PMCH में रेप पीड़िता की मौत, सिस्टम की नाकामी की दर्दनाक कहानी, कौन जिम्मेदार?

5 days ago

पटना. मुजफ्फरपुर की एक 11 वर्षीय मासूम बेटी, जिसके साथ 26 मई 2025 को हैवानियत की सारी हदें पार की गईं, रविवार, 1 जून 2025 को पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (पीएमसीएच) में अपनी आखिरी सांसें गिन रही थी. उस बच्ची के शरीर पर करीब 20 चाकू के घाव थे, उसका गला रेत दिया गया था, और उसकी आवाज हमेशा के लिए छीन ली गई थी. लेकिन सबसे दर्दनाक यह नहीं था कि एक दरिंदे ने उसकी जिंदगी छीनने की कोशिश की, बल्कि यह था कि बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल ने उसे चार घंटे तक एंबुलेंस में तड़पने के लिए छोड़ दिया. अगर समय पर इलाज मिला होता, शायद वह बेटी आज जीवित होती.

यह कहानी केवल एक बच्ची की नहीं, बल्कि उस सिस्टम की नाकामी की है, जो हर बार गरीब और लाचार लोगों को निराश करता है. मुजफ्फरपुर के कुढ़नी में उस मासूम के साथ बलात्कार हुआ, उसे चाकुओं से गोद दिया गया, और फिर उसे मरने के लिए एक ईंट-भट्ठे के पास छोड़ दिया गया. श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, मुजफ्फरपुर में पांच दिन तक उसका इलाज चला, लेकिन हालत बिगड़ने पर उसे शनिवार को पीएमसीएच रेफर किया गया. परिजनों ने उम्मीद की थी कि पटना में उनकी बेटी को बेहतर इलाज मिलेगा, लेकिन वहां जो हुआ, वह किसी के भी रोंगटे खड़े कर दे.

पीएमसीएच में बच्ची को दोपहर 1:23 बजे लाया गया, लेकिन बेड की अनुपलब्धता के चलते उसे चार घंटे से अधिक समय तक एंबुलेंस में ही इंतजार करना पड़ा. उसकी मां ने रोते हुए बताया, “मेरी बेटी एंबुलेंस में तड़प रही थी, चीख रही थी, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं था. चार घंटे बाद, जब हंगामा हुआ, तब जाकर उसे भर्ती किया गया.” रात भर डॉक्टरों ने उसे नींद की दवाएं दीं, लेकिन सुबह 8 बजे उसकी सांसें थम गईं. परिजनों का आरोप है कि अस्पताल ने 25,000 रुपये की मांग की, और खून के लिए भी पैसे देने पड़े.

4 घंटे तक एंबुलेंस में क्यो पड़ी रही?

कांग्रेस नेताओं, जैसे राजेश राम और राजेश राठौर, ने हस्तक्षेप किया, तब जाकर बच्ची को भर्ती किया गया. राजेश राम ने कहा, “हमने एम्स पटना में भर्ती की मांग की थी, जहां बेहतर सुविधाएं थीं, लेकिन उसे पीएमसीएच भेजा गया. वहां भी ढाई घंटे तक एंबुलेंस में इंतजार करवाया गया.” कांग्रेस ने इसे नीतीश कुमार की सरकार और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे की नाकामी करार दिया. दूसरी ओर, पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. अभिजीत सिंह और मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. इंद्रशेखर ठाकुर ने लापरवाही के आरोपों को खारिज किया, दावा करते हुए कि बच्ची को तुरंत आईसीयू में भर्ती किया गया था.

बिहार के सिस्टम पर तमाचा?

यह घटना बिहार के स्वास्थ्य सिस्टम पर करारा तमाचा है. पीएमसीएच, जिसे विश्वस्तरीय अस्पताल बनाने का दावा किया जा रहा है, एक मासूम को बेड तक नहीं दे सका. परिजनों का गुस्सा, उनकी बेबसी, और वह दर्द जो उस मां ने अपनी बेटी को खोते हुए महसूस किया, यह सब सिस्टम की संवेदनहीनता को उजागर करता है. यूट्यूबर और बीजेपी नेता मनीष कश्यप ने भी इस घटना पर आंसू बहाए और अस्पताल प्रशासन पर मारपीट का आरोप लगाया.

कांग्रेस का बड़ा आरोप

कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने कहा, किसी की भी जान जाती है तो वह दुखत बात है. बच्ची थी उसके साथ घोर अन्याय हुआ. कहने को तो सुशासन बाबू की सरकार है लेकिन यहां पर कुशासन ज्यादा चलता है. सरकार, प्रशासन, मंत्री, पुलिस और मुख्यमंत्री बच्ची की मदद नहीं करते हैं. तीन-चार दिन तक संघर्ष करती रही. उसका इलाज नहीं हुआ. लोगों को बच्ची के इलाज के लिए सड़क पर उतरना पड़ा. यहां तक की पीएमसीएच प्रशासन ने भी बच्ची का ख्याल नहीं रखा. बच्ची के साथ अन्याय और इलाज न होने के कारण दम तोड़ दिया. यह बिहार के लिए नहीं भारत के लिए भी सर झुकाने वाला काम हुआ है. हमें बहुत दुख है मैं बच्ची की आत्मा के लिए शांति चाहते हैं. उसको न्याय मिलना चाहिए यह मेरी मांग है.’

कुलमिलाकर यह बच्ची सिर्फ एक आंकड़ा नहीं थी. वह किसी की बेटी थी, किसी की उम्मीद थी. अगर सिस्टम ने थोड़ी सी संवेदनशीलता दिखाई होती, अगर चार घंटे का वह इंतजार न हुआ होता, तो शायद वह आज जीवित होती. यह घटना बिहार की जनता से एक सवाल पूछती है—क्या हमारा सिस्टम इतना लाचार है कि वह एक मासूम की जान भी नहीं बचा सकता? इस सवाल का जवाब तब तक अधूरा रहेगा, जब तक सिस्टम में बदलाव और जवाबदेही नहीं आएगी.

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