इस्लाम, कलेक्टर और... वक्फ कानून पर SC ने मानी मुस्लिमों की कौन-कौन सी मांग

1 month ago

Last Updated:September 15, 2025, 12:13 IST

Waqf Law Supreme Court Verdict: नए वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया. चीफ जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने मुस्लिम पक्ष की ओर से उठाई गई आपत्तियों पर गौर करते हुए इन नए वक्फ कानून की कुछ धाराओं पर रोक लगा दी है. जानें मुस्लिम पक्ष को किन-किन मामलों में राहत मिली है...

इस्लाम, कलेक्टर और... वक्फ कानून पर SC ने मानी मुस्लिमों की कौन-कौन सी मांगवक्फ (संसोधन) कानून-2025 पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए मुस्लिम पक्ष की कुछ दलीलें मान ली हैं. (फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) कानून-2025 को लेकर सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की ओर से उठाई गई आपत्तियों पर गौर करते हुए इन नए वक्फ कानून की कुछ धाराओं पर रोक लगा दी है. अदालत ने साफ किया कि कानून को पूरी तरह रोका नहीं जा सकता, लेकिन जिन प्रावधानों से व्यक्तिगत अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता पर असर पड़ता है, उन पर अंतरिम राहत जरूरी है.

सबसे अहम राहत उस प्रावधान पर दी गई, जिसमें कलेक्टर को वक्फ प्रॉपर्टी विवाद पर अंतिम निर्णय देने का अधिकार दिया गया था. मुस्लिम पक्ष ने दलील दी थी कि किसी सिविल विवाद को तय करने का अधिकार केवल न्यायपालिका को होना चाहिए, न कि कार्यपालिका को… सुप्रीम कोर्ट ने भी इस तर्क से सहमति जताई और कहा कि कलेक्टर नागरिकों के निजी अधिकारों का निपटारा नहीं कर सकते. इसलिए फिलहाल इस प्रावधान पर रोक रहेगी.

दूसरी बड़ी राहत उस शर्त पर दी गई जिसमें किसी संपत्ति को वक्फ करने के लिए कम से कम पांच साल तक इस्लाम की प्रैक्टिस करने की अनिवार्यता रखी गई थी. मुस्लिम याचिकाकर्ताओं ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बताया और कहा कि यह शर्त शरीयत और संविधान दोनों के खिलाफ है. कोर्ट ने इसे मानते हुए इस प्रावधान को भी अंतरिम रूप से निलंबित कर दिया.

वक्फ काउंसिल में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या को लेकर भी मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति दर्ज कराई थी. उनका कहना था कि वक्फ एक इस्लामिक संस्थान है और इसमें गैर-मुस्लिमों की असीमित भागीदारी सही नहीं है. अदालत ने इस पर भी आंशिक सहमति जताई और आदेश दिया कि वक्फ बोर्ड में तीन से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य शामिल नहीं होंगे और वक्फ परिषदों में कुल चार से अधिक गैर-मुस्लिम नहीं होंगे.

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अंतिम निर्णय आने तक यह रोक लागू रहेगी. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि कानून को पूरी तरह असंवैधानिक मानने का आधार अभी नहीं बनता, लेकिन जिन धाराओं से मौलिक अधिकार प्रभावित हो सकते हैं, उन पर सुरक्षा दी जा रही है.

Saad Omar

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

September 15, 2025, 12:13 IST

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