्ट को सूचित किया.

सवाल – यूएई में मृत्यु दंड को सरकार कैसे संभालती है?
– यूएई में मृत्यु दंड शरिया कानून और आधुनिक आपराधिक कानून के संयोजन से संचालित होता है. वहां की सरकार और न्याय व्यवस्था इस तरह के मामलों को गंभीरता से लेती है और इसकी पूरी प्रक्रिया का पालन करती है.

सवाल – संयुक्त अरब अमीरात में किस तरह के मामलों में मृत्यु दंड दिया जाता है?
– मृत्यु दंड गंभीर अपराधों जैसे हत्या, आतंकवाद, बलात्कार, ड्रग तस्करी, देशद्रोह, और इस्लाम की निंदा के लिए दिया जाता है. शहजादी पर हत्या का आरोप था. मामला पहले निचली अदालत में जाता है, जहां सबूतों की जांच होती है. दोषी पाए जाने पर सजा सुनाई जाती है. इसके बाद अपील का अधिकार होता है, जो अपीलीय अदालत और फिर कोर्ट ऑफ कैसेशन तक जा सकता है. शहजादी की सजा को सर्वोच्च कोर्ट ने भी सही ठहराया था.

प्रक्रिया में पारदर्शिता और सबूतों की सख्त समीक्षा पर जोर दिया जाता है, लेकिन आलोचकों का कहना है कि कई बार जांच पर्याप्त नहीं होती, जैसा कि शहजादी के परिवार ने दावा किया कि बच्चे का पोस्टमार्टम तक नहीं हुआ.

सवाल – क्या शहजादी के मामले में दया याचिका दायर की गई थी?
– ऐसे मामलों में यूएई के राष्ट्रपति या अमीरात के शासक के पास दया याचिका दायर कर सकते हैं. शहजादी के मामले में, भारतीय दूतावास ने दया याचिका दायर की थी, लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया गया.
विदेशी नागरिकों के मामले में, यूएई संबंधित देश के दूतावास को सूचित करता है. दूतावास ने कानूनी सहायता प्रदान की. हालांकि यूएई अपने कानून को प्राथमिकता देता है. विदेशी हस्तक्षेप सीमित रहता है.
यूएई सरकार ने 28 फरवरी 2025 को भारतीय दूतावास को आधिकारिक रूप से सजा के अमल की सूचना दी, जिसे बाद में दिल्ली हाई कोर्ट में पेश किया गया.

सवाल – शहजादी को क्या पीड़ित परिवार ने माफी दे दी थी?
– लगता है कि ऐसा लिखित तौर पर नहीं हुआ, अन्यथा शरिया कानून के तहत, पीड़ित परिवार को “दिया” (खून की कीमत) स्वीकार कर दोषी को माफ करने का अधिकार होता है. शहजादी के मामले में ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ. इसलिए उसे फांसी दे दी गई.

सवाल – दुबई में फांसी से पहले दोषी की अंतिम इच्छा पूरी की जाती है?
– अंतिम इच्छा जैसी कोई बात वहां नहीं होती, हां सजा से पहले दोषी को परिवार से आखिरी बार बात करने की अनुमति होती है, लिहाजा ये सुविधा शहजादी को भी दी गई. उसने 14 फरवरी को अपने पिता को फोन किया था, जिसमें उसने अपनी फांसी की बात बताई.

सवाल – शहजादी का शव दुबई सरकार ने भारत लाने की अनुमति क्यों नहीं दी?
– शहजादी खान का शव भारत क्यों नहीं लाया जा रहा, इसके पीछे कई कारण हैं, जो यूएई के कानून, प्रक्रियाओं और इस मामले की परिस्थितियों से जुड़े हैं.
यूएई में मृत्युदंड पाने वाले कैदियों के शव को उनके मूल देश भेजना अनिवार्य नहीं है. वहां के नियमों के अनुसार, सजा पूरी होने के बाद शव को स्थानीय रूप से दफनाया जा सकता है, खासकर अगर कोई औपचारिक दावा या व्यवस्था समय पर न हो. शहजादी के मामले में, यूएई अधिकारियों ने तय किया कि उसका अंतिम संस्कार दुबई में ही 5 मार्च 2025 को होगा.
चूंकि शव को भारत भेजने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए बहुत कम समय था, लिहाजा ऐसा कोई समझौता भारतीय दूतावास से नहीं हुआ. शहजादी के पिता, शब्बीर खान ने भारत सरकार से शव लाने की गुहार लगाई थी लेकिन उनके पास न तो यूएई में कानूनी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के संसाधन थे, न ही शव को भारत लाने की महंगी प्रक्रिया (जैसे अंतरराष्ट्रीय परिवहन, दस्तावेज, और अनुमति) को पूरा करने की क्षमता थी. यूएई में शव को लंबे समय तक रखने की प्रथा नहीं है.

Location :

Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh

First Published :

March 04, 2025, 15:45 IST

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