कई देशों से मक्‍का खरीदता है भारत पर अमेरिका से क्‍यों नहीं? नाराज हैं ट्रंप

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Last Updated:September 15, 2025, 14:05 IST

American Corn Import : अमेरिका ने भारत पर आरोप लगाया है कि उसकी जनसंख्‍या 1.4 अरब होने के बावजूद वह मक्‍का नहीं खरीदता है. वैसे भारत दुनिया के कई देशों से 10 लाख टन मक्‍का मंगाता है, लेकिन अमेरिका से नहीं. आखिर ऐसा क्‍यों है.

कई देशों से मक्‍का खरीदता है भारत पर अमेरिका से क्‍यों नहीं? नाराज हैं ट्रंपभारत में मक्‍के के खपत और उत्‍पादन में संतुलन बना हुआ है.

नई दिल्‍ली. अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍डट ट्रंप ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने के पीछे कई कारण बताए हैं. उनके वाणिज्‍य मंत्री ने पिछले दिनों कहा कि भारत की जनसंख्‍या 140 करोड़ है, लेकिन वह हमसे एक भी मक्‍का नहीं खरीदता है. आखिर ऐसा क्‍यों है. अगर भारत हमसे मक्‍का नहीं खरीदेगा तो उसे टैरिफ का सामना करना होगा. अमेरिकी मंत्री के इस दावे के बाद हर किसी के मन में यह सवाल उठना शुरू हो गया है कि आखिर ऐसी क्‍या वजह है, जो भारत ने अमेरिका से मक्‍का खरीदना स्‍वीकार स्‍वीकार नहीं किया.

वैसे तो भारत हमेशा से मक्‍के का निर्यातक रहा है. इसका मतलब है कि भारत के पास खुद की खपत के लिए पर्याप्‍त मक्‍का होता रहा है, लेकिन जबसे एथनॉल नीति आई है, इसकी खपत बढ़ गई है. सरकार ने ईंधन में एथनॉल मिलाने के लिए मक्‍के का आयात शुरू किया और अब वह कई देशों से मक्‍के का आयात कर रहा है. बावजूद इसके आज भी अमेरिका से मक्‍के का आयात नहीं होता है और इसी बात को लेकर ट्रंप नाराज हैं. उनका कहना है कि जब दूसरे देशों से मक्‍का खरीद सकते हैं तो हमसे क्‍यों नहीं.

भारत में कितनी है मक्‍के की पैदावार
उत्‍पादन के लिहाज से देखा जाए तो भारत दुनिया का 6वां सबसे बड़ा उत्‍पादक देश है. यहां खाने के अलावा मक्‍के का इस्‍तेमाल पशु आहार, एथनॉल उत्‍पादन और पॉल्‍ट्री फॉर्म पर होता है. यूपी, आंध्र प्रदेश, महाराष्‍ट्र, तेलंगाना, तमिलनाडु, बिहार, मध्‍य प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्‍यों में इसका उत्‍पादन सबसे ज्‍यादा होता है. देश में अभी करीब 4 करोड़ टन मक्‍के का उत्‍पादन होता है, जिसे साल 2047 तक बढ़ाकर 8.6 करोड़ टन करने का लक्ष्‍य है. खपत की बात करें तो कुल उत्‍पादन का 50 से 60 फीसदी पशु आहार के रूप में जाता है, जबकि 15 से 20 फीसदी एथनॉल और 10 से 15 फीसदी भोजन के रूप में खपत होती है. कुछ हिस्‍सा उद्योगों में भी इस्‍तेमाल होता है.

खपत बढ़ने पर आयात शुरू
एथनॉल बनाने से पहले तक मक्‍के की खपत और उत्‍पादन में संतुलन रहता था, लेकिन अब ज्‍यादा जरूरत होने पर आयात भी करना पड़ रहा है. वित्‍तवर्ष 2022-23 से भारत में एथनॉल उत्‍पादन में मक्‍के का इस्‍तेमाल बढ़ने, पॉल्‍ट्री उद्योग के बढ़ने और चीनी उत्‍पादन में कमी की वजह से इसकी डिमांड बढ़ने लगी. साल 2023 में भारत ने करीब 5 हजार टन मक्‍के का आयात किया, जो साल 2024 में बढ़कर करीब 10 लाख टन हो गया.

किन देशों से मक्‍का खरीदता है भारत
खपत बढ़ने पर आयात की डिमांड भी बढ़ी और भारत ने दूसरे देशों से मक्‍का खरीदना शुरू किया. व्‍यापार मंत्रालय के अनुसार, साल 2024 में उसने म्‍यांमार से 1 से 2 लाख टन मक्‍का खरीदा, जबकि 2025 में अगस्‍त तक यह 1.3 लाख टन रहा है. म्‍यांमार के साथ भारत का आयात टैक्‍स फ्री है. इसके अलावा यूक्रेन से भी भारत ने जनवरी-अगस्‍त, 2025 में करीब 4 लाख टन मक्‍का खरीदा. यह मक्‍का भी आयात शुल्‍क से मुक्‍त था. 10 लाख टन के कुल आयात में थाईलैंड, अर्जेंटीना जैसे देशों से भी मक्‍का खरीदा गया. भारत को फिलहाल 60 से 70 लाख टन मक्‍के की जरूरत है.

अमेरिका से क्‍यों नहीं खरदते मक्‍का

जेनेटिकली मोडिफाइड : अमेरिका से मक्‍का नहीं खरीदने का सबसे बड़ा कारण वहां के मक्‍के का जेनेटिकली मोडिफाइड होना है. अमेरिका में 90 फीसदी मक्‍के इसी किस्‍म के होते हैं. भारत में इसका इस्‍तेमाल खुद या जानवरों के लिए करने पर सख्‍त पाबंदी है. टैरिफ और कॉस्‍ट : अमेरिका से मक्‍का न खरीदने की दूसरी बड़ी वजह उस पर लगने वाला 50 फीसदी टैरिफ है. इसके बजाय यूक्रेन और म्‍यांमार से भारत टैरिफ फ्री मक्‍का खरीदता है. अमेरिका से मक्‍का मंगाने की लॉजिस्टिक्‍स की लागत भी काफी ज्‍यादा आती है, जो इसे घरेलू बाजार में महंगा बनाती है. डिमांड और सप्‍लाई में कम अंतर : भारत को जितने मक्‍के की जरूरत है, उसका उत्‍पादन देश में हो जाता है. थोड़ा बहुत जो कम पड़ता है, उसे टैरिफ फ्री देशों से मंगा लिया जाता है, वह भी बिना जेनेटिकली मोडिफाइड हुए. नीतिगत मसला : भारत अपने घरेलू किसानों को प्राथमिकता और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आयात पर निर्भरता घटाना चाहता है. किसानों के हितों की रक्षा के लिए ही वह अमेरिकी मक्‍के को खरीदने की अनुमति नहीं देता है.

Pramod Kumar Tiwari

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

September 15, 2025, 14:05 IST

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