Last Updated:April 22, 2025, 17:19 IST
Pahalgam Terrorist Attack Update: पहलगाम में आतंकियों ने पर्यटकों पर हमला किया, जिसमें 10 पर्यटक और 2 स्थानीय लोग घायल हुए, एक की मौत हुई. TRF ने हमले की जिम्मेदारी ली. सुरक्षाबलों ने इलाके में सर्च ऑपरेशन शुरू...और पढ़ें

आतंकी संगठन TRF ने पहलगाम में हुए हमले की जिम्मेदारी ली है. (फोटो PTI)
हाइलाइट्स
पहलगाम में आतंकी हमले में 10 पर्यटक घायल, 1 की मौत.TRF ने हमले की जिम्मेदारी ली, सर्च ऑपरेशन जारी.TRF, लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन, 2019 में बना.Pahalgam Terrorist Attack Update: जम्मू-कश्मीर एक बार फिर आतंकियों के आतंक से दहल उठा है. पहलगाम में आतंकियों ने पर्यटकों पर हमला किया है. इस हमले में 10 पर्यटक और 2 स्थानीय लोग घायल हुए हैं. इसमें से एक की मौत हो गई. आतंकियों की तलाशी के लिए सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके के घेर लिया है और सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है. खबर है कि इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन TRF ने ली है. आइए इस खबर में जानते हैं इस आतंकी संगठन के बारे में.
आतंकी पुलिस यूनिफॉर्म में थे और उनकी तादाद 2 से 3 थी. माना जा रहा है कि टूरिस्ट को निशाना बनाने के लिए इस हमले को अंजाम दिया गया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार आतंकियों ने नाम पूछकर पर्यटकों पर हमला किया और गोलियां चलाई. TRF ने पहलगाम में हुए हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि सरकार ने 85000 बाहरी लोगों को जम्मू कश्मीर में बसाया है. ये कश्मीर आते तो पर्यटक बनकर हैं लेकिन यहीं पर बस जाते हैं यह हमला उसी का खामियाजा है.
कौन है TRF?
TRF का पूरा नाम ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (The Resistance Front) है. यह आतंकी संगठन साल 2019 में अस्तित्व में आया. लेकिन कम समय में ही इस आतंकी संगठन ने दर्जनों आतंकी हमलों को अंजाम दिया. गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत आतंकी संगठन टीआरएफ को साल 2013 में प्रतिबंधित किया गया.
‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ वास्तव में घातक आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का मुखौटा संगठन है. लश्कर-ए-तैयबा पाकिस्तानी सरकार की मशीनरी के सक्रिय समर्थन से विकसित हुआ है. वही समर्थन अब इसकी शाखा TRF को मिल रहा है. TRF सुरक्षा बलों के कर्मियों और निर्दोष नागरिकों की हत्याओं की योजना बनाने, प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों का समर्थन करने के लिए हथियारों की तस्करी, आतंकवादियों की भर्ती, आतंकवादियों की घुसपैठ और पूरे देश से हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी में शामिल रहा है.
TRF का नाम तब चर्चा में आया जब उसने साल 2020 में बीजेपी कार्यकर्ता फिदा हुसैन, उमर राशिद बेग और उमर हाजम की कुलगाम में बेरहमी से हत्या कर दी थी. TRF कश्मीर में फिर से वही दौर लाना चाहता है, जो कभी 90 के दशक में था. टीआरएफ के आतंकी टारगेट किलिंग पर फोकस करते हैं. वो ज्यादातर गैर-कश्मीरियों को निशाना बनाते हैं ताकि बाहरी राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर आने से बचें.
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New Delhi,New Delhi,Delhi
First Published :
April 22, 2025, 17:16 IST