अगर सरदार पटेल की बात मान लेते नेहरू तो आज नहीं फंसते राहुल-सोनिया, जानिए कैसे

1 day ago

Last Updated:April 18, 2025, 08:02 IST

Herald Case: नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर ईडी ने चार्जशीट दायर की है. इसमें कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा और सुमन दुबे भी आरोपी हैं. मामले की सुनवाई 25 अप्रैल को होगी. हालांकि, आज ...और पढ़ें

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'नेशनल हेराल्ड' मामले में वित्तीय अनियमितता को लेकर सरदार पटेल ने भी दी थी पंडित नेहरू को चेतावनी

हाइलाइट्स

ईडी ने सोनिया और राहुल गांधी पर चार्जशीट दाखिल की.मामले की सुनवाई 25 अप्रैल को होगी.सैम पित्रोदा और सुमन दुबे भी आरोपी हैं.

नई दिल्ली: नेशनल हेराल्ड केस में राहुल गांधी और सोनिया गांधी का नाम आ चुका है. ईडी ने तो बकायदा चार्जशीट फाइल कर दी है. ईडी की चार्जशीट में राहुल गांधी और सोनिया गांधी को आरोपी बनाया गया है. चार्जशीट में कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा और राजीव गांधी फाउंडेशन के ट्रस्टी सुमन दुबे को भी अभियुक्त बनाया गया है. मामले की सुनवाई 25 अप्रैल को होगी. अब सवाल है कि आखिर सोनिया गांधी और राहुल गांधी इस नेखनल हेराल्ड केस में कैसे फंसे? नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन एजेएल यानी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड करती है. इसका मालिकाना हक यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के पास है. इस कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों की हिस्सेदारी है. यही वजह है कि ईडी की जांच की आंच उन तक पहुंची है. अगर 75 साल पहले सरदार पटेल की बात पंडित नेहरू मान लेते ते शायद राहुल गांधी और सोनिया गांधी आज नहीं फंसते. चलिए वह कहानी जानते हैं.

दरअसल, 1937 में एसोसिएट जर्नल का गठन हुआ. इसके बाद 9 सितंबर 1938 को जवाहर लाल नेहरू ने नेशनल हेराल्ड अखबार शुरू किया. यह बात आजादी मिलने के ठीक 9 साल पहले की है. इस अखबार को शुरू करने में हजारों स्वतंत्रता सेनानियों ने अहम भूमिका निभाई थी. इसके तहत तीन अखबार थे, अंग्रेजी में ‘नेशनल हेराल्ड’, हिंदी में ‘नवजीवन’ और उर्दू में ‘कौमी आवाज’.यही नेशनल हेराल्ड आज सुर्खियों में बना हुआ है. नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत कई लोगों पर ईडी ने 988 करोड़ रुपए के मनी लॉन्ड्रिंग मामले को लेकर चार्जशीट दायर की है. इसे लेकर ही बवाल है.

इन तीनों अखबारों का संचालन एसोसिएट जर्नल यानी एजीएल करता था. उस वक्त भी यह माना जाता था कि यह अखबार पंडित जवाहर लाल नेहरू के इशारों पर चलता है. 1942 से 1945 तक इस अखबार के प्रकाशन पर अंग्रेजों ने रोक भी लगा दी थी. यानी 3 सालों तक इस अखबार का प्रकाशन नहीं हो पाया. देश की आजादी के बाद जब पंडित नेहरू प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने इन अखबारों के बोर्ड के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी को इसके बोर्ड का मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया था.इसके बाद धीरे-धीरे इस एसोसिएट जर्नल यानी एजीएल की आर्थिक स्थिति खराब होने लगी.

75 साल पुरानी कहानी
पंडित नेहरू के निजी सचिव ओ. एम. मथाई ने अपनी किताब में सरदार पटेल और नेहरू की कहानी का जिक्र है. इसमें इस बात का भी जिक्र है कि फिरोज गांधी इस कंपनी के संचालन में बहुत अच्छे नहीं थे. इसलिए यह नेशनल हेराल्ड आर्थिक संकट में फंस गया. इसे आर्थिक संकट से उबारने के लिए जनहित निधि ट्रस्ट के रूप में बदल दिया गया. इस नए ट्रस्ट पर भी नेहरू परिवार का ही कब्जा रहा. इस ट्रस्ट के सभी ट्रस्टी नेहरू और उनके परिवार के बेहद करीबी लोग बनाए गए.

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‘नेशनल हेराल्ड’ मामले में वित्तीय अनियमितता को लेकर सरदार पटेल ने भी दी थी पंडित नेहरू को चेतावनी

किसकी किताब में दावा
ओ. एम. मथाई ने तो अपनी किताब में यहां तक दावा किया कि नेशनल हेराल्ड के लिए बड़ौदा के महाराजा से पूरे दो लाख रुपए की रिश्वत मांग ली गई थी. सरदार वल्लभभाई पटेल को जब इसकी सूचना मिली थी तो उन्होंने इसकी शिकायत नेहरू से की थी. उस समय विज्ञापन के नाम पर कई बड़े औद्योगिक घरानों से लाखों की रकम एक साल में इस अखबार ने हासिल की. पंडित नेहरू के प्रधानमंत्री रहते ही दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग पर नेशनल हेराल्ड को ऑफिस बनाने के लिए जमीन भी आवंटित की गई. 1950 में सरदार वल्लभ भाई पटेल ने नेहरू को पत्र लिखकर नेशनल हेराल्ड का समर्थन करने के लिए सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग करने के साथ ही संदिग्ध धन उगाही के बारे में भी चेतावनी दी थी. सरदार पटेल के पत्राचार में दर्ज इन चिंताओं को नेहरू ने खारिज कर दिया था, जबकि वह इसके दीर्घकालिक प्रभावों के बारे में आशंकित थे. दशकों बाद सरदार पटेल की ये चेतावनी अब लोगों के सामने आ रही है, जब ईडी इस मामले की जांच कर रही है.

सच हो रही सरदार की चेतावनी
सरदार वल्लभ भाई पटेल की जो चेतावनी पत्र के रूप में तब शुरू हुई थी, वह अब एक बड़े घोटाले में बदल गई है. ईडी ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ इस मामले में आरोपपत्र दायर किया है. इसमें उन पर यंग इंडिया लिमिटेड के जरिए 5,000 करोड़ रुपए की संपत्ति का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया है, जो उनके नियंत्रण में है और नेशनल हेराल्ड और उसकी मूल कंपनी एसोसिएट जर्नल लिमिटेड से जुड़ी है. 5 मई 1950 को सरदार वल्लभभाई पटेल ने नेहरू को पत्र लिखकर चिंता जताई कि नेशनल हेराल्ड ने हिमालयन एयरवेज से जुड़े दो व्यक्तियों से 75,000 रुपए से अधिक की रकम स्वीकार की है. उन्होंने बताया कि एयरलाइन ने भारतीय वायुसेना की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए अवैध रूप से रात्रि हवाई डाक सेवा के लिए सरकारी अनुबंध इसके जरिए हासिल किया है. उसी पत्र में सरदार वल्लभभाई पटेल ने नेहरू को आगाह किया कि नेशनल हेराल्ड ने अखानी नामक एक व्यवसायी से धन स्वीकार किया था, जो उनकी विमानन कंपनी के लिए रात्रि डाक अनुबंध हासिल करने में शामिल था. सरदार पटेल ने उल्लेख किया कि अखानी टाटा और एयर सर्विसेज ऑफ इंडिया जैसी फर्मों से भी धन जुटा रहा था.

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ईडी ने नेशनल हेराल्‍ड केस में सोन‍िया गांधी और राहुल गांधी का नाम लिया.

पटेल ने पत्र में क्या-क्या लिखा
पत्र में आगे पटेल ने नेहरू को लिखा था कि अखानी पर बैंकों से धोखाधड़ी करने के लिए विभिन्न अदालतों में पहले से ही कई आरोप हैं. उन्होंने तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अहमद किदवई द्वारा नेशनल हेराल्ड के लिए धन जुटाने के लिए अपने पद का दुरुपयोग करने के बारे में भी चेतावनी पत्र के जरिए दी थी, जिसमें जेपी श्रीवास्तव जैसे लखनऊ स्थित व्यापारियों से धन इकट्ठा करना भी शामिल है. उसी दिन, 5 मई 1950 को नेहरू ने पटेल को ऐसे लहजे में जवाब दिया था, जिससे लगता था कि उन्हें शांत करने की कोशिश की जा रही थी. नेहरू ने अपने पत्र में उल्लेख किया था कि उन्होंने अपने दामाद फिरोज गांधी, जो उस समय नेशनल हेराल्ड के महाप्रबंधक थे, से इस अवैध धन संग्रह के आरोपों की जांच करने के लिए कहा है.

नेहरू को फिर पटेल का जवाब
इसके ठीक अगले ही दिन 6 मई को पटेल ने नेहरू के दावों का दृढ़ता से खंडन करते हुए फिर से नेहरू को जवाब दिया. फिर पटेल को शांत करने का प्रयास किया गया. लेकिन सरदार पटेल के द्वारा अवैध फंडिंग के बारे में जो चिंता व्यक्त की गई थी, उसे दरकिनार कर दिया गया. हालांकि, तब नेहरू ने यह स्वीकार किया था कि इसमें कुछ गलतियां हुई होंगी. इसके बाद 10 मई, 1950 को लिखे अपने अंतिम पत्र में सरदार पटेल ने नेहरू के इस रुख पर स्पष्ट असंतोष व्यक्त किया था. गृह मंत्री के रूप में उन्होंने भुगतानों से जुड़ी बेईमानी और नेशनल हेराल्ड के वित्तपोषण से जुड़े संदिग्ध व्यक्तियों पर गहरी चिंता व्यक्त की थी.

भाजपा का क्या आरोप
अब भाजपा की तरफ से भी यही दावा किया गया है कि नेशनल हेराल्ड का मामला बड़ा विचित्र है, जिसमें हजारों करोड़ रुपए की संपत्तियों वाली एक कंपनी महज 90 करोड़ रुपए की देनदारी में बिक गई और इसे खरीदने और बेचने वाला दोनों एक ही पक्ष के थे. जो कांग्रेस देश में इतने साल तक सत्ता में रही, उसके रहते 2008 में यह अखबार बंद हो गया. यानी सत्ता में रहते हुए भी कांग्रेस अपनी इस विरासत को नहीं बचा पाई. भाजपा की तरफ से तो यह भी दावा किया गया है कि कांग्रेस पार्टी और उसके नेता चाहते ही नहीं थे कि यह अखबार चले. भाजपा की तरफ से यह भी कहा गया कि 5 मई से पहले 3 मई 1950 को भी सरदार वल्लभ भाई पटेल ने नेशनल हेराल्ड मामले को लेकर पंडित जवाहरलाल नेहरू को एक पत्र लिखा था, जिसका स्पष्ट उल्लेख कॉरेस्पोंडेंस ऑफ सरदार पटेल में मिलता है. इस पत्र में उन्होंने लिखा कि यदि यह स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के द्वारा शुरू किया गया अखबार था, तो सरकार से जुड़े हुए लोगों की इसमें इतनी संलिप्तता आपत्तिजनक है.

Location :

Delhi,Delhi,Delhi

First Published :

April 18, 2025, 08:02 IST

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