Jammu & Kashmir News: जम्मू और कश्मीर के गंदरबल जिले स्थित श्रमिकों के शिविर को आतंकियों ने अपना निशाना बनाया था. इस आतंकी हमले में सात लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था. इस आतंकी हमले की जांच कर रही सुरक्षा एजेंसियों के माथे पर उस वक्त सिकन आ गई, जब सीसीटीवी फुटेज में इन आतंकियों को एम4 असॉल्ट राइफल के साथ देखा गया. अमेरिकी सेना के लिए खास तौर पर तैयार की गई यह असॉल्ट राइफल एम4 तक आतंकियों की पहुंच ने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए नई चुनौती पैदा कर दी है.
सूत्रों के अनुसार, ऐसा नहीं है कि जम्मू और कश्मीर में सक्रिय आतंकियों के पास एम-4 असॉल्ट राइफल को पहली बार देखा गया है. 2017 में जब जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के भतीजे रशीद मसूद को पुलवामा में ढेर किया था, उस वक्त उसके कब्जे से एम-4 राइफल बरामद की गई थी. इसके बाद, अखनूर में मारे गए आतंकियों के कब्जे से भी एम-4 राइफल बरामद की गई थीं. पुंछ, राजौरी, कठुआ और राजौरी में हुए आतंकी हमलों में भी एम-4 राइफल के इस्तेमाल की बात सामने आई थी. अब आतंकियों तक एम-4 जैसे मार्डन वैपन कैसे पहुंच रहे हैं, वह सुरक्षा बलों के लिए चिंता की बात बन गई है.
आतंकियों तक कैसे पहुंची एम-4 राइफल
यहां बड़ा सवाल यह है कि 1980 में खासतौर पर यूएस मिलिट्री और यूएस मरीन की कॉमबैट यूनिट के लिए खासतौर पर तैयार की गई एम-4 राइफल जम्मू और कश्मीर में सक्रिय आतंकियों तक कैसे पहुंची, सूत्रों के अनुसार, अफगानिस्तान में तालिबान का सफाया करने आई यूएस मिलिट्री के अमेरिकी सैनिकों को एम-4 राइफल मुहैया कराई गई थी. उस दौरान, अमेरिकी सैनिकों को हथियारों की आपूर्ति कराची बंदरगाह के रास्ते की जाती थी. ये हथियार कराची से खैबर पख्तूनख्वा के रास्ते अफगानिस्तान भेजे जाते थे. इन हथियारों को हासिल करने के लिए पाकिस्तान ने गहरी साजिश रची.
सूत्रों के अनुसार, कराची बंदरगाह से खैबर पख्तूनख्वा के रास्ते अफगानिस्तान ले जाने के लिए ट्रक डाइवरों की तैनाती गुप्त रूप से आईएसआई करती थी. साजिश के तहत, पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के इशारे पर हथियार सप्लाई के लिए इस्तेमाल होने वाले वाहन से मिलते जुलते पुराने वाहन को अफगानिस्तान की तोरखम सीमा पर ब्लास्ट करके उड़ा देते थे. इस ब्लास्ट का वीडियो अमेरिका भेजने के बाद यह दावा किया जाता था कि तालिबान ने ट्रक को ब्लास्ट कर उड़ा दिया है. इस तरह, पाकिस्तान से आने वाली एम-4 राइफल को अपने कब्जे में ले लेता था. अब यह एम-4 राइफलों का इस्तेमाल कश्मीर में आतंकवाद के लिए किया जा रहा है.
क्यों बेहद खतरनाक है एम-4 राइफल?
यूएस मिलिट्री 2022 तक एम-4 राइफल का इस्तेमाल प्राइमरी इफ्रेंटी वैपन के तौर पर कर रही थी. इसे यूएस मिलिट्री की सर्विस राइफल के तौर पर देखा जाता था. गैसे से ऑपरेट होने वाली एयर कूल्ड एम-4 कार्बाइन असॉल्ट राइफल बेहद हल्का हथियार है. इस ऑटोमैटिक वैपन से एक मिनट में 700 से 970 राउंड गोलियां चलाई जा सकती हैं. करीब 3600 मीटर फायरिंग रेंच वाले इस हथियार से ग्रेनेड भी लांच किया जा सकता है. इसके अलावा, एम-4 राइफल में स्टील की ऐसी गोलियों का इस्तेमाल किया जाता है, जो सुरक्षा बलों की बुलेट प्रूफ जैकेट्स को भी भेदने की क्षमता रखती हैं.
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FIRST PUBLISHED :
November 12, 2024, 17:02 IST