Last Updated:July 24, 2025, 23:46 IST
PM Modi Maldives Visit: पीएम मोदी मालदीव की स्वतंत्रता दिवस पर मुख्य अतिथि बनेंगे. 'इंडिया आउट' के दौर के बाद अब दोनों देशों में फिर से रिश्तों की गरमाहट और रणनीतिक साझेदारी बढ़ रही है.

हाइलाइट्स
पीएम मोदी 25 जुलाई को मालदीव दौरे पर पहुंचे.मालदीव में 'इंडिया आउट' के बाद पहली उच्चस्तरीय बैठक.आर्थिक दबाव के चलते भारत की ओर दोबारा झुका मालदीव.नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार से मालदीव के दो दिवसीय दौरे पर पहुंच रहे हैं. यह यात्रा न सिर्फ क्षेत्रीय कूटनीति के लिहाज से महत्वपूर्ण है बल्कि भारत और मालदीव के बीच बीते कुछ वर्षों से चले आ रहे तनावपूर्ण संबंधों में एक नई शुरुआत का संकेत भी है. खास बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के आमंत्रण पर स्वतंत्रता दिवस समारोह में गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में शिरकत करेंगे. वही मुइज्जू जिन्होंने अपने चुनावी वादों में “India Out” जैसा आक्रामक अभियान चलाया था.
बीते सालों में राष्ट्रपति मुइज्जू के नेतृत्व में मालदीव ने चीन की ओर झुकाव दिखाते हुए भारत की सैन्य उपस्थिति को चुनौती दी थी. मई 2024 तक भारत ने मालदीव में तैनात अपने सभी सैन्यकर्मियों को वहां से पूरी तरह से हटा भी लिया था. हालांकि इनकी जगह तकनीकी विशेषज्ञों की तैनाती का फैसला हुआ ताकि द्विपक्षीय सहयोग पूरी तरह से खत्म न हो. लेकिन इस फैसले के असर जल्दी ही सामने आने लगे. भारत से कटुता और “बॉयकॉट मालदीव” अभियान के कारण भारतीय पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट आई. पर्यटन-आधारित मालदीव की अर्थव्यवस्था पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा और अंततः मालदीव सरकार को भारत की ओर दोबारा झुकना पड़ा.
भारत-मालदीव की नई साझेदारी में फिर से गर्माहट
राष्ट्रपति मुइज्जू को यह एहसास हुआ कि चीन से रिश्ते मजबूत करने भर से न तो आर्थिक स्थिरता मिलेगी और न ही क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित हो पाएगी. भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति और ‘महासागर’ दृष्टिकोण में मालदीव की भूमिका बेहद अहम है. दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग लंबे समय से चला आ रहा है, जिसमें नौसेना अभ्यास और सैन्यकर्मियों का प्रशिक्षण शामिल है. इसके अलावा भारत और मालदीव के बीच लगभग 500 मिलियन डॉलर का वार्षिक व्यापार होता है, जिसे आगे बढ़ाने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा और मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने पर भी चर्चा जारी है.
भारत द्वारा मालदीव में शुरू किए गए कई बुनियादी विकास परियोजनाओं में ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट सबसे प्रमुख है, जो चार द्वीपों को जोड़ेगा और भारत द्वारा रियायती क्रेडिट व बायर क्रेडिट के माध्यम से बनाया जा रहा है. यह परियोजना मालदीव के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगी. यही नहीं प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे के दौरान कई द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर होंगे और अधूरी पड़ी परियोजनाओं का उद्घाटन किया जाएगा. यह दौरा भारत और मालदीव को उस मुकाम पर वापस ले जा सकता है जहां वे 2023 से पहले खड़े थे.
लक्षद्वीप विवाद से टूटी डोर, लेकिन भरोसे की डोर बनी रही
जनवरी 2024 में जब प्रधानमंत्री मोदी लक्षद्वीप की यात्रा पर गए थे, तब मालदीव के कुछ मंत्रियों की आपत्तिजनक टिप्पणियों ने दोनों देशों के संबंधों में खटास पैदा कर दी थी. भारत में सोशल मीडिया पर “बॉयकॉट मालदीव” अभियान जोर पकड़ने लगा. पर्यटन पर निर्भर मालदीव की अर्थव्यवस्था के लिए यह एक बड़ा झटका था. इसी बीच राष्ट्रपति मुइज्जू ने चीन की यात्रा की जहां से लौटकर उन्होंने भारत का नाम लिए बिना तीखी टिप्पणी की. मार्च 2024 में उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि 10 मई के बाद मालदीव में कोई भी भारतीय सैन्यकर्मी, सिविलियन कपड़ों में भी, नहीं रहेगा. भारत ने इस समयसीमा का सम्मान करते हुए अपने सभी सैन्यकर्मी हटा लिए. हालांकि यह संबंधों के पूर्ण विराम की बजाय एक रणनीतिक बदलाव था, और तकनीकी सहयोग बना रहा.
रिश्तों की फिर से बुनियाद: क्यों मुइज्जू को चाहिए भारत का साथ
इस अनुभव ने मालदीव की सरकार को भारत के महत्व को दोबारा समझने पर मजबूर किया. राष्ट्रपति मुइज्जू अब समझ चुके हैं कि क्षेत्रीय स्थिरता, आर्थिक सहयोग और अंतरराष्ट्रीय भरोसे के लिए भारत की भागीदारी अपरिहार्य है. यही वजह है कि पीएम मोदी को स्वतंत्रता दिवस पर आमंत्रित कर मुइज्जूने न सिर्फ संबंधों को सामान्य करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है, बल्कि यह भी संकेत दिया है कि उनकी “India Out” की नीति अब बीते कल की बात हो चुकी है.
भारत की शांत कूटनीति, चीन की बेचैनी
यह दौरा भारत के लिए रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि मालदीव हिंद महासागर में स्थित एक अहम देश है, जहां चीन लगातार अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश करता रहा है. बीते सालों में चीन ने मालदीव में बंदरगाह, रोड और ब्रिज जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में भारी इन्वेस्ट किया है. लेकिन भारत ने अपनी सॉफ्ट पावर और भरोसे पर टिके रिश्तों से यह दिखा दिया है कि पड़ोसी देशों के साथ संबंध केवल आर्थिक सौदों से नहीं, बल्कि आपसी विश्वास से मजबूत होते हैं.
इस दो दिवसीय यात्रा के दौरान पीएम मोदी के साथ मालदीव के भविष्य को लेकर कई नई योजनाएं आकार लेंगी, और यह दौरा दर्शाएगा कि कैसे भारत बिना दबाव डाले भी अपनी उपस्थिति को निर्णायक तरीके से बनाए रखता है.
Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...और पढ़ें
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