कहानी ऑपरेशन पोलो की...जब 5 दिन में रेंगने लगा निजाम, पटेल के आगे पाक हुआ पस्त

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Last Updated:September 17, 2025, 07:39 IST

Operation Polo And Sardar Patel: ऑपरेशन पोलो के तहत सरदार वल्लभभाई पटेल ने हैदराबाद रियासत को भारतीय संघ में शामिल करवाया. आज के दिन 1948 में यह ऑपरेशन पूरा हुआ था. आज इसकी वर्षगाठ है. इस मौके पर प्रधानमंत्री संग्रहालय में पटेल के एआई-संचालित होलोबॉक्स का अनावरण किया जाएगा.

कहानी ऑपरेशन पोलो की...जब 5 दिन में रेंगने लगा निजाम, पटेल के आगे पाक हुआ पस्तऑपरेशन पोलो की आज वर्षगांठ है.

Operation Polo And Sardar Patel: आजादी के बाद का दौर एक ऐसा वक्त था जब देश को एकजुट करने की चुनौती सबसे बड़ी थी. सैकड़ों रियासतें थीं, जिन्हें भारतीय संघ में शामिल करना था. इसी क्रम में हैदराबाद की रियासत एक जटिल समस्या बनी, जहां के निजाम की महत्वाकांक्षा और धार्मिक उन्माद ने स्थिति को विस्फोटक बना दिया. ऑपरेशन पोलो जिसे पुलिस एक्शन के नाम से भी जाना जाता है, सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में भारत द्वारा उठाया गया वह निर्णायक कदम था. इस ऑपरेशन के जरिए हैदराबाद रियासत को भारतीय संघ में शामिल किया गया. यह ऑपरेशन न केवल सैन्य सफलता की मिसाल है, बल्कि पटेल के फौलादी इरादे और रणनीतिक दूरदर्शिता का प्रतीक भी है. आज जब हम पटेल की विरासत को याद करते हैं, तो यह कहानी के बिना इसे पूरा नहीं किया जा सकता है.

ऑपरेशन पोलो की जड़ें भारत की आजादी से पहले की हैं. 1947 में जब भारत आजाद हुआ तो ब्रिटिश भारत के साथ 565 रियासतें थीं. इन्हें या तो भारत या पाकिस्तान में शामिल होना था या फिर स्वतंत्र रहने का विकल्प था. दक्षिण भारत में स्थित हैदराबाद क्षेत्रफल में ऑस्ट्रेलिया जितना बड़ा था. निजाम उस्मान अली खान के शासन में था. निजाम उस वक्त दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक थे. उन्होंने भारत में शामिल होने से इनकार कर दिया. वे या तो स्वतंत्र रहना चाहते थे या पाकिस्तान से जुड़ना चाहते थे. लेकिन, हैदराबाद की भौगोलिक स्थिति ऐसी थी कि यह भारत के दिल में स्थित था और पटेल ने इसे भारत के दिल में अल्सर की संज्ञा दी, जिसे सर्जिकल तरीके से हटाना जरूरी था.

रजाकारों का अत्याचार

निजाम की सेना और कासिम रिजवी के नेतृत्व में रजाकारों ने हिंदू बहुल आबादी पर अत्याचार शुरू कर दिए. रजाकारों ने नारा दिया था ‘हंस के लिया है पाकिस्तान, लड़ के लेंगे हिंदुस्तान’ जो उनकी अलगाववादी मंशा को दर्शाता था. सरदार पटेल तत्कालीन गृह मंत्री थे. उन्होंने इस समस्या को डिप्लोमैटिक तरीके से सुलझाने की कोशिश की. उन्होंने निजाम से कई दौर की बातचीत की, लेकिन निजाम की जिद और रजाकारों की हिंसा ने स्थिति को बिगाड़ दिया. पटेल जानते थे कि अगर हैदराबाद स्वतंत्र रहा तो यह भारत की एकता के लिए खतरा बनेगा. ऐसे में 1948 में पटेल ने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को मनाया और सैन्य कार्रवाई का फैसला लिया.

ऑपरेशन पोलो का नाम इसलिए रखा गया क्योंकि हैदराबाद में पोलो ग्राउंड की संख्या ज्यादा थी और यह एक कोड नेम था. 13 सितंबर 1948 को भारतीय सेना ने मेजर जनरल जेएन चौधरी के नेतृत्व में हमला शुरू किया. यह ऑपरेशन मात्र पांच दिनों में पूरा हो गया. भारतीय सेना ने सिकंदराबाद, बीदर और अन्य इलाकों पर कब्जा कर लिया. 17 सितंबर को निजाम ने आत्मसमर्पण कर दिया और हैदराबाद भारत का हिस्सा बन गया.

पटेल का फौलादी नेतृत्व

इस ऑपरेशन की सफलता में पटेल का फौलादी नेतृत्व साफ नजर आता है. उन्होंने न केवल सैन्य रणनीति बनाई बल्कि राजनीतिक दबाव भी डाला. नेहरू शुरू में सैन्य कार्रवाई के खिलाफ थे लेकिन पटेल की दृढ़ता ने उन्हें सहमत किया. यह ऑपरेशन भारत की एकता के लिए जरूरी था, क्योंकि हैदराबाद की स्वतंत्रता से देश में और विघटन हो सकता था. पटेल ने 500 से ज्यादा रियासतों को भारत का हिस्सा बनाया, लेकिन हैदराबाद सबसे चुनौतीपूर्ण था.

पीएम संग्रहालय में सरदार पटेल

आज 17 सितंबर को जब हम ऑपरेशन पोलो की 77वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, तो पटेल की विरासत को जीवंत करने का एक नया प्रयास हो रहा है. इसी क्रम में दिल्ली में प्रधानमंत्री संग्रहालय में बुधवार को सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन-आकार के एआई-संचालित होलोबॉक्स का अनावरण किया जाएगा. संस्कृति मंत्रालय ने मंगलवार को इसकी घोषणा की. यह संग्रहालय कलाकृतियों, अभिलेखीय सामग्री और मल्टीमीडिया के माध्यम से भारत के प्रधानमंत्रियों के जीवन और योगदान को प्रस्तुत करता है. अब आगंतुकों को पटेल के हाइपर-यथार्थवादी 3डी अवतार के साथ बातचीत करने का मौका मिलेगा.

संतोष कुमार

न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें

न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...

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First Published :

September 17, 2025, 07:14 IST

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