किसानों के साथ वार्ता से दूरी बना रही मोदी सरकार? कहीं वो 'अपमान' तो वजह नहीं

1 day ago

विभिन्न मांगों को लेकर 26 नवंबर से भूख हड़ताल पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की हालत गंभीर है. वह पंजाब और हरियाणा के बीच खनौरी सीमा पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं. बावजूद इसके किसान नेताओं और केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के बीच कोई उच्च स्तरीय वार्ता नहीं हो रही है. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है और शीर्ष अदालत भी किसानों और सरकार के बीच वार्ता का सुझाव दे रही है. ऐसे में सवाल यह है कि आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार और किसान नेता क्यों नहीं एक साथ बैठ पा रहे हैं.

बीते गुरुवार को भी इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने केंद्र से डल्लेवाल की ओर से दायर नई याचिका पर जवाब देने को कहा. इसमें कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने के बाद 2021 में प्रदर्शनकारी किसानों को फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित अन्य मांगों के कार्यान्वयन के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.

कोर्ट में सरकार
कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा, ‘आपका मुवक्किल यह बयान क्यों नहीं दे सकता कि वह वास्तविक मांगों पर विचार करेगा और हम किसानों की शिकायतों पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं, हमारे दरवाजे खुले हैं? केंद्र सरकार बयान क्यों नहीं दे सकती?’ इस पर मेहता ने कहा, ‘शायद न्यायालय को विभिन्न कारकों की जानकारी नहीं है, इसलिए अभी हम खुद को एक व्यक्ति के स्वास्थ्य के मुद्दे तक सीमित रख रहे हैं. केंद्र सरकार प्रत्येक किसान के प्रति चिंतित है.’

उधर, डल्लेवाल की हालत को लेकर पंजाब और हरियाणा में राजनीति भी गरमा गई है. हरियाणा के पूर्व सीएम भूपिंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि डल्लेवाल की स्वास्थ्य स्थिति गंभीर है और केंद्र सरकार को अड़ियल रुख छोड़ते हुए किसानों की मांगें मानकर तत्काल उनका (डल्लेवाल का) अनशन खत्म करवाना चाहिए.

सरकार का रुख
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि अभी सुप्रीम कोर्ट इस मामले को देख रहा है. सुप्रीम कोर्ट के जो भी निर्देश होंगे, उनका पालन किया जाएगा. फरवरी 2024 से पंजाब-हरियाणा सीमा पर शंभू और खानौरी में धरना दे रहे किसानों को बात करने के लिए आमंत्रित करने के बारे में पूछे जाने पर यह जवाब दिया. चौहान का यह जवाब सरकार के कृषि आंदोलन के प्रति बदले हुए रुख को दिखाता है. मोदी सरकार 3.0 में अब तक किसानों के साथ बातचीत में दूरदृष्टि दिखाई दे रही है, जबकि पहले की सरकार (मोदी सरकार 2.0) में सरकार ने किसान संगठनों के साथ सक्रिय रूप से बातचीत की थी.

अपमान वजह तो नहीं!
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान जब किसान केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध कर रहे थे और दिल्ली की सीमाओं पर लगभग एक साल तक बैठकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, तब तीन केंद्रीय मंत्रियों- नरेंद्र सिंह तोमर (कृषि मंत्री), पीयूष गोयल (खाद्य मंत्री), और सोम प्रकाश (वाणिज्य राज्य मंत्री) ने अक्टूबर 2020 से जनवरी 2021 तक 11 दौर की बातचीत की. अब ये कानून रद्द कर दिए गए हैं. 8 दिसंबर 2020 को जब किसान विरोध बढ़ गया था तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह खुद किसानों से मिलने के लिए दिल्ली के पुसा परिसर में देर रात पहुंचे थे. 11 दौर की बातचीत के बाद कोई समाधान नहीं निकलने के पीछे किसानों के अड़ियल रुख को जिम्मेदार ठहराया गया. इससे एक तरह से सरकार अपमानित भी हुई.

Tags: CM Shivraj Singh Chouhan, Farmers Protest, Modi Govt

FIRST PUBLISHED :

January 5, 2025, 13:29 IST

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