Kash Patel and Asim Munir Meeting News: अमेरिका की राजनीति में इन दिनों भारतीय मूल के काश पटेल चर्चा के केंद्र में हैं. सामने आई उनकी हाल ही एक तस्वीर ने उन्हें विवादों के केंद्र में ला खड़ा किया है. यह तस्वीर पाकिस्तान के आर्मी चीफ़ आसिम मुनीर से उनके हाथ मिलाने की है. सोशल मीडिया पर जैसे ही उनकी तस्वीर वायरल हुई तो अमेरिका में बसे भारतीय मूल के लोगों का गुस्सा भड़क उठा. उन्होंने आसिम मुनीर के साथ इस मुलाकात पर तीखी प्रतिक्रिया दी है.
लोगों को क्यों अखरा काश पटेल का ये एक्शन?
काश पटेल तब सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने एफबीआई डायरेक्टर बनने के समय शपथ ग्रहण में 'जय श्री कृष्ण' बोला, माता-पिता के पैर छुए और गीता पर हाथ रखकर शपथ ली. वे हमेशा से अपनी हिंदू पहचान और राम मंदिर के समर्थन को खुलकर व्यक्त करते रहे हैं. इसलिए उनका पाकिस्तान के शीर्ष सैन्य अधिकारी से गर्मजोशी से हाथ मिलाना कई लोगों को अखरा.
पाकिस्तानी आर्मी चीफ से काश पटेल की मुलाकात उस समय हुई, जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वॉशिंगटन डीसी में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ और सेनाध्यक्ष आसिम मुनीर का स्वागत किया. उसी दौरान बैठक में मौजूद एफबीआई डायरेक्टर कश पटेल ने भी प्रोटोकॉल के तहत शहबाज-मुनीर से हाथ मिलाया.
आग में घी का काम कर गई तस्वीर
चूंकि पाकिस्तान के साथ ट्रंप के सकारात्मक रुख की वजह से भारत पहले ही असहज है. ऐसे मौके पर अब काश पटेल की यह तस्वीर आग में घी का काम कर गई. आलोचकों का कहना है कि हिंदुओं और भारतीयों को लेकर मुनीर के बयानों को देखते हुए यह हाथ मिलाना अपमानजनक है. उनका कहना है कि काश पटेल को इससे बचना चाहिए था.
काश पटेल को प्रवासी भारतीय केवल एक अमेरिकी अधिकारी नहीं मानते, बल्कि उनकी गुजराती जड़ें और धार्मिक पहचान की वजह से उन्हें सांस्कृतिक प्रतिनिधि की तरह भी देखते हैं. यही वजह है कि उनका हर कदम धार्मिक और राजनीतिक चश्मे से जांचा जाता है.
दोनों अलग-अलग शख्सियतों के मालिक
धार्मिक दृष्टिकोण से भी यह घटना खास है. काश पटेल ने हमेशा राम मंदिर और हिंदुत्व को सांस्कृतिक गौरव बताया है. वहीं दूसरी ओर, आसिम मुनीर 'दो राष्ट्र सिद्धांत' के समर्थक माने जाते हैं, जो हिंदू और मुसलमानों को अलग-अलग मानता है. ऐसे में दोनों का हाथ मिलाना विरोधियों के लिए विरोधाभासी प्रतीक बन गया.
कुछ विश्लेषकों का कहना है कि यह घटना दरअसल अमेरिकी प्रवासी राजनीति की जटिलता को उजागर करती है. काश पटेल को ट्रंप ने 'हिंदू आउटरीच' का चेहरा बनाया था. ऐसे में जब वह किसी पाकिस्तानी नेता से मुस्कराकर मिलते हैं तो यह केवल प्रोटोकॉल नहीं, बल्कि पहचान और निष्ठा का सवाल बन जाता है. उनका मानना है कि एक अमेरिकी अधिकारी होने के नाते पटेल इस तरह की औपचारिकताओं से बच नहीं सकते.
ट्रंप के एकतरफा रुख से भारत नाराज
चूंकि इन दिनों ट्रंप के भारत पर लगाए गए भारी-भरकम टैरिफ की वजह से भारत-यूएस के संबंध खराब दौर से गुजर रहे हैं. ट्रंप सरकार ने भारत पर 50% तक का टैरिफ़ लगाया हुआ है, जबकि पाकिस्तान को कई रियायतें दे रखी हैं. हाल ही में कश्मीर के पास पहलगाम हमले और भारत–पाक सीमा विवाद को लेकर अमेरिका की दखलंदाजी की कोशिशों ने भी भारत को नाराज किया है.
ट्रंप कई बार दावा कर चुके हैं कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम कराया, जबकि भारत सरकार ने इन दावों को सिरे से खारिज किया है. भारत ने साफ कहा कि किसी तीसरे देश की कोई भूमिका नहीं थी. इस तरह की परिस्थितियों में पटेल का यह व्यवहार भारत की जनता को और चुभा. उन्हें अमेरिका के सीनियर हिंदू अधिकारी का पाकिस्तान के कट्टरपंथी आर्मी चीफ आसिम मुनीर से हाथ मिलाना गले नहीं उतर पाया.

3 weeks ago
