Israel against Hamas: पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी पहचान एक कट्टर धार्मिक और भारत-विरोधी सैन्य नेता के रूप में बनाई है. जिसमें खुद को इस्लाम का सिपाही और पाकिस्तान की वैचारिक सीमाओं का रक्षक दिखाने की कोशिश की है. इतना ही नहीं बल्कि मुनीर के भाषणों और अभियानों में अक्सर जिहाद, कश्मीर की आजादी और हिंदू भारत के खिलाफ प्रतिरोध सुनाई देता है.
अंतराष्ट्रीय शांति सेना
लेकिन अब वहीं जनरल मुनीर एक ऐसा कदम उठाने जा रहा है जो उसकी पूरी छवि को उलट सकता है. दरअसल, मुनीर अब अमेरिका की अगुवाई में बनने वाली एक अंतरराष्ट्रीय शांति सेना में पाकिस्तान की भागीदारी का चर्चाएं हैं. इस सेना का काम गाजा में हमास को निहत्था करके इजराइल के साथ मिलकर शांति बहाली करना है. इसकी वजह से अब पाकिस्तान के अंदर एक बड़े राजनीतिक और धार्मिक तूफान खड़ा हो सकता है.
इजराइल से नफरत
पाकिस्तान में आम जनता, धार्मिक संगठनों और राजनीतिक कारणों के चलते दशकों से इजराइल से नफरत करती है. पाकिस्तान ने कभी इजराइल को मान्यता नहीं दी है, इतना ही नहीं पाकिस्तानी पासपोर्ट पर अब भी साफ लिखा है कि यह पासपोर्ट इजराइल के लिए मान्य नहीं है. अगर अब ऐसे माहौल में पाकिस्तानी सैनिक गाजा में इजराइल समर्थकों के साथ दिखे तो जनरल मुनीर की मुस्लिम योद्धा वाली छवि को गहरा झटका लग सकता है.
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टीएलपी की फिलिस्तीन को समर्थन
दरअसल, पाकिस्तान के अंदर माहौल पहले ही तनावपूर्ण है. इसमें इमरान खान की गिरफ्तारी और राजनीतिक दमन के कारण सेना की लोकप्रियता का कम होना सबसे बड़ा कारण है. मुनीर ने ऑपरेशन सिंदूर और पाहलगाम हमले जैसी घटनाओं के बाद अपनी राष्ट्रवादी छवि को मजबूत करने की कोशिश की थी लेकिन अब गाजा मिशन उसी छवि को मिटा सकता है. एक तरफ तेहरीक ए लबैक जो पाकिस्तान का कट्टर धार्मिक संगठन है वो पहले भी सरकार और सेना के खिलाफ सड़कों पर उतर चुका हैं. क्योंकि उनका फिलिस्तीन को लेकर समर्थन बेहद साफ है. अगर ऐसे में पाकिस्तानी सैनिक गाजा में हमास के खिलाफ किसी भी कार्रवाई में शामिल हुए या इजराइल की मदद करते दिखे तो यही संगठन पाकिस्तान सेना को इस्लाम का गद्दार बताने से पीछे नहीं हटेंगे.

9 hours ago
