नई दिल्ली. केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में आरक्षण को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का बयान शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान को हजम नही हो रहा है. खड़गे ने आरोप लगाया है कि 46 केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के करीब 19 हजार स्वीकृत पदों में 27 फीसदी खाली पड़े हुए हैं, जिसमें 38 फीसदी से ज़्यादा एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षित पद खाली पड़े हैं. लेकिन खड़गे के इन आरोपों से भड़के केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने एक्स पर खड़गे को आड़े हाथों लिया. प्रधान ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की आदत सिर्फ झूठ बोलने की है. एक झूठ जब उसका टिकता नहीं है तो दूसरा झूठ लेकर निकल पड़ते हैं. जबकि, सच शीशे की तरह बिल्कुल साफ है. 2014 में कांग्रेस की यूपीए सरकार के समय केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 16,217 स्वीकृत पद थे जिसमें 6042 पद यानी, कुल 37 फीसदी पद खाली पड़े थे. एससी, एसटी और ओबीसी के 57 फीसदी , 63 फीसदी और 60 फीसदी पद खाली थे.
केन्द्रीय विश्वविद्यालयों की रिक्तियों को भरने में तेजी आई
धर्मेन्द्र प्रधान ने दावा किया कि मोदी सरकार हर वर्ग को साथ लेकर इन सभी रिक्त पदों को भरने का काम तेजी से कर रही है. यही वजह है कि 2014 की तुलना में 2024 में स्वीकृत पदों की संख्या 18,940 में बढ़ोतरी होने के बाद भी कुल रिक्त पदों की संख्या 37 फीसदी से घटकर अब 26.8 फीसदी हो गई है. पिछले दो वर्षों के दौरान मिशन मोड पर 6890 से अधिक शैक्षणिक पदों पर भर्ती की गयी है, जिसमें 939 (13.6%) एससी, 464 6.7% एसटी, 1535 22.27% ओबीसी और 348 (5.05%) ईडब्लूएस से हैं. केंद्रीय विश्वविद्यालयों में रिक्त पदों पर भर्ती एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है जो अभूतपूर्व गति से लगातार जारी है. प्रधानमंत्री मोदी की ही सरकार है जिन्होंने केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान (शिक्षकों के कैडर में आरक्षण) अधिनियम, 2019, जारी कर अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, तथा सामाजिक एवं शैक्षणिक स्तर पर पिछड़े वर्गों के लिए केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षकों के पदों पर आरक्षण से संबंधित अवरोधों को खत्म किया. और, अब जब मोदी सरकार पिछड़ों और वंचितों को प्रतिनिधित्व दे रही है, तब कांग्रेस पार्टी हमेशा की तरह इस बार भी पिछड़ों के अधिकारों के खिलाफ खड़ी है.
राहुल गांधी की राह पर चल कर खड़गे भ्रम फैला रहे हैं
धर्मेंद्र प्रधान ने अपने ट्वीट में आरोप लगाया कि विश्वविद्यालयों को लेकर भ्रम फैलाने के लिए राहुल गांधी की राह पर चलते हुए स्वयं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे जी निकल पड़े हैं. कांग्रेस पार्टी को बताना चाहिए कि 60 साल तक देश में शासन करने के बावजूद उसने दलित, शोषित और पिछड़ों को उनके अधिकारों से क्यों वंचित रखा? आखिर क्या कारण था कि देश के विभिन्न शिक्षण संस्थानों में उन्हें प्रतिनिधित्व नहीं मिला? कांग्रेस पार्टी को तो पिछड़ों की बात करने का कोई हक ही नहीं है. क्योंकि दशकों तक कांग्रेस .ने एससी, एसटी और ओबीसी के अधिकारों को छीनने का काम किया है और ये माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी की ही सरकार है जिसने न सिर्फ SC, ST व OBC, बल्कि आर्थिक रूप से कमजोर EWS वर्ग को भी उनके अधिकार दिलाने का काम किया है. प्रधान ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे जी, उम्र मुझसे काफी बड़े हैं, मैं उनका सम्मान करता हूं. अगर राहुल गांधी को खुश करने के लिए उन्होंने जिस झूठ का सहारा लिया है, वह बिल्कुल निराधार है. राहुल गांधी तो झूठ का पुलिंदा हैं और ऐसा ही झूठ लेकर ये लोग हरियाणा में भी निकले थे. लेकिन जनता ने इन्हें आईना दिखा दिया और अब उसी बौखलाहट में फिर से अनाप-शनाप झूठ का प्रपंच कांग्रेस पार्टी द्वारा खड़ा किया जा रहा है, जो रुकने वाला नहीं है.
खड़गे ने लगाए थे आरोप
इसके पहले मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया था कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अध्यापकों का आरक्षण का हक छीन रहे हैं, वो दूसरों को जन-कल्याण का पाठ पढ़ा रहे हैं! खड़गे ने बताया कि आरटीआई से पता चला है कि 46 केंद्रीय विश्वविद्यालय के 18,940 स्वीकृत पदों में से 27% शिक्षकों के पद ख़ाली हैं. इनमें 38% से ज़्यादा एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षित पद ख़ाली पड़े हैं. खड़गे के मुताबिक एससी- 32.1% ख़ाली, एसटी- 40.3% ख़ाली, ओबीसी- 41.8% ख़ाली हैं जबकि प्रोफ़ेसर श्रेणी के 55% पद ख़ाली पड़े हैं. खड़गे कि आरटीआई के मुताबिक ईडब्ल्यूएस के 71% शिक्षण पद खाली हैं. गैर-शिक्षकों के 35,640 पदों में भी 47% से अधिक पद रिक्त हैं. खड़गे ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार का ‘सबका साथ, सबका विकास’ नारा सामाजिक न्याय की लड़ाई को ठेंगा दिखाकर मखौल उड़ाता है! आरक्षण को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. लेकिन आंकड़ों और तर्कों में मोदी सरकार और उसके मंत्री कहीं से भी बैकफुट पर नजर नहीं आ रहे हैं. इसलिए केन्द्रीय विश्वविद्यालयों को लेकर खड़गे के आरोपों का खंडन करने में धर्मेंद्र प्रधान ने देर नही लगायी.
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FIRST PUBLISHED :
November 4, 2024, 19:30 IST