Last Updated:May 13, 2025, 16:23 IST
डॉ. प्रहलाद रामाराव ने डीआरडीओ में 15 साल की मेहनत के बाद आकाश मिसाइल बनाए. ऑपरेशन सिंदूर में इसकी सफलता पर उन्होंने गर्व जताया. वो डीआरडीओ में डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम के साथ काम कर चुके हैं. उन्होंने बताय...और पढ़ें

आकाश मिसाइल ने पाकिस्तान को खूब परेशान किया. (News18)
हाइलाइट्स
ऑपरेशन सिंदूर में आकाश मिसाइल ने पाकिस्तानी ड्रोन गिराएडॉ. प्रहलाद रामाराव ने आकाश मिसाइल की सफलता पर गर्व जतायाआकाश मिसाइल की कीमत एस-400 से आधी से भी कमनई दिल्ली. भारत पाकिस्तान के बीच पहलगाम आतंकी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के तहत जंग हुई तो पाकिस्तान की तरफ से जमकर ड्रोन हमले किए गए. आर्मी के सामने चुनौती थी कि इन ड्रोन को मारने के लिए एस-400 जैसी महंगी रूसी तकनीक को इस्तेमाल करें या फिर स्वदेशी आकाश मिसाइल को आजमाया जाए. आकाश मिसाइल ने मुनीर की सेना के जो छक्के छुड़ाए, जिसे देखकर इसे बनाने वाले डीआरडीओ के वैज्ञानिक डॉक्टर डॉ. प्रहलाद रामाराव भी भावुक हो गए. 15 साल की कड़ी मेहनत के बाद आकाश मिसाइल बनाने वाले प्रहलाद ने एक यूट्यूब चैनल से बातचीत के दौरान इसपर विस्तार में अपनी बात रखी. उन्होंने भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने ही डीआरडीओ में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी थी.
डॉ. प्रहलाद रामाराव ने ऑपरेशन सिंदूर में आकाश मिसाइल की सफलता पर गर्व जताया. उन्होंने बताया कि कैसे इस सिस्टम ने पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइलों को नष्ट कर भारत की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाई. उन्होंने भावुक होकर कहा, “यह मेरे जीवन का सबसे खुशी का दिन था.” डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के साथ काम कर चुके 78 साल के प्रहलाद बताते हैं कि पूर्व राष्ट्रपति ने ही उन्हें आकाश प्रोग्राम का सबसे युवा प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनाया था. डॉ. कलाम ने शुरुआती असफलताओं के बावजूद उनका हौसला बढ़ाया और कहा कि तुम सही कर रहे हो मैं तुम्हारे साथ हूं.
15 साल में तैयार हुई आकाश मिसाइल
डॉ. रामाराव ने बताया कि आकाश को बनाने में 15 साल लगे. शुरू में सेना को इसकी क्षमता पर शक था, लेकिन इसने F-16 जैसे विमानों को भी रोकने की क्षमता साबित की. उन्होंने कहा कि मिसाइल में गति, सटीकता और इंटेलिजेंस पर ध्यान दिया गया. आकाश के अलावा उन्होंने ब्रह्मोस, K-15 और एस्ट्रा जैसी मिसाइलों पर भी काम किया है. वे भारत की मिसाइल तकनीक को किफायती, उपयोग में आसान और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी मानते हैं. यही वजह है कि आर्मेनिया जैसे देशों ने इसे भारत से खरीदा.
आकाश मिसाइल शांति स्थापित करने के लिए
उन्होंने कहा कि यह मिसाइल देश की सुरक्षा के लिए जरूरी है और इसका उद्देश्य शांति बनाए रखना है, न कि युद्ध को बढ़ावा देना. युवा वैज्ञानिकों को प्रेरित करते हुए कहा डॉक्टर रामाराव ने कहा कि भारत को स्वदेशी तकनीक और टीम वर्क पर ध्यान देना चाहिए. वे सस्टेनेबल एनर्जी पर भी काम कर रहे हैं, खासकर लो-एनर्जी न्यूक्लियर रिएक्शन (LENR) के क्षेत्र में, ताकि भविष्य में स्वच्छ ऊर्जा का रास्ता खुल सके. डॉ. रामाराव की बातें भारत की रक्षा और वैज्ञानिक प्रगति में उनके योगदान को दर्शाती हैं, साथ ही उनकी विनम्रता और देशभक्ति को भी उजागर करती हैं.
एस-400 से आधी से भी कम कीमत में बनी आकाश
एस-400 और आकाश मिसाइल की लागत में बड़ा अंतर है. एस-400, रूस का एयर डिफेंस सिस्टम है, जिसकी एक बैटरी की कीमत लगभग 1.25 अरब डॉलर यानी 10,400 करोड़ रुपये है. भारत ने 2018 में पांच स्क्वाड्रन के लिए 35,000 करोड़ रुपये का सौदा रूस से किया था. एक एस-400 मिसाइल की कीमत 2.5 से 8.3 करोड़ रुपये तक हो सकती है. वहीं, स्वदेशी आकाश मिसाइल की बात की जाए तो इसकी कीमत प्रति मिसाइल 2 से 5 करोड़ रुपये है.
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...
और पढ़ें
भारत पाकिस्तान की ताज़ा खबरें News18 India पर देखें