Last Updated:September 17, 2025, 12:46 IST
Tariff Effect on Export : टैरिफ लगने के बाद अगस्त के पहले महीने में ही भारत का अमेरिका को निर्यात 16 फीसदी से भी ज्यादा कम हो गया है. वैसे तो इसका असर मई से ही दिखना शुरू हो गया था, लेकिन अगस्त में 50 फीसदी टैरिफ लगने के बाद असर बढ़ गया है.

नई दिल्ली. अमेरिका के टैरिफ का असर अगस्त महीने के कारोबार पर साफ दिख रहा है. सरकारी थिंक टैंक जीटीआरआई ने बताया कि 50 फीसदी टैरिफ लगने के बाद भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात में बड़ी गिरावट दिख रही है. आंकड़े साफ बता रहे हैं कि टैरिफ लगने के बाद पहले महीने में ही निर्यात काफी घट गया है, क्योंकि अमेरिकी कारोबारियों ने भारत से आने वाले ऑर्डर में भारी कटौती कर दी है.
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि अगस्त में अमेरिका को भेजे गए शिपमेंट्स घटकर 6.7 अरब डॉलर (करीब 59 हजार करोड़ रुपये) पर आ गए हैं, जो जुलाई के मुकाबले 16.3 फीसदी कम है. साल 2025 में अभी तक बीते 8 महीने के आंकड़े देखें तो यह सबसे बड़ी गिरावट है. अगस्त में पहले तो 7 तारीख से 25 फीसदी टैरिफ लगा और फिर 27 से 50 फीसदी टैरिफ हो गया है. एक्सपर्ट का यह भी कहना है कि अगस्त के मुकाबले सितंबर महीने में और गिरावट आ सकती है, क्योंकि टैरिफ का असर इस पूरे महीने दिखेगा.
क्या कहते हैं निर्यात के आंकड़े
जीटीआरआई ने बताया कि जुलाई में निर्यात जून के मुकाबले 3.6 फीसदी गिरकर 8 अरब डॉलर हो गया. जून के महीने में भी मई के मुकाबले 5.7 फीसदी की गिरावट देखी गई थी, जो 8.3 अरब डॉलर था. मई 2025 में आखिरी बार निर्यात में तेजी देखी गई थी, जब अमेरिका को भेजे गए शिपमेंट्स अप्रैल के मुकाबले 4.8 फीसदी बढ़कर 8.8 अरब डॉलर हो गए थे. इससे पहले अप्रैल में अमेरिका को निर्यात 8.4 अरब डॉलर रहा था. निर्यात में गिरावट सीधे तौर पर शुल्कों की तेजी से बढ़ोतरी को ही दर्शाती है.
5 अप्रैल से ही दिखने लगा टैरिफ का असर
भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात में 5 अप्रैल से ही टैरिफ का असर दिख रहा है. इससे पहले 4 अप्रैल तक भारतीय वस्तुएं सबसे पसंदीदा राष्ट्र (MFN) की दरों पर अमेरिका में प्रवेश कर रही थीं. इसके बाद 5 अप्रैल से वाशिंगटन ने 10 फीसदी का एक सार्वभौमिक शुल्क लगाया, जिसने शुरू में व्यापार प्रवाह को प्रभावित नहीं किया क्योंकि आयातकों ने खरीदारी को आगे बढ़ाया. लिहाजा मई में निर्यात में वृद्धि हुई, लेकिन इसके बाद से ही गिरावट आनी शुरू हो गई.
अगस्त से लगा असली झटका
अमेरिका को होने वाले निर्यात में गिरावट तो मई से ही आनी शुरू हो गई थी, लेकिन असली झटका अगस्त से लगना शुरू हुआ, जब 7 अगस्त को शुल्क 10 से बढ़कर 25 फीसदी हो गया और फिर 27 अगस्त को अधिकांश उत्पादों के लिए 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया. इससे निर्यातकों के लिए समायोजन की बहुत कम गुंजाइश बची, परिणामस्वरूप अब तक की सबसे तेज मासिक गिरावट आई. सितंबर में और भी अधिक गिरावट का अनुमान है, क्योंकि यह पहला महीना होगा जो पूरी तरह से 50 फीसदी टैरिफ के साथ बीतेगा.
किस सेक्टर पर सबसे ज्यदा असर
उन्होंने कहा कि भारत के लगभग एक-तिहाई निर्यात जिनमें फार्मास्यूटिकल्स और स्मार्टफोन शामिल हैं, अमेरिका में शुल्क-मुक्त हैं. इसका मतलब है कि शुल्क-प्रभावित वस्तुओं पर प्रभाव शीर्षक आंकड़ों से कहीं अधिक गहरा है. श्रम-प्रधान क्षेत्रों जैसे कपड़े, रत्न और आभूषण, चमड़ा, झींगा और कालीन सबसे ज्यादा तनाव में हैं, क्योंकि इनके कुल निर्यात का 30 से 60 फीसदी हिस्सा सिर्फ अमेरिका से आता है. GTRI का अनुमान है कि अगर मार्च तक 50 फीसदी टैरिफ बना रहा तो भारतीय निर्यात को 30-35 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ सकता है.
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
September 17, 2025, 12:46 IST