Last Updated:October 28, 2025, 22:57 IST
8th Pay Commission For Govt Employees: मोदी सरकार के इस फैसले में राहत और राजनीति दोनों का तड़का है. कर्मचारियों को बेहतर सैलरी की उम्मीद और बीजेपी को चुनावी बढ़त का सपना. सियासी जंग से पहले सरकारी बाबुओं की मुस्कान लौटाना सत्ता की डगर आसान कर सकता है.
बिहार में एक चुनावी रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (File Photo : PTI)नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार ने 8वें वेतन आयोग की Terms of Reference यानी ToR को मंजूरी दे दी है. 50 लाख सेंट्रल गवर्नमेंट कर्मचारियों और 69 लाख पेंशनर्स को इस फैसले से बड़ा फायदा मिलने वाला है. सैलरी बढ़ेगी, अलाउंसेज बढ़ेंगे और रिटायर लोगों की पेंशन भी मजबूत होगी. यह सब 1 जनवरी 2026 से लागू होने की उम्मीद है. मगर चर्चा इस बात की ज्यादा हो रही है कि यह फैसला लिया कब गया है. बिहार में 6 नवंबर से चुनाव शुरू होंगे. उसके बाद 2025 में वेस्ट बंगाल, तमिलनाडु, असम और केरल में भी वोटिंग होनी है. इन राज्यों में शानदार साइज का गवर्नमेंट वर्कफोर्स है. इनका वोट बैंक ही इस फैसले की सबसे बड़ी कुंजी है. यही वजह है कि विपक्ष इसे साफ-साफ चुनावी दांव बता रहा है.
8वें वेतन आयोग के नाम पर सरकार ने चुनावी मोर्चे पर बड़ा तीर चलाया है. फायदा कर्मचारियों को मिलेगा, पर असर वोटिंग मशीन पर दिखेगा. बिहार से लेकर बंगाल और तमिलनाडु तक सरकारी बाबुओं की खुशियों में बढ़ोतरी का सीधा जोड़ वोट बटोरने की रणनीति से लगाया जा रहा है.
चुनावी सीजन में वेतन आयोग का कार्ड
सरकार कहती है कि यह नियमित प्रोसेस है. हर 10 साल में पे कमीशन आता है. 7वें कमीशन की रिपोर्ट 2016 में लागू हुई थी. अब 2026 की बारी है. लेकिन ToR पास करने का वक्त सब जीतने की चाल दिखा रहा है. बिहार में लाखों सेंट्रल कर्मचारी वोट डालेंगे. उनके परिवार भी. इस ग्रुप में रेलवे, डिफेंस, पोस्टल, BSF और कई केंद्रीय विभाग शामिल हैं. वेस्ट बंगाल और तमिलनाडु में भी सेंट्रल इम्प्लॉइज का प्रभाव काफी अधिक है. इन राज्यों में विपक्षी दल बीजेपी को कड़ी टक्कर देते हैं. इसलिए कर्मचारियों की खुशामद चुनावी रणनीति का हिस्सा बन चुकी है.
50 लाख नौकरीपेशा और 69 लाख पेंशनर्स के चेहरे पर मुस्कान
आंकड़ों का खेल देखें तो इसकी पॉलिटिकल वैल्यू समझ आती है. 50 लाख कर्मचारी और 69 लाख पेंशनर्स मतलब सीधे 1 करोड़ से अधिक वोटर्स की जेब में फायदा. अगर फैमिली तक इम्पैक्ट निकाला जाए तो यह आंकड़ा करोड़ों में पहुंच जाता है. वेतन बढ़ेगा तो खर्च बढ़ेगा. मार्केट में भी हलचल आएगी. सरकार इसे आर्थिक मजबूती बता सकती है. पर विरोधी पार्टियां इसे शुद्ध वोट बैंक मैनेजमेंट मान रही हैं.
पैसा कहां से आएगा?
कमिशन को यह भी देखना है कि खर्च का दबाव कितना बढ़ेगा. राज्य सरकारें भी आमतौर पर सेंट्रल पे कमीशन की सिफारिशें लागू कर देती हैं. इससे उनकी फाइनेंस पर बोझ बढ़ता है. इस बार पुरानी पेंशन स्कीम के अनफंडेड कॉस्ट पर विशेष नजर होगी. मतलब खुशियां बांटने से पहले खजाने का हिसाब भी जरूरी होगा.
कौन तय करेगा वेतन की नई तस्वीर?
इस कमिशन की कमान पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज रंजना प्रभाकर देसाई के हाथ में है. IIM बैंगलोर के प्रोफेसर पुलक घोष पार्ट टाइम मेंबर हैं. पेट्रोलियम सेक्रेटरी पंकज जैन मेंबर सेक्रेटरी हैं. 18 महीने में पूरी रिपोर्ट देनी है. जरूरत पड़ी तो इंटरिम रिपोर्ट भी आएगी. हालांकि असर दिखेगा 2026 से ही, पर मन जीतने की कोशिश अभी से होगी.
DA भी बढ़ेगा? महंगाई से राहत की उम्मीद
हर छह महीने में DA यानी Dearness Allowance की रिविजन होती है. महंगाई बढ़ेगी तो DA भी बढ़ेगा. यह बेसिक सैलरी पर सीधे असर डालेगा. कर्मचारियों की नजर इसी पर रहेगी कि नया पे कमीशन बेसिक कितना बढ़ाता है.
Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें
Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
October 28, 2025, 22:54 IST

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