PM @75 गरीबी से निकले, मां से प्रेरणा ली, नए विकसित भारत की इबारत लिख रहे

1 hour ago

एक गरीब घर में जन्मे, अल्पायु में ही घर छोड़ा. बैरागी की तरह घूमे. देश को करीब से देखा. बतौर प्रचारक आरएसएस में काम करते रहे. फिर बीजेपी से होती हुई यात्रा 2001 में चुनावी मैदान तक पहुंची.अब ये यात्रा ऐसे मुकाम तक आ पहुंची है जो इतिहास के पन्नों में दर्ज होती जा रही हैं. पीएम मोदी का ये अनवरत सफर एक ऐसा स्वर्णिम अध्याय है जो देश की दशा और दिशा दोनों बदल चुका है. कोरोना काल से ही देश की गरीब 80 करोड़ से ज्यादा जनता को मुफ्त का राशन मोदी सरकार दे रही है. समाज के हर तबके के लिए जीविका का इंतजाम मोदी सरकार कर रही है. भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति ने मिसाल कायम की है. दुनिया भर में बसे भारतवासियों को यकीन है कि संकट में पड़े तो मोदी उन्हें बाहर निकाल लेगा. दुनिया भर की महाशक्तियों को ये समझ में आ गया है 2014 से देश को नयी राह पर ले जाती इस शख्सियत को डरा कर काबू में नहीं किया जा सकता.

दिल्ली में 2014 में सत्ता मिली तो तीन चुनाव लगातार जीत लिए. लगातार राज करने के पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के रिकॉर्ड को तोड़ दिया. अभी पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू का 17 साल प्रधानमंत्री बने रहने का रिकार्ड बाकी है. इसलिए पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी जनता के बीच काम करते रहने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. और पार्टी को भरोसा है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में 2029 मे भी जनता का भरोसा जीतेंगे.

75 साल के पीएम, यादें बेमिसाल..
17 सितंबर 2025 को पीएम नरेन्द्र मोदी 75 वर्ष पूरे कर रहे हैं. ये एक ऐसी हिट डायमंड जुबली है जिसकी चमक आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल बनी रहेगी. एक पत्रकार के तौर पर मैंने दिल्ली में उनकी महासचिव के तौर पर नियुक्ति से लेकर अब तक के उनके सार्वजनिक जीवन बहुत देखा है. मैने देखा है कि कैसे बदलते वक्त के साथ उन्होने अपने आप को ढाला है. सार्वजनिक जीवन में अपने व्यक्तित्व की ऐसी छाप छोड़ी की उनकी ईमानदारी और और देशहित के लिए हमेशा जुटे रहने की लोग मिसाल देते हैं. लेकिन इस डायमंड जुबली में पीएम मोदी को एक ही बात खल रही होगी कि इस बार भी जन्मदिन की सुबह आशीर्वाद देने के लिए उनकी मां नहीं होंगी. दरअसल उनके तीसरे कार्यकाल यानी 2024 में शपथ लेने के बाद पहला जन्मदिन था जब उन्हें उनकी मां का आशीर्वाद नहीं मिल पाया था. इस दर्द को उन्होंने अपने जन्मदिन के दिन ही ओडिशा की एक जनसभा में जनता के साथ बांटा था.

भुवनेश्वर में जनसभा को संबोधित करने पहुंचे तो वो खासे भावुक हो गए थे. उन्होंने अपनी मां को याद किया. सुभद्रा योजना की शुरुआत करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि वो एक आदिवासी परिवार को पीएम आवास योजना में मिले नए घर के गृह प्रवेश में गए थे. उन्हें खाने में खीर मिली थी. पीएम ने कहा कि जब वो खीर खा रहे थे तो स्वाभाविक रूप से उन्हे मां याद आ गयी. उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मां जीवित थीं, वो हर जन्मदिन पर उनका आशीर्वाद लेने जाते थे. वो उन्हें गुड़ खिलाती थीं. अपनी मां की यादों में खोये पीएम मोदी ने कहा कि अब उनकी मां नहीं हैं लेकिन एक आदिवासी मां ने उन्हें खीर खिला कर जन्मदिन का आशीर्वाद दे दिया है. ये अनुभव और ये एहसास ही उनके पूरे जीवन की पूंजी है.

मां की मुश्किलों ने योजनाओं को दिशा देने में मदद की
पीएम मोदी की मां एक ऐसी ही तस्वीर हैं जो पीएम मोदी की विकास धारा को नयी दिशा देती है. घर में चूल्हा जला कर खाना बनाती मां की तस्वीर उनके मन में ऐसी बैठी की देश भर मे उज्जवला य़ोजना के तहत हर गृहिणी को गैस सिलिंडर और चुल्हा पहुंचाने का रिकार्ड पूरा देश देख रहा है. एक गरीब परिवार का घर चलाने वाली गृहिणी के बैंक खातों में पैसा पहुंचाने से लेकर महिला सशक्तिकरण तक में पीएम मोदी का योगदान इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है. बेटी बचाओ, बेटी पढाओ मुहिम, संसद में महिलाओं को आरक्षण, बेटियों के नाम खाते में पैसा जमा करवाने की योजना की शुरुआत भी पीएम मोदी के कार्यकाल में हुई है. अब महिला शक्ति का पीएम मोदी में भरोसा इतना है कि कई राज्यों में तो महिला वोटरों की संख्या पुरुष वोटरों से ज्यादा होती जा रही है. तभी तो पिछले बिहार विधानसभा चुनावों के बाद पीएम मोदी ने कहा था कि ये उनकी साइलेंट वोटर हैं.

अपने रोजमर्रा के जीवन से सीख सीख कर पीएम मोदी ने अपनी नीतियों को ऐसा ढाला है कि हर योजना सफलता के साथ जमीन पर पहुंच रही है. प्रधानमंत्री कार्यालय में काम करने वाले अधिकारी ये मानते है कि सिर्फ योजना बनाने तक ही उनका काम सीमित नहीं है बल्कि ज्यादा ध्यान इस बात पर रहता है कि इन योजनाओं को जमीन पर लागू करने के लिए कार्ययोजना पूरी तरह से तैयार है कि नहीं. जाहिर है पीएम मोदी ने ये सुनिश्चित किया है कि पहले की सरकारों की तरह जनता के लिए बनी योजनाएं हवा में ही न रह जाएं. यही फर्क है पीएम मोदी की कार्यशैली में और पहले शासन करने वाले नेताओं में.

पीएम मोदी अपना जन्मदिन नहीं मनाते
पीएम मोदी ने 2014 मे शपथ लेने के बाद ही साफ कर दिया था कि सरकार और बीजेपी में उनके जन्मदिन पर कोई जश्न नहीं मनाया जाएगा. इसके बाद से ही बीजेपी ने तय किया कि वो पूरा सप्ताह सेवा सप्ताह के रुप में मनाएगी. देश भर में कार्यक्रम चलाती है. इस साल भी पीएम मोदी के जन्मदिन पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय स्वस्थ नारी सशक्त परिवार अभियान शुरु कर रहा है. इस अभियान के तहत देश भर में 75000 से ज्यादा स्वास्थ्य कैंप आयुष्मान आरोग्य मंदिर कम्यूनिटी हेल्थ सेंटरों पर महिलाओं और बच्चों को देश भर में आयोजित किए जाएंगे. साथ ही सभी आंगनबाड़ियों पर पोषण माह को मनाया जाएगा. 11 सालों से यह परिपाटी चली आ रही है.

तनाव के पल में भी चेहरे पर शिकन नहीं
पीएम मोदी के व्यक्तित्व का एक जबरदस्त पहलू ये भी है कि चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों लेकिन उनके चेहरे पर शिकन कभी नजर नहीं आती. उनके पैर हमेशा जमीन पर होते हैं और कान हमेशा जनता की आवाज सुन रहे होते हैं. इसलिए पीएम का पद संभालने के बाद जब मिनिमम गवर्नमेंट और मैक्सिमम गवर्नेंस के नारे के साथ काम की शुरुआत की थी. 2014 के पहले आलम ये था कि गर्मी की छुट्टियों में अधिकार तो अधिकारी , केन्द्र सरकार के मंत्री भी विदेशों में छुट्टियां मनाते नजर आते थे. शाम होते ही लुटियंस दिल्ली के सारे दफ्तर खाली हो जाते थे. लेकिन मोदी सरकार में सब बदल गया. मुझे याद हे कि 2014 के अंत में एक पुस्तक विमोचन के कार्यक्रम में तब के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था की जब अटल जी पीएम थे तो सूर्यास्त होने के पहले वो मंत्रालय से निकल जाते थे और इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में कॉफी पीकर ही घर जाते थे. लेकिन अब मोदी सरकार में वो रात 9 बजे के बाद ही नॉर्थ ब्लॉक से निकल पाते हैं. सरकार में भी माहौल बदल गया है. अब न कोई मंत्री-अधिकारी छुट्टी मनाने विदेश जाता है और न ही उनके लिए अब शनिवार और रविवार का सप्ताहांत की छुट्टियां होती हैं. अधिकारी अपनी सीटों पर देर रात तक बैठ कर योजनाओं को अंतिम रुप देने का काम कर रहे हैं. पिछले 11 सालों में शनिवार और रविवार को हर मंत्री के लिए कार्यक्रम तय होता है. वे या तो पूर्वोत्तर के राज्यों में होते हैं या फिर किसी राज्य में जनता के बीच मौजूद रहते हैं.

सरकारी योजनाओं को जन आंदोलन में बदला
पीएम मोदी ने अपनी योजनाओं में जनता को शामिल करने के लिए उन्हें जन आंदोलन का रुप दिया. पीएम ने 2014 मे गांधी जयंती के अवसर पर स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी. इस अभियान में देश का बच्चा बच्चा शामिल हुआ था. इस योजना की सफलता इसी बात से आंकी जा सकती है कि आज मंदिर हो पर्यटन स्थल, शौचालय हो या दफ्तर सफाई का ध्यान जनता ही रख रही है. ऐसा ही जन आंदोलन बेटी बचाओ, बेटी पढाओ आंदोलन था जिसमें महिलाओं की भागीदारी ने सुनिश्चित किया कि हरियाणा जैसे राज्यों में लिंगानुपात बेहतर हुआ. अंतरराष्ट्रीय योग दिवस, दुनिया भर में योग का प्रचार प्रसार, हर घर नल, हर घर में शौचालय, ऐसी योजनाओं की कमी नहीं जिसमें समाज की भागीदारी ने समाज की तस्वीर बदलने में बड़ा योगदान दिया.

प्राकृतिक आपदाओं में मानवीय संवेदना की मिसाल कायम की

मानवीय संवेदनाओं के लिए मोदी सरकार जानी जाने लगी है. मैं अक्सर याद करता हूं 2001 मे गुजरात में आया प्रलयंकारी भूकंप. पूरा राज्य मानो ध्वस्त हो गया था. लेकिन बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव नरेंद्र मोदी दिल्ली से अहमदाबाद जाने वाले पहले विमान में सवार थे. राहत और पुनर्वास के काम को लेकर स्थानीय राज्य सरकार पर सवाल उठ रहे थे. ऐसे में नरेंद्र मोदी को राहत और पुनर्वास के लिए बनायी गयी समिति का अध्यक्ष बना कर गुजरात भेजा गया था. वहां का दर्द दूर करते करते बीजेपी आलाकमान ने उन्हें पूरे राज्य की ही कमान दे दी. उनके हाथों में कमान सौंपने के बाद बीजेपी गुजरात की चुनावी जंग में कभी नहीं हारी. देश के किसी भी कोने में प्राकृतिक आपदा आए. वहां पहुंचने वाले सबसे पहले व्यक्ति होते हैं पीएम मोदी. आपदा प्रभावित क्षेत्रों में पहुंच कर लोगों से मिलना, अधिकारियों से राहत और पुनर्वास के लिए चर्चा करते हैं और राहत के लिए केन्द्रीय सहायता का ऐलान भी कर देते हैं. केन्द्र सरकार के बाकी मंत्रियों को भी ऐसी आपदा की स्थिति में प्रभावित क्षेत्रों में भेजा जाने लगा है.

पीएम मोदी की आउट ऑफ बॉक्स थिंकिंग
विरोधियों ने पब्लिसिटी स्टंट कहा, विपक्ष ने मजाक उड़ाया, सहयोगियों को समझ में नहीं आया कि मोदीजी करना क्या चाह रहे हैं. लेकिन पीएम ने ठान ली थी. देश की आवाज मानी जाने वाली आकाशवाणी की दबी हुई आवाज को उन्होंने ऐसी ऊंचाई दी कि आज देश कोने कोने में इसे सुना जाने लगा है और पीएम मोदी बन चुके हैं एक लोकप्रिय रेडियो होस्ट. पीएम कहते हैं कि स्वच्छ भारत अभियान हो, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ हो, या हर घर तिरंगा अभियान हो, ‘मन की बात’ ने इन अभियानों को जन आंदोलन बना दिया. 30 अप्रैल 2024 को पीएम मोदी ने मन की बात का 100वां एपिसोड संबोधित किया तो साफ हो गया कि अपने ही भरोसे पर खरे उतरे पीएम मोदी. जब पहली बार ये खबर आयी कि पीएम मोदी पहली बार रेडियो पर जनता को संबोधित करेंगे. लेकिन ये समझ मे नहीं आ रहा था कि जब दूरदर्शन है, निजी चैनल हैं तो रेडियो पर जाने का तुक ही क्या है. 2015 मे एक अनौपचारिक मुलाकात में उन्होंने कहा था किसी को भी आकाशवाणी की ताकत का अंदाजा नहीं है कि ये उनकी आवाज कहां तक पहुंचा देगा. अब यकीन हो गया कि पीएम ने सही नब्ज पकड़ी थी. कोरोना काल में उन्होंने कई रेडियो जॉकियों की वीडियो कांफ्रेंसिंग कर खुद को भी उनमें से एक बताया था.

पीएम मोदी की आउट ऑफ बॉक्स थिंकिंग ने ब्रिक्स और जी-20 जैसे अंतरराष्ट्रीय आयोजनों को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. इन सभी आयोजनों को दिल्ली से बाहर उन तमाम राज्यों में ले कर गए जहां से न सिर्फ देश की विविधता और विकास को शो केस कर सकें बल्कि पर्यटन को बढ़ावा मिले. मुझे याद से 31 दिसंबर 2014 की शाम याद आ रही है जब पीएम मोदी ने केन्द्र सरकार के सभी सचिवों को अपने सरकारी आवास पर बैठक के लिए बुला लिया था. बैठक देर रात तक चलती रही. सभी से उनके विभागों को सुधारने का नुस्खा पूछा जा रहा था. लेकिन संदेश साफ था कि अब प्राथमिकता नए साल की पार्टी नहीं जनता की सेवा होनी चाहिए. पूरे शासन तंत्र में ये संदेश चला गया और जो लोग कहते थे ये दिल्ली है गुजरात नहीं, उन्हें भी यकीन हो चला था कि पीएम मोदी किसी और मिट्टी के बने हैं जिनके लिए जनसेवा और जनता की सरकार बनना ही मायने रखता हैं.

2019 में शुरू हुए अपने दूसरे कार्यकाल में उन्होंने तमाम सरकारी बाबुओं से मिलना शुरू किया था. अलग अलग गुटों में वो केन्द्र सरकार में नियुक्त निदेशकों और संयुक्त सचिव, अतिरिक्त सचिवों, सचिवों से मिले. एक अधिकारी ने जब सवाल किया कि आप इतने कठिन फैसले इतनी जल्दी कैसे ले लेते हो तो पीएम मोदी ने कहा कि जब अपना कोई हित न हो और एजेंडा जनहित का हो तो फैसले चुटकी लेते ही हो जाते हैं. ये पीएम मोदी की ही पहल है कि अब सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास करने के बाद एक आईएएस अधिकारी को देशभर के गावों से लेकर दिल्ली में सहायक सचिव के पद तक ट्रेनिंग कराई जा रही है. उसके बाद उन्हें अपने कैडर में तैनात किया जा रहा है. लालफीताशाही और बाबुओं पर लगाम लगाने के साथ साथ ये सुनिश्चित किया कि अधिकारी भी जनता के लिए ही काम करें.

दुनिया भर में भारतीयों का बढ़ाया मान
अपने शुरुआत के विदेशी दौरों से ही पीएम मोदी ने अपनी कूटनीतिक बैठकों के अलावे भारतीय समुदाय से मिलना शुरू कर दिया था. अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, से लेकर युरोप,, हर जगह भारतीय समुदाय के लिए बड़े समारोहों का आयोजन हुआ. पीएम मोदी ने दुनिया भर में बसे इंडियन डायस्पोरा को उनका सरकार में बदल रहे भारत के बारे में विस्तार से बताया. इन सभी दौरों पर उनके साथ सेल्फी लेने वालों का हुजूम उमड पड़ रहा था. पीएम मोदी सिर्फ भारतीय समुदाय से घुलते मिलते रहे बल्कि ये भी कर के दिखाया कि भारतीय दुनिया के किसी भी कोने में संकट में फंसे पड़े हों, उन्हें वहां से तुरंत निकालने का काम मोदी सरकार ने किया है. विदेश मंत्रालय को टैग कर के किए गए एक ट्वीट से भी कहीं भी मुश्किल में पड़े भारतीय समुदाय के व्यक्ति की मदद के लिए मोदी सरकार आगे आने लगी. पीएम मोदी ने एक अनौपचारिक मुलाकात में बताया था कि पीएम बनने के पहले जब भी वो किसी विदेशी शासनाध्यक्ष को भारत के पीएम के कंधे पर हाथ देकर आगे बढते थे तो उन्हें लगता था की कोई भारत को ही नीचा दिखा रहा है. इसलिए जब वो पीएम बने तो गले मिलना, हाथ मिलाना और बराबरी का संदेश देना नहीं भूलते थे. इसलिए उनकी छवि एक ऐसे शक्तिशाली नेता के रुप मे बनती गयी जो भारत और भारतीयों के हित में खड़ा है और दबाव में झुकने वाला नहीं है.

आज जब टैरिफ वॉर में भारत फंसा है, तब भी पीएम मोदी दबाव में नहीं है. मैंने बतौर महासचिव से शुरू कर के पीएम तक पहुंचा नरेन्द्र मोदी का हर कार्यकाल देखा है और रिपोर्टिंग भी की है. एक बात मैं कहना चाहता हूं कि वो कभी भी जमीन से अलग नहीं हुए. बतौर युवा पत्रकार जब से उनसे संपर्क साधा उनका जवाब आया, दिल्ली में शीर्ष पद पर पहुंचे तो भी नहीं लगा कि उन्हें प्रोटोकॉल में घेर लिया गया हो. वो लोगों से मिलने का रास्ता और समय निकाल ही लेते हैं. वाराणसी में होते हैं तो रात बारह बजे सड़को पर निकल पड़ते हैं शहर का जायजा लेने के लिए. रोड शो के बीच में कार रोक कर लोगों से मिल लेते हैं. तभी तो मैं कहता हूं कि जमीन पर जो हो रहा है उसकी पूरी जानकारी होती हैं. इसलिए जनहित में लिए उनके फैसले भी बड़े सटीक होते हैं.

जब पहली बार पीएम मोदी चुनावी जंग में 2001 में राजकोट-2 की विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे थे, तब भी उनके लिए सड़क पर इतनी ही भीड़ उमड़ पड़ी थी. तब गुजरात की जनता को तब एक उम्मीद थी कि ये चेहरा उन्हें भूकंप के बाद ऊंचाइयों तक पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा. पीएम मोदी ने गुजरात की जनता को निराश नहीं किया. वहीं 5 करोड़ गुजरात की जनता का सशक्तिकरण करते हुए,वो 140 करोड़ भारतीयों के रोल मॉडल बन गए. बतौर पीएम नरेंद्र मोदी ने ऐसी लकीर खींच दी है जिसकी दूसरी मिसाल नहीं मिलने वाली. आप स्वस्थ रहें, दीर्घायु रहें और ऐसे ही देश को विकसित भारत बनाने की राह पर आगे बढते रहे… जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं…

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