Last Updated:March 04, 2025, 10:21 IST
इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान 1974 में हुआ एक समझौता कई भारतीय को भारी पड़ रहा है. इस संधि से भारत की समुद्री सीमा ही घट गई. इस कारण कई भारतीयों को श्रीलंका की जेल में सड़ना पड़ता है. जानें क्या है...और पढ़ें

इंदिरा गांधी के दौर में श्रीलंका से 50 पहले हुआ एक समझौता अब कई भारतीय की मुसीबत बन गया है. (प्रतीकात्मक)
हाइलाइट्स
1974 की संधि से भारतीय मछुआरों को परेशानी हो रही है.तब केंद्र में इंदिरा गांधी की सरकार थी, जिसने श्रीलंका से यह समझौता किया.50 साल पुरानी समुद्री सीमा संधि अब राजनीतिक मुद्दा बन गई है.दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु में मछुआरों की गिरफ्तारी का मामला अब राजनीति का मुद्दा बन गया है. इस वजह से वहां भारत और श्रीलंका के बीच 50 साल पुरानी समुद्री सीमा संधि एक बार फिर चर्चा में आ गई है. तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि ने कहा है कि 1974 की संधि की वजह से मछुआरों को परेशानी हो रही है. उनका कहना है कि उस समय दिल्ली और चेन्नई की सरकारों ने बहुत बड़ी गलती की थी, जिससे भारतीय मछुआरे अपने समुद्र के अधिकारों से वंचित कर दिए गए थे.
1974 में जब यह संधि हुई थी, तब केंद्र में इंदिरा गांधी और तमिलनाडु में करुणानिधि की सरकार थी. ऐसे में राज्यपाल के इस बयान से विवाद और बढ़ गया. वहीं तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि इंदिरा गांधी सरकार ने कच्चतीवू द्वीप श्रीलंका को दे दिया था.
श्रीलंका से पुराना है समुद्री सीमा का विवाद
वैसे भारत और श्रीलंकाई समुद्री सीमा को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है. मछुआरों का कहना है कि कच्चतीवू के आसपास का समुद्र उनकी परंपरागत मछली पकड़ने की जगह है, लेकिन श्रीलंका की नौसेना उन्हें गिरफ्तार कर लेती है. श्रीलंका के गृहयुद्ध के दौरान वहां के मछुआरे समुद्र में नहीं जा पाते थे, इसलिए भारतीय मछुआरों को वहां मछली पकड़ने का मौका मिलता था. हालांकि अब श्रीलंका में स्थिति सामान्य हो गई है और अब वहां के मछुआरे भारतीय मछुआरों का विरोध कर रहे हैं और श्रीलंकाई नौसेना उन्हें पकड़ रही है.
पिछले 20 सालों में 6,000 से ज़्यादा भारतीय मछुआरों को श्रीलंका ने गिरफ्तार किया है. 1,185 नावें जब्त की गई हैं. 2024 में अब तक 528 भारतीय मछुआरे गिरफ्तार किए जा चुके हैं. 2023 में यह संख्या 220 और 2022 में 229 थी. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 2024 में यह जानकारी दी थी.
50 साल पहले की वह संधि क्या?
1974 में भारत और श्रीलंका ने समुद्री सीमा को लेकर एक संधि की थी. इस संधि में पाक स्ट्रेट से लेकर राम सेतु तक की सीमा तय की गई थी. इसके तहत कच्चतीवू द्वीप श्रीलंका को दे दिया गया. 1974 की संधि में कहा गया था कि भारतीय मछुआरे और तीर्थयात्री बिना वीजा के कच्चतीवू जा सकेंगे. यह भी कहा गया था कि भारत और श्रीलंका के जहाज एक-दूसरे के समुद्री क्षेत्र में आ जा सकेंगे. हालांकि इसके बाद फिर 1976 में एक और संधि हुई, जिसमें भारतीय मछुआरों का कच्चतीवू के पास मछली पकड़ने का अधिकार भी खत्म कर दिया गया.
भारत और श्रीलंका के बीच 50 साल पहले हुआ यह समझौता अब तमिलनाडु में राजनीतिक रंग ले चुका है. बीजेपी का कहना है कि 1974 की संधि से भारत कमजोर हुआ है. तमिलनाडु के मछुआरों को उनके अधिकारों से वंचित किया गया है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा है कि इंदिरा गांधी सरकार ने कच्चतीवू द्वीप श्रीलंका को देकर गलत किया था.
तमिलनाडु के मछुआरे केंद्र सरकार से इस मामले में सख्त कदम उठाने की मांग कर रहे हैं. वहीं राज्यपाल रवि और बीजेपी इस संधि को गलत बता रहे हैं. ऐसे में अब देखना होगा कि केंद्र सरकार क्या करती है. क्या यह विवाद सिर्फ़ राजनीति तक ही सीमित रहेगा?
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
March 04, 2025, 10:21 IST