Canada Strategy on US H-1B Visa Policy: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक नया प्रावधान लागू किया है, जिसके तहत एच-1बी वीज़ा की फीस को बढ़ाकर 1 लाख डॉलर कर दिया गया है. इस फैसले ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मचा दी है. कई देशों के नेताओं और विशेषज्ञों का मानना है कि अब बड़ी संख्या में कुशल पेशेवर अमेरिका की बजाय अन्य देशों का रुख कर सकते हैं. ट्रंप के इस बेतुके फैसले के बाद पड़ोसी कनाडा सबसे ज्यादा खुश दिखाई देता है. उसे उम्मीद है कि अच्छे करियर की चाहत में देश छोड़कर यूएस में बस जाने वाले कनाडियन टैलेंट अब अपने देश की सेवा करेंगे. साथ ही दूसरे देशों का टैलेंट भी अब कनाडा के दरवाजे पर आएगा.
अब टैलेंट हमारे पास आएगा- मार्क कार्नी
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने न्यूयॉर्क सिटी में 'काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस' के एक कार्यक्रम में अपने दिल की बात सामने रख दी. उन्होंने कहा कि कनाडा के पास पहले से ही मज़बूत शोध और एआई से जुड़ी प्रतिभाएं मौजूद हैं, लेकिन अफसोस की बात है कि ज़्यादातर लोग अमेरिका चले जाते हैं. उन्होंने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा, 'आप अपनी वीज़ा नीति बदल रहे हैं, शायद अब हम उनमें से एक-दो को अपने पास रोक सकें.'
उनका इशारा उन कनाडियन टेक सेवी यूथ की ओर था, जो अमेरिका की चकाचौंध भरी जिंदगी की चाहत में पढ़ाई के बाद वहां सेटल हो जाते हैं. इसके लिए एच1बी वीजा उनके लिए बड़ा सहारा था. लेकिन अब यह वीजा बेहद महंगा कर दिए जाने के बाद कार्नी को उम्मीद है कि ऐसे यूथ अमेरिका के बजाय अपने मुल्क में ही रहकर करियर बनाना पसंद करेंगे.
ट्रंप के फैसले से किन्हें सबसे ज्यादा नुकसान?
कार्नी की यह उम्मीद यूं ही नहीं है. खुद अमेरिका का की आईटी कंपनी भी यह मानकर चल रही हैं कि ट्रंप के इस फैसले से अमेरिका का बड़ा नुकसान होने जा रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि एच-1बी वीज़ा फीस में इतनी भारी बढ़ोतरी से उच्च शिक्षित विदेशियों के लिए अमेरिका में अवसर सीमित हो जाएंगे. खासकर वे छात्र, जिन्होंने हाल ही में अमेरिकी विश्वविद्यालयों से पढ़ाई पूरी की है. वे इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे.
सैन फ्रांसिस्को की मशहूर स्टार्टअप इनक्यूबेटर कंपनी वाई कॉम्बिनेटर (Y Combinator) के सीईओ गैरी टैन ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करके कहा कि वैंकूवर और टोरंटो जैसे कनाडाई शहरों को अब इसका सीधा फायदा हो सकता है.
उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि ट्रंप की यह नई नीति विदेशी टेक हब्स के लिए एक बड़ा तोहफ़ा है, क्योंकि अब छोटी अमेरिकी कंपनियों के लिए अंतरराष्ट्रीय टैलेंट को नियुक्त करना कठिन हो जाएगा. हालांकि बाद में उन्होंने यह पोस्ट हटा ली.
मौके का फायदा उठाने की कोशिश में यूएस
अमेरिकन आईटी सेक्टर में इस घबराहट के बीच व्हाइट हाउस ने तसल्ली देने की कोशिश करते हुए कहा है कि जो लोग पहले से एच-1बी वीज़ा पर काम कर रहे हैं, उन पर इस नई नीति का असर नहीं पड़ेगा. फिर भी भविष्य की अनिश्चितता ने कई लोगों को दूसरे विकल्प तलाशने पर मजबूर कर दिया है.
हालांकि ट्रंप के भारी भरकम टैरिफ की मार झेल रहे कनाडा को इन परिस्थितियों में अपनी अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए बड़ा मौका दिख रहा है. यूएस में एंट्री बंद होने के बाद कनाडा खुद को एक नए विकल्प के रूप में पेश कर रहा है. वहां की सरकार और उद्योग जगत इस कोशिश में हैं कि अमेरिका से निराश होकर लौट रहे कुशल पेशेवरों को आकर्षित किया जाए.
कुल मिलाकर, ट्रंप की नई वीज़ा नीति ने वैश्विक प्रतिभा के प्रवाह पर नई बहस छेड़ दी है. आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अमेरिका की बजाय कनाडा जैसे देश दुनिया भर के टेक विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं के लिए नया पसंदीदा ठिकाना बन पाते हैं.

3 weeks ago
