PAK US News: बलूचिस्तान का 'खजाना' US को सौंपेगा PAK; शहबाज-मुनीर ने ट्रंप को डिब्बे में ऐसा क्या दिखाया?

2 hours ago

Pakistan Rare Earth Minerals Policy: अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्ते लंबे समय से उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं. आतंकवाद से लड़ाई हो या अफगानिस्तान का मुद्दा, दोनों देशों ने एक-दूसरे की ज़रूरत महसूस तो की, लेकिन भरोसा कभी पूरी तरह नहीं बना. ऐसे में व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप के साथ पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ और आर्मी चीफ़ आसिम मुनीर की मुलाक़ात को महज़ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि  नए अवसर की खोज के रूप में देखा जा रहा है.

व्हाइट हाउस से जारी तस्वीर में आसिम मुनीर एक लकड़ी के डिब्बे में रखे रेयर अर्थ मिनरल्स ट्रंप को दिखा रहे थे. जियो-पॉलिटिकल एक्सपर्टों के मुताबिक, यह नजारा केवल तोहफे का आदान-प्रदान नहीं, बल्कि उस संदेश का प्रतीक है कि पाकिस्तान अब अपने खनिज संसाधनों को अंतरराष्ट्रीय राजनीति में सौदेबाज़ी की ताकत बनाना चाहता है.

पाकिस्तान की आर्थिक मजबूरी

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असल में पाकिस्तान पिछले कई सालों से गहरे आर्थिक संकट में है. उस पर विदेश कर्ज़ लगातार बढ़ते जा रहे हैं और विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घटा है और निवेशक भरोसा खो चुके हैं. ऐसे माहौल में पाकिस्तान के नेताओं को एहसास है कि अगर खनिज संपदा को सही तरीके से बाजार तक पहुंचाया जाए, तो यह विदेशी निवेश आकर्षित कर सकता है और अर्थव्यवस्था को नया सहारा मिल सकता है.

अमेरिका का गणित समझें

वहीं दूसरी ओर अमेरिका अपने आर्थिक हितों को ध्यान में रखकर आगे बढ़ रहा है. रेयर अर्थ मिनरल्स आधुनिक तकनीक, इलेक्ट्रिक वाहनों, बैटरी और रक्षा उपकरणों के लिए बेहद ज़रूरी हैं. आज की तारीख में चीन इस क्षेत्र में सबसे बड़ा खिलाड़ी है. अमेरिका चाहता है कि वह चीन पर निर्भरता कम करे और रेयर अर्थ मिनरल्स के नए स्रोत ढूंढे. ऐसे में पाकिस्तान का खनिज खजाना अमेरिका के लिए रणनीतिक विकल्प बन सकता है.

मुलाक़ात से निकलता संदेश

इस मुलाकात में शहबाज शरीफ ट्रंप की तारीफ के पुल बांधते नजर आए. शरीफ़ ने ट्रंप को 'शांति का पक्षधर' कहा और अमेरिकी कंपनियों को पाकिस्तान में निवेश के लिए आमंत्रित किया. उनका यह बयान पाकिस्तान की कूटनीतिक रणनीति को साफ़ करता है- 'हम आपको खनिज देंगे, आप हमें निवेश और सहयोग दीजिए.' यानी पाकिस्तान अब अपनी ज़मीन के खजाने को अंतरराष्ट्रीय सहयोग का आधार बना रहा है.

समझौते और नई साझेदारी

बताते चलें कि पाकिस्तान की फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गनाइजेशन ने हाल ही में अमेरिकी कंपनी यूएस स्ट्रैटेजिक मेटल्स के साथ समझौता किया है. इसके तहत पाकिस्तान में रिफाइनरी और माइनिंग प्रोजेक्ट शुरू होंगे. इसी तरह पुर्तगाल की एक बड़ी कंपनी के साथ भी करार हुआ है. इन समझौतों का संकेत साफ़ है-पाकिस्तान अपने खनिजों को केवल कच्चे माल के रूप में बेचने के बजाय वैल्यू एडेड इंडस्ट्री विकसित करना चाहता है.

पाकिस्तान के लिए चुनौती

पाकिस्तान सोच तो बहुत कुछ रहा है हालांकि यह सब इतना आसान भी नहीं है. इसकी वजह ये है कि पाकिस्तान का सबसे बड़ा खनिज भंडार बलूचिस्तान में है, जहां दशकों से अलगाववादी आंदोलन और उग्रवाद हावी है. स्थानीय लोग बाहरी कंपनियों द्वारा संसाधनों की खुदाई का विरोध करते हैं. ऐसे में यह सवाल बड़ा है कि क्या पाकिस्तान राजनीतिक अस्थिरता और सुरक्षा समस्याओं के बीच विदेशी निवेशकों का भरोसा जगा पाएगा?

क्या होगा मुलाकात का असर?

विदेश नीति के जानकारों का कहना है कि अगर पाकिस्तान इन समझौतों को सफलतापूर्वक लागू कर पाता है, तो इससे उसकी अर्थव्यवस्था को बड़ी राहत मिल सकती है. इससे विदेशी कर्ज़ पर उसकी निर्भरता कम होगी और ऊर्जा, आईटी व खनन क्षेत्र में नई नौकरियां भी पैदा होंगी. वहीं अमेरिका को चीन का विकल्प मिलेगा और उसके लिए यह रणनीतिक जीत साबित होगी.

कुल मिलाकर, व्हाइट हाउस की मुलाक़ात केवल फोटो-ऑप नहीं थी. यह उस नई कूटनीति की झलक थी, जिसमें खनिज सिर्फ़ प्राकृतिक संसाधन नहीं बल्कि भू-राजनीतिक हथियार बन चुके हैं. पाकिस्तान ने संकेत दे दिया है कि उसके पास भी सौदेबाज़ी का कार्ड है. अब देखना होगा कि इस कार्ड से उसे आर्थिक मजबूती मिलती है या बलूचिस्तान की अस्थिरता सब गड़बड़ा देती है.

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