ओली का चीन प्रेम क्या ले डूबेगा नेपाल को, क्यों पैदा हुआ यह संवैधानिक संकट?

5 hours ago

Last Updated:September 09, 2025, 13:16 IST

Nepal Gen Z Protest News: नेपाल की राजधानी काठमांडू सहित पूरे देश में दूसरे दिन भी हिंसा. क्या नेपाली प्रधानमंत्री केपी ओली का चीन प्रेम देश को जला रहा है? भारत क्यों हालात पर नजर रखा है?

ओली का चीन प्रेम क्या ले डूबेगा नेपाल को, क्यों पैदा हुआ यह संवैधानिक संकट?नेपाल में कितने प्रदर्शनकारियों की अब तक मौत हुई है? (Credit- Kathmandu Post)

Nepal Gen Z Protest News: भारत का पड़ोसी और मित्र राष्ट्र नेपाल जल रहा है. काठमांडू की सड़कों पर दूसरे दिन भी विरोध प्रदर्शन जारी है. सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ हजारों नेपाली नागरिक सोमवार को नेपाल की सड़कों पर उतर गए थे. इस प्रदर्शन में 17 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और 40 से ज्यादा नेपाली नागरिक घायल हैं. नेपाल सरकार ने पूरे काठमांडू में कर्फ्यू लगा रखा है. लेकिन विरोध प्रदर्शन रुकने का नाम नहीं ले रहा है. अब तक ओली सरकार के चार मंत्री इस्तीफा दे चुके हैं. खुद पीएम ओली की देश छोड़ने की चर्चा हो रही है. ऐसे में बड़ा सवाल क्या चीन की वजह से नेपाल जल रहा है? क्या बांग्लादेश की तरह नेपाल में भी ओली सरकार का तख्तापलट होगा? 

नेपाल सरकार ने 4 सितंबर को सोशल मीडिया और मैसेजिंग ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया था. फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे लोकप्रिय प्लेटफॉर्म नेपाल में बैन हो गए. हालांकि, सोमवार को भारी विरोध के बाद ये प्रतिबंध वापल ले लिए गए. लेकिन कई लोगों की मौत के बाद ओली सरकार के खिलाफ पूरे देश में आक्रोश पनप गया है. खास बात यह है कि सोशल मीडिया पर इस प्रतिबंध में चीन के लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीचैट (WeChat) और टिकटॉक (TikTok) को क्यों नहीं शामिल किया गया है? 

ओली सरकार चीन के हाथों की कठपुतली बन गई है?

ओली का चीन प्रेम और नेपाल का भविष्य

प्रदर्शनकारियों का मानना है कि ओली सरकार चीन के हाथों की कठपुतली बन गई है और वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने की कोशिश कर रही है. नेपाल के पीएम केपी ओली की चीन समर्थक नीतियों को देखते हुए यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या यह प्रतिबंध चीन के इशारे पर लगाया गया है? नेपाल में लोगों का मानना है कि सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाकर सरकार जनता की आवाज को दबाना चाहती है, ताकि उसकी नीतियों और भ्रष्टाचार पर सवाल न उठाए जा सकें. पीएम केपी ओली का चीन प्रेम जगजाहिर है. उनके शासनकाल में चीन ने नेपाल में बड़े पैमाने पर निवेश किया है और कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर काम कर रहा है.

भारत क्यों कुछ नहीं कर सकता?

नेपाल की अर्थव्यवस्था वैसे ही नाजुक है और राजनीतिक अस्थिरता इसे और भी कमजोर कर सकती है. नेपाल हमारा पड़ोसी और सांस्कृतिक रूप से जुड़ा हुआ देश है. फिर भी भारत इस संकट में खुलकर कोई हस्तक्षेप क्यों नहीं कर सकता? इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि नेपाल एक संप्रभु राष्ट्र है और किसी भी बाहरी देश का उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना उचित नहीं है. भारत अगर नेपाल के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करता है, तो इसे नेपाल की संप्रभुता पर हमला माना जाएगा और इससे भारत के खिलाफ भी नाराजगी बढ़ सकती है.

भारत पर्दे के पीछे से अपनी कूटनीति का उपयोग कर सकता है.

पर्दे के पीछे भारत का कूटनीति क्या रंग लाएगा?

हालांकि, भारत पर्दे के पीछे से अपनी कूटनीति का उपयोग कर सकता है. भारत नेपाल में शांति और स्थिरता चाहता है, क्योंकि नेपाल में अस्थिरता का सीधा असर भारत पर पड़ेगा. भारत नेपाल को आर्थिक सहायता और मानवीय मदद प्रदान कर सकता है, ताकि वहां के हालात को सामान्य किया जा सके. ऐसे में नेपाल में जारी संकट का हल जल्द निकलना जरूरी है. अगर यह संकट और बढ़ता है तो इससे न केवल नेपाल बल्कि पूरे दक्षिण एशिया क्षेत्र में अस्थिरता फैल सकती है.

पीएम ओली को जनता की मांगों को सुनना चाहिए और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए. उन्हें चीन के प्रभाव से बाहर निकलकर नेपाल के हित में काम करना चाहिए. भारत को भी इस संकट पर नजर रखनी चाहिए और नेपाल की मदद के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए, लेकिन यह सब बिना उसकी संप्रभुता का उल्लंघन किए होना चाहिए. नेपाल को इस संकट से बाहर निकालने का रास्ता सिर्फ वहां की जनता के हाथ में है और उन्हें अपनी आवाज उठाने का अधिकार है.

रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...

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First Published :

September 08, 2025, 17:13 IST

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