अमेरिका की नौकरी छोड़ बेकरी खरीदी, फिर हुआ ऐसा चमत्कार कि बन गया 'मठ'! जानिए

1 day ago

Last Updated:March 30, 2025, 20:44 IST

Mumbai Nathswami Bakery Math: नाथस्वामी बेकरी मठ, लोअर परेल और करी रोड स्टेशन के पास स्थित है. नाथस्वामी ने 2010 में अमेरिका की नौकरी छोड़कर बेंगलुरु में बेकरी शुरू की. स्वामी समर्थ की तस्वीर से बेकरी मठ में बद...और पढ़ें

अमेरिका की नौकरी छोड़ बेकरी खरीदी, फिर हुआ ऐसा चमत्कार कि बन गया 'मठ'! जानिए

हाइलाइट्स

नाथस्वामी ने 2010 में अमेरिका की नौकरी छोड़ी और बेकरी खरीदी.स्वामी समर्थ की तस्वीर से बेकरी मठ में बदल गई.नाथस्वामी ने 'मठ तुम्हारे द्वार' की संकल्पना चलाई.

मुंबई: लोअर परेल स्टेशन और करी रोड स्टेशन से सिर्फ 5 मिनट की दूरी पर स्थित है नाथस्वामी बेकरी मठ. इस मठ को नाथस्वामी बेकरी मठ नाम कैसे मिला? या इसे बेकरी मठ क्यों कहते हैं? ऐसा सवाल अक्सर लोगों के मन में आता है. सोमवार, 31 मार्च को स्वामी समर्थ प्रकट दिन है. इस मौके पर हम नाथस्वामी बेकरी मठ की कहानी जानेंगे. तन्वी कदम ने लोकल18 से बात करते हुए इस बारे में जानकारी दी है.

अक्सर लोगों को सवाल होता है कि मठ को ‘बेकरी मठ’ नाम क्यों दिया गया? इसके पीछे नाथस्वामी के आध्यात्मिक सफर की एक खास कहानी है. साल 2010 में, नाथस्वामी ने अमेरिका की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी की नौकरी छोड़कर अपना खुद का बिजनेस शुरू करने का निर्णय लिया. उन्होंने कर्नाटक के बेंगलुरु की अय्यंगार बेकरी खरीदी और अपने बेटे के नाम पर चैतन्य बेंगलुरु अय्यंगार बेकरी शुरू की, लेकिन, स्वामी का मन आध्यात्मिक सेवा में अधिक था. उनके पास मार्गदर्शन के लिए आने वाले लोगों की मदद करते हुए बेकरी श्रद्धास्थान बन गई.

तस्वीर की अलौकिकता
बता दें कि नाथस्वामी ने बेकरी में स्वामी समर्थ की तस्वीर लगाई, जो भक्तों को चमत्कारी अनुभव देने लगी. लोगों की श्रद्धा बढ़ी और बेकरी मठ में बदल गई. जिस दुकान के गाले में यह बेकरी थी, वह जगह किराए पर ली गई थी. बेकरी चलते समय ही जगह के मालिक ने किराए का करार न बढ़ाते हुए मठ खाली करने की मांग की. स्वामी ने सभी प्रयास किए लेकिन जगह नहीं बचा पाए, लेकिन उन्होंने इस घटना को भी स्वामी समर्थ की कृपा से जोड़ा.

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लोकल 18 से बात करते हुए तन्वी कदम ने बताया कि स्वामी के मार्गदर्शन में ‘मठ तुम्हारे द्वार’ की संकल्पना चलाई गई. भक्त परिवार बिखर न जाए, इसके लिए नाथस्वामी ने हर भक्त को एक-दूसरे से जोड़े रखा. ग्यारह समागम पूरे नहीं हुए थे कि नाथस्वामी की कृपा से मठ के लिए सही जगह मिल गई. इसमें स्वामी की पत्नी ममता सतीश करलकर ने बड़ा त्याग किया. उन्होंने अपनी पूरी जीवनभर की बचत नाथस्वामी के कार्य के लिए अर्पित कर दी.

First Published :

March 30, 2025, 20:44 IST

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