वॉशिंगटन2 मिनट पहले
कॉपी लिंकइन आरोपियों को पैरोल मिलने का भी प्रावधान खत्म कर दिया गया है। तस्वीर- सोशल मीडिया
अमेरिका के जॉर्जिया राज्य में एक पुरुष समलैंगिक जोड़े को गोद लिए बच्चों के साथ दो साल तक यौन शोषण करने के आरोप में 100 साल की सजा सुनाई गई है। पिछले हफ्ते सुनाई गई सजा में इन दोनों आरोपियों को पैरोल मिलने का प्रावधान भी खत्म कर दिया गया। आरोपियों ने क्रिश्चियन स्पेशल नीड एजेंसी से कई साल पहले दो बच्चों को गोद लिया था, अब जिनकी उम्र 12 और 10 साल है।
न्यूयॉर्क पोस्ट के मुताबिक डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी रैंडी मैकगिनले ने कहा- दोनों आरोपी विलियम जुलॉक (34) और जैचरी जुलॉक (36) का घर बच्चों के लिए खौफ का घर था। इन्होंने अपनी डरावनी ख्वाहिशों को हर चीज और हर इंसान से ऊपर रखा।
इन लोगों ने बच्चों के साथ किए गए यौन शोषण की तस्वीरें और वीडियो अपने दोस्तों के साथ भी शेयर किए थे। आरोपियों ने अपने खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों को स्वीकार कर लिया है।
दोनों आरोपियों ने कई साल पहले बच्चों को क्रिश्चियन स्पेशल नीड एजेंसी से गोद लिया था। इन दोनों को 2022 में गिरफ्तार किया गया था।
दूसरे लोगों के साथ भी संबंध बनाने को किया मजबूर
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आरोपी हर रोज बच्चों को अपने साथ यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करते थे। इन्होंने बच्चों को दो अन्य लोगों के साथ भी रिलेशन बनाने के लिए मजबूर किया था। ये इसका वीडियो बनाकर पोर्नोग्राफी रैकेट चलाने वाले गिरोह को बेच देते थे।
दो साल पहले इस मामले का खुलासा तब हुआ जब पुलिस ने 2022 में पोर्नोग्राफी रैकेट चलाने वाले एक शख्स को इन बच्चों का वीडियो डाउनलोड करते हुए पकड़ा। इसके बाद उसने पुलिस को बताया कि कैसे ये दोनों आरोपी अपने घर में रहने वालों बच्चों का पोर्न वीडियो बन कर बेच रहे हैं। इसके बाद इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
भारत ने चाइल्ड एक्सप्लॉइटेड मटेरियल सर्च करना भी अपराध
भारत में IT एक्ट 2000 की धारा 67-बी के तहत अगर कोई चाइल्ड सेक्सुअली एक्सप्लॉइटेड मटेरियल का कोई पब्लिश करता है, उसे अपलोड या शेयर करता है या ऐसा करने में सहयोग करता है तो धारा 67-बी के तहत 5 साल की सजा का प्रावधान है। दूसरी बार ऐसा ही अपराध करने पर 7 साल की सजा का प्रावधान है।
एक्ट के अनुसार चाइल्ड एक्सप्लॉइटेड मटेरियल को ब्राउज करना, डाउनलोड करना, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट (मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट) में स्टोर करना भी गंभीर अपराध माना जाता है।
वहीं भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में कहा था कि चाइल्ड एक्सप्लॉइटेड मटेरियल डाउनलोड करना और देखना POCSO और IT एक्ट के तहत अपराध है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे कंटेंट का स्टोरेज, इसे डिलीट न करना और इसकी शिकायत न करना बताता है कि इसे प्रसारित करने की नीयत से स्टोर किया गया है।
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