अधिकारी पेरेंट्स के बेटे, पढ़ाई में अव्वल... कैसे वामपंथी बने सीता राम येचुरी

1 week ago

Sitaram Yechury: सीताराम येचुरी ऐसे घर में पैदा हुए जो अधिकारियों का घर था यानि उनके माता पिता दोनों अधिकारी थे. वह खुद पढ़ने लिखने में विलक्षण. घर की स्थिति काफी अच्छी… ऐसी बैकग्राउंड का शख्स कैसे वामपंथी बन गया. फिर अपनी सारी जिंदगी वामपंथी बनकर गुजार दी. मिलने वाले उनकी सहजता और साधारण जीवनशैली की तारीफ करते थे. वह ऐसे खांटी वामपंथी दौर के पुरोधा थे, जो पीढ़ी धीरे धीरे विदा हो रही है.

अगर उनके फेसबुक पेज पर जाइए तो वह लगातार उस पर सक्रिय रहते थे. अपने विचार, सहमति और असहमति के लिए वह उनका मंच था. ट्विटर यानि एक्स पर एक्टिव थे. अब इन सारी जगहों पर सन्नाटा छा जाएगा. उनकी कमी सियासत से लेकर इन सारी जगहों पर खलेगी.

ये मुश्किल से बीस दिनों पहले की बात थी. वह एम्स में भर्ती हो चुके थे. बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव दासगुप्ता का निधन हुआ. उन्होंने वहीं से अपना शोक संदेश वीडियो के जरिए भेजा. उसमें वह दुबले लग रहे थे. धीरे धीरे बोल रहे थे. हां ये हैरानी थी कि तेलूगु राज्य में पैदा हुआ शख्स कैसे इतनी धाराप्रवाह बंगला बोल रहा है.

वह काफी दुबले हो गए थे
जिन लोगों ने उन्हें बीस दिन पहले और हाल में एम्स में देखा उनका यही कहना था कि वह आधे हो चुके थे. कोविड के बाद वह बदल गए थे, ऐसा कुछ लोगों का कहना था लेकिन वह खुद इस बात को फीकी हंसी में उड़ाने की कोशिश करते . तीन साल पहले कोविड में उनके 34 साल के बेटे की मृत्यु गुरुग्राम के एक अस्पताल में हो गई. उसका शायद उन्हें बड़ा झटका लगा.

वामपंथ के मजबूत सिपाही
वह बेहद प्रबुद्ध नेताओं में गिने जाते थे. विषयों की समझ रखते थे. वामपंथी उन्हें मध्य मार्गी कहते थे और वह खुद वामपंथ का मजबूत सिपाही. हालांकि वामपंथी नेताओं से उनकी कुछ विचारों की टकराहट होती रहती थी. लेकिन उनके कामकाज और पार्टी के प्रति वफादारी पर कोई कभी अंगुली नहीं उठा सका.

कैसा था परिवार
वह तीन बार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव रहे. 1992 से सीपीआई (एम) के पोलित ब्यूरो के सदस्य थे. 2005 से 2017 तक पश्चिम बंगाल से राज्यसभा के सांसद थे. ये बड़ा सवाल हो सकता है कि तेलुगू परिवार में पैदा होने वाले कम वामपंथी नेता बनते हैं. परिवार भी उनका ऐसा नहीं था. पिता सर्वेश्वर सोमयाजुला येचुरी बड़े इंजीनियर थे. सरकारी महकमे में थे. मां कल्पकम येचुरी सरकारी अधिकारी थीं. अब भी आंंध्र प्रदेश में काकीनाडा में रहती हैं.

कैसे बन गए वामपंथी
ऐसे परिवार में पैदा होकर वह वामपंथ की ओर कैसे गए और ऐसे गए कि वामपंथ उनका सोना, जागना और जीवन बन गया. वह तो हैदराबाद में पढ़ रहे थे. हैदराबाद में ऑल सेंट्स हाई स्कूल दसवीं कक्षा में थे. 60 के दशक के आखिर में वहां तेलंगाना आंदोलन शुरू हो गया. आंध्र में स्कूल और पढ़ाई पर असर पड़ा. लिहाजा उनका एडमिशन दिल्ली में करा दिया.

बीए और एमए इकोनॉमिक्स में फर्स्ट क्लास
तो कहना चाहिए कि दिल्ली में रहने के दौरान यहां की संगत और संगत से मिली आबोहवा ने उन्हें कामरेड बना दिया. वह पहले प्रेसिडेंट्स एस्टेट स्कूल, नई दिल्ली में पढ़ने गए. आप जरा सोचिए कि वह ऐसे स्टूडेंट थे कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड उच्चतर माध्यमिक परीक्षा में अखिल भारतीय स्तर पर प्रथम स्थान हासिल किया. दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में बीए (ऑनर्स) में फर्स्ट क्लास में पास हुए. असल में जेएनयू ने उन्हें खांटी कामरेड बनाया., जहां से उन्होंने अर्थशास्त्र में एमए प्रथम श्रेणी में किया. ​​उन्होंने अर्थशास्त्र में पीएचडी करने के लिए जेएनयू में दाखिला लिया. हालांकि ऐसा कर नहीं पाए, क्योंकि उनकी पीएचडी को आपातकाल के दौरान गिरफ्तारी के साथ रद्द कर दिया गया

Tags: Indian politics, Sitaram Yechury

FIRST PUBLISHED :

September 12, 2024, 16:27 IST

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