Last Updated:October 27, 2025, 17:54 IST
भारतीय सेना ने इन्फैंट्री डे पर नेशनल वॉर मेमोरियल में पुष्पांजलि दी, जनरल उपेन्द्र द्विवेदी सहित वीर चक्र विजेताओं ने शौर्य और बलिदान को नमन किया.

नई दिल्ली: भारतीय सेना ने आज पूरे सम्मान और गौरव के साथ इन्फैंट्री डे यानी शौर्य दिवस मनाया. इस अवसर पर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (नेशनल वॉर मेमोरियल) में एक भव्य पुष्पांजलि समारोह आयोजित किया गया, जिसमें भारतीय थलसेना के साहस, बलिदान और अदम्य जज़्बे को नमन किया गया. थलसेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने अमर चक्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन अमर जवानों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने राष्ट्र की सेवा में अपने प्राण न्योछावर किए. इस अवसर पर वरिष्ठ सैन्य अधिकारी, सेवारत जवान, पूर्व सैनिक और वीर सैनिकों के परिजन भी उपस्थित रहे.
समारोह में तीन विशिष्ट युद्धवीरों ने भी भाग लिया:
– मेजर (से.नि.) आशीष सोनल, वीर चक्र, जिन्होंने ऑपरेशन पवन (1990) में अद्भुत शौर्य दिखाया,
– सुबेदार मेजर एवं मानद कैप्टन (से.नि.) कंवर सिंह, वीर चक्र, जिन्होंने ऑपरेशन मेघदूत (1989) में भाग लिया,
– लांस नाइक (से.नि.) अमृत, वीर चक्र, जिन्होंने ऑपरेशन कैक्टस लिली (1971) में अपने साहस की अमिट छाप छोड़ी.
इन वीरों ने इन्फैंट्री वेटरन्स की ओर से श्रद्धासुमन अर्पित किए, जो भारतीय पैदलसेना की गौरवशाली परंपरा और निःस्वार्थ सेवा का प्रतीक है.
इस ऐतिहासिक अवसर पर देशभर में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए गए. लखनऊ में फील्ड मार्शल के. एम. करिअप्पा स्मृति संगोष्ठी, दिल्ली कैंटोनमेंट में ‘शौर्यवीर रन’ और ‘वीर नारियों का सम्मान समारोह’ विशेष आकर्षण रहे. कार्यक्रम के दौरान ‘इन्फैंट्री मैगज़ीन’ का विमोचन भी किया गया, जिसमें भारतीय पैदलसेना की बहुआयामी क्षमताओं, आधुनिकता की दिशा में हो रहे विकास और वीरता की गाथाओं को संकलित किया गया है.
27 अक्टूबर: इतिहास का स्वर्णिम अध्याय
हर वर्ष 27 अक्टूबर को मनाया जाने वाला इन्फैंट्री डे भारतीय सैन्य इतिहास के सबसे गौरवशाली दिनों में से एक है. यही वह दिन है जब 1947 में भारतीय सेना की इन्फैंट्री बटालियनें सबसे पहले श्रीनगर हवाई अड्डे पर उतरी थीं, ताकि पाकिस्तान समर्थित कबायली आक्रमणकारियों से कश्मीर की रक्षा की जा सके.
उन बहादुर सैनिकों के असाधारण साहस ने न केवल श्रीनगर को बचाया, बल्कि भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की रक्षा का अमर उदाहरण स्थापित किया. आज का दिन हमें यह स्मरण कराता है कि भारतीय पैदलसेना केवल एक लड़ाकू बल नहीं, बल्कि राष्ट्र की सीमाओं का जीवंत प्रहरी है — जो हर परिस्थिति में मातृभूमि की रक्षा के लिए तत्पर रहता है.
एक विरासत, जो आज भी जीवित है
भारतीय इन्फैंट्री का इतिहास शौर्य, अनुशासन और त्याग की ऐसी कथा है जो हर पीढ़ी के सैनिकों को प्रेरित करती रही है. ‘शौर्य दिवस’ केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि हर उस सैनिक की याद है जिसने बिना किसी हिचकिचाहट के “राष्ट्र पहले” की भावना को जीया. आज जब भारतीय सेना आधुनिकता और आत्मनिर्भरता की नई ऊँचाइयाँ छू रही है, तब इन्फैंट्री के ये अमर बलिदान ही उस गौरव की नींव हैं, जिन पर भारत की सैन्य शक्ति खड़ी है.
Mohit Chauhan brings over seven years of experience as an Editorial Researcher, specializing in both digital and TV journalism. His expertise spans Defense, Relations, and Strategic Military Affai...और पढ़ें
Mohit Chauhan brings over seven years of experience as an Editorial Researcher, specializing in both digital and TV journalism. His expertise spans Defense, Relations, and Strategic Military Affai...
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Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
October 27, 2025, 17:54 IST

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