इन 'पाकिस्तानियों' को J&K में जमीनों पर मालिकाना हक क्यों दे रही भारत सरकार?

1 month ago

जम्मू: भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 हटने की पांचवीं सालगिरह से ठीक पांच दिन पूर्व बड़ा फैसला लिया है. जम्मू-कश्मीर सरकार ने पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों (WPR) को भारत के अंडकर आने वाले केंद्र शासित प्रदेश में जमीन पर मालिकाना हक दिया है. आखिर ऐसा क्यों किया गया और इसके क्या नफे नुकसान हो सकते हैं, आइए जानें.

दरअसल जम्मू कश्मीर में जमीनों पर ये मालिकाना हक उन्हीं पाकिस्तानी विस्थापितों को प्रदान किया गया है, जिनके पूर्वजों को तत्कालीन राज्य सरकार ने 70 साल पहले बसाया था. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, अधिकारियों ने बताया कि फैसले से पश्चिमी पाकिस्तान से विस्थापित लोगों के साथ सात दशक से अधिक पुराना भेदभाव खत्म हो गया है. अब उन्हें भी राज्य की भूमि पर मालिकाना हक दे दिया गया है. ऐसा ही पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) से विस्थापित लोगों के मामले में किया गया है. उन्होंने कहा कि इससे जम्मू क्षेत्र में बसे पश्चिमी पाकिस्तान से विस्थापित हजारों परिवारों को सशक्त बनाया जा सकेगा.

अब तक इन परिवारों को ‘नॉन-स्टेट सब्जेक्ट’ माना जाता था और उन्हें पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य में विधान सभा चुनावों में वोट देने का कोई अधिकार नहीं था. बाद में 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 के खत्म होने के मद्देनजर भारत सरकार से इन्हें डोमिसाइल का दर्जा मिला.

कई दशकों की मांग से मिला इनसे बराबरी का दर्जा…
सरकारी प्रवक्ता की ओर से कहा गया कि इस फैसले से उन सभी जुड़े परिवारों की मांग पूरी हो गई है, जो पिछले कई दशकों से मालिकाना हक के लिए अनुरोध कर रहे थे. अब पश्चिमी पाकिस्तान से विस्थापित लोग, POJK (पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर) के विस्थापित लोगों के बराबर आ जाएंगे और उनकी लंबे समय से लंबित मांग भी पूरी हो जाएगी.

जमीन का मिसयूज़ न हो, इस पर रखी जाएगी निगरानी
यह फैसला प्रशासनिक परिषद ने लिया जिसकी बैठक श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में हुई. काउंसिल ने राज्य की भूमि के संबंध में 1965 के विस्थापित व्यक्तियों को मालिकाना हक प्रदान करने को भी मंजूरी दी है. प्रवक्ता ने कहा कि राजस्व विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि परिचालन दिशानिर्देशों में उचित सुरक्षा उपाय किए जाएं ताकि राज्य की भूमि पर किसी भी अनधिकृत अतिक्रमण जैसे किसी भी मिस यूज को रोका जा सके.

कितनी भूमि मिली और किस आधार पर…
आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, 1947 के विभाजन के दौरान पश्चिमी पाकिस्तान के क्षेत्रों से कुल 5,764 परिवार जम्मू और कश्मीर आए थे. फिर उन्हें प्रति परिवार 4 एकड़ कृषि भूमि आवंटित की गई और उन्हें जम्मू, सांबा और कठुआ जिलों में बसाया गया. अब उनकी संख्या बढ़कर 22,170 हो गई है. डब्ल्यूपीआर के एक प्रमुख नेता लाभ राम गांधी के अनुसार, इनमें से केवल 20 प्रतिशत परिवारों को ही कृषि भूमि मिली है. पश्चिमी पाकिस्तान से आने पर उन्हें 4 एकड़ प्रति परिवार की दर से कुल 46,666 कनाल (5,833.25 एकड़ के बराबर) भूमि आवंटित की गई थी.

हालांकि, गांधी ने इस फैसले की सराहना करते हुए कहा कि इस भूमि का केवल 50 प्रतिशत हिस्सा राज्य की भूमि है और बाकी निष्कासित है क्योंकि यह जम्मू-कश्मीर के स्थानीय मुस्लिम निवासियों की है. वे मुस्लिम निवासी जो 1947 के विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए थे. ये डब्ल्यूपीआर के कब्जे में है.

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FIRST PUBLISHED :

July 31, 2024, 14:00 IST

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