Last Updated:June 24, 2025, 10:30 IST
Bypoll Result Explained: केरल, पंजाब, गुजरात और बंगाल के उपचुनाव में बीजेपी को सिर्फ एक सीट मिली. कांग्रेस को केरल में जीत मिली. AAP ने पंजाब और गुजरात में, TMC ने बंगाल में जीत दर्ज की. हालांकि फिर भी ये नतीजे...और पढ़ें

5 सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी केवल एक, जबकि इंडिया गठबंधन के घटक दलों ने चार पर जीत दर्ज की है.
हाइलाइट्स
बीजेपी को गुजरात, तो कांग्रेस को केरल की एक सीट पर जीत मिली.AAP ने पंजाब और गुजरात में एक-एक सीट पर जीत दर्ज की.टीएमसी ने बंगाल की कालिगंज सीट पर कब्जा जमाया.केरल से लेकर पंजाब तक देश के चार राज्यों में पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के नतीजे सोमवार को साफ हो गए. इन 5 में बीजेपी को केवल एक गुजरात की काड़ी सीट पर भगवा ध्वज लहराने का मौका मिला, जबिक विपक्षी इंडिया गठबंधन के दलों ने चार पर अपना कब्जा जमाया. इसमें आम आदमी पार्टी ने पंजाब की लुधियाना और गुजरात की विसावदर सीट पर जीत दर्ज की, वहीं कांग्रेस के खाते में केरल की निलांबुर और टीएमसी के खाते में पश्चिम बंगाल की कालिगंज सीट गई.
इस उपचुनाव में बीजेपी भले ही एक सीट जीत सकी है, लेकिन यह नतीजे कांग्रेस के लिए सबसे बुरे साबित हुए हैं. चाहे वह उत्तर में पंजाब और दक्षिण में केरल हो या पश्चिम में गुजरात और पूर्व में बंगाल, कांग्रेस इन सभी जगह सबसे ज्यादा चोटिल हुई है. ये नतीजे इस बात की भी याद दिलाते हैं कि विपक्षी इंडिया ब्लॉक बीजेपी के खिलाफ सामूहिक लड़ाई के अपने लक्ष्य से कितना दूर चला गया है और गठबंधन के घटक दल आपस में ही लड़कर खुद को ही जख्म दे रहे हैं.
कांग्रेस के लिए बड़े खतरे की घंटी
कांग्रेस इन उपचुनावों में भले ही केरल की नीलांबुर सीट जीत गई हो, लेकिन बाकी राज्यों में पार्टी का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा. नीलांबुर की जीत एक भावनात्मक और रणनीतिक बढ़त जरूर देती है, लेकिन इसमें भी कांग्रेस को पूरी तरह अकेले श्रेय नहीं दिया जा सकता. जिस तरह से तृणमूल कांग्रेस ने यहां अपने समर्थित प्रत्याशी पीवी अनवर के जरिये मुकाबले में दखल दी, वह कांग्रेस के लिए स्पष्ट संकेत है कि विपक्षी एकता केवल नाम की रह गई है. अनवर को लगभग 19,000 वोट मिले, और इससे एलडीएफ का वोटबैंक कट गया, जिसका अप्रत्यक्ष लाभ कांग्रेस को हुआ. लेकिन तृणमूल की यह रणनीति और उसका केरल जैसे राज्य में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना कांग्रेस के लिए भविष्य में मुश्किलें पैदा कर सकता है.
AAP को डबल खुशी
दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी ने गुजरात और पंजाब दोनों में कांग्रेस को करारी शिकस्त दी. खासतौर पर गुजरात के विसावदर में कांग्रेस उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा सके, वहीं पंजाब की लुधियाना वेस्ट सीट पर तीन प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस, बीजेपी और अकाली दल के मुकाबले AAP के उम्मीदवार संजीव अरोड़ा ज्यादा मजबूत साबित हुए. यह पराजय इसलिए और भी शर्मनाक है, क्योंकि कांग्रेस ने लुधियाना वेस्ट को मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार के खिलाफ “जनमत संग्रह” की तरह पेश किया था. लेकिन नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस खुद तीसरे नंबर पर खिसक गई.
AAP और कांग्रेस के रिश्तों में आई तल्खी भी इन नतीजों से स्पष्ट है. दिल्ली में कांग्रेस के सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ने के फैसले को लेकर AAP नाराज थी, और अब उसने इन उपचुनावों में कांग्रेस की नींव पर ही चोट कर दी है. अरविंद केजरीवाल अब दोबारा यह दावा कर सकते हैं कि उनकी पार्टी ही कांग्रेस की जगह बीजेपी से सीधी टक्कर ले सकती है. खासतौर पर पंजाब, दिल्ली और गुजरात जैसे राज्यों में.
राहुल की मेहनत बेअसर
गुजरात की कड़ी सीट का परिणाम कांग्रेस के लिए और भी चौंकाने वाला रहा. यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी हाल के समय में दलित-ओबीसी वोटों को केंद्र में रखकर बड़े अभियान चला रहे थे. लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस को इस सीट पर लगभग 40,000 वोटों से हार का सामना करना पड़ा. यह उस राज्य में हुआ जहां राहुल गांधी ने कुछ महीनों पहले ही ‘कांग्रेस की वापसी’ का रोडमैप पेश किया था और कहा था कि पार्टी 2027 में बीजेपी को गुजरात में हराएगी.
बंगाल में ममता ही किंग
उधर पश्चिम बंगाल की कालिगंज सीट पर तृणमूल कांग्रेस की सहज जीत ने यह भी साफ कर दिया है कि ममता बनर्जी अब कांग्रेस को दोस्त की बजाय प्रतिद्वंद्वी मानती हैं. TMC का यह विश्वास भी और मजबूत हुआ है कि बंगाल में कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन उनके लिए चुनौती नहीं है, बल्कि बीजेपी से मुकाबला ही उनकी असली रणनीति का हिस्सा रहेगा. इससे विपक्षी एकता की अवधारणा को और गहरा धक्का लगा है.
इन नतीजों में यह बात भी उभरकर सामने आई कि विपक्षी दल न केवल बीजेपी के खिलाफ, बल्कि आपस में भी टकराव की स्थिति में हैं. न तो सीट साझा करने को लेकर कोई स्पष्ट रणनीति है और न ही नेतृत्व को लेकर कोई आम सहमति. कांग्रेस, जो खुद को INDIA ब्लॉक की धुरी मानती है, अब सहयोगी दलों की आंखों में भरोसे की बजाय संदेह का विषय बनती जा रही है. एक तरफ जहां AAP और TMC जैसे दल कांग्रेस की कमजोरी को अपने विस्तार का अवसर मान रहे हैं, वहीं कांग्रेस की खुद की रणनीति, संगठन और नेतृत्व के संकट भी उसके पतन को तेज कर रहे हैं.
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...
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New Delhi,Delhi