क्या गगनप्रीत पर चलेगा नवजोत सिंह की हत्या का केस? FIR में कौन-कौन से सेक्शन

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Last Updated:September 15, 2025, 16:04 IST

Delhi Accident News: दिल्ली में बीएमडब्ल्यू केस की एफआईआर की कॉपी सामने आ गई है. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने आरोपी महिला चालक पर बीएनएस के चार सेक्शन के तहत केस दर्ज किया है. ये चार सेक्शन कौन कौन से हैं और किस सेक्शन में कितनी सजा हो सकती है जान लें.

क्या गगनप्रीत पर चलेगा नवजोत सिंह की हत्या का केस? FIR में कौन-कौन से सेक्शनबीएमडब्ल्यू की महिला ड्राइवर पर किन-किन धाराओं में केस हुआ दर्ज

नई दिल्ली. दिल्ली छावनी मेट्रो स्टेशन के पास रविवार को हुई बीएमडब्ल्यू दुर्घटना में मारे गए वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी नवजोत सिंह की पत्नी ने अपनी एफआईआर में आरोप लगाया है कि कार चला रही महिला ने उनके बार-बार अनुरोध के बावजूद जानबूझकर उनके घायल पति को नजदीक के अस्पताल में भर्ती नहीं कराया. दिल्ली पुलिस ने आरोपी महिला ड्राइवर गगनप्रीत पर बीएनएस की अलग-अलग धाराओं पर केस दर्ज किया है. पर बीएनएस की एक धारा ऐसी लगाई गई हैं कि सोमवार को जब उन्हें अदालत में पेश किया जाएगा तो जमानत मिलना थोड़ा मुश्किल भरा हो सकता है. ऐसे में अब ये चर्चाएं तेज है कि गगनप्रीत को कितनी सजा हो सकती है.

नवजोत सिंह की पत्नी ने अपनी शिकायत में कहा कि मैंने बार-बार महिला (आरोपी) से अपने पति को नजदीकी अस्पताल ले जाने का अनुरोध किया. मैंने महिला से कहा कि मेरे पति को तुरंत प्राथमिक उपचार की जरूरत है लेकिन वह जानबूझकर मेरे पति को नजदीकी अस्पताल नहीं ले गईं और उन्हें अपने परिचित एक दूर के अस्पताल में ले गईं. मेरे पति को वहां स्ट्रेचर पर बहुत देर तक इंतजार करना पड़ा.

FIR में संदीप कौन ने लगाया क्या आरोप?

नवजोत सिंह की पत्नी संदीप कौर के बयानों के मुताबिक, शिकायत पर एफआईआर दर्ज कराई गई है. संदीप कौर ने बताया कि वह द्वारका सेक्टर 10 में स्कूल टीचर हैं उनके पति नवजोत सिंह दोपहरा 12 बजकर 20 मिनट तक रुके. इसके बाद हम दोनों आरके पुरम में स्थित कर्नाटक भवन गए. मैं और मेरे पति हमारी मोटर साइकिल नंबर DL 9SCN 9244 पर सवार होकर लंच करके अपने घर की तरफ चले। हम दोनों धौलाकुआं से दिल्ली कैंट मेट्रो स्टेशन की तरफ रिंग रोड़ पर मोटरसाइकिल से घर की तरफ जा रहे थे.

टक्कर के बाद क्या हुआ?

उन्होंने आगे कहा कि मैं पीछे बैठी थीं मेरे पति बाइक चला रहे थे. मैंने हेल्मेट पहन रखा था मेरे पति ने पगड़ी बांध रखी थी. तभी एकाएक पीछे से एक नीले रंग की बड़ी बीएमडब्लू गाड़ी बड़ी तेज गति से लापरवाही व गफलत में चालक द्वारा चलाते हुए आई और हमारी बाइक को पीछे से हिट कर दिया. टक्कर लगते ही हम दोनो पति-पत्नी बाइक से नीचे सड़क पर गिर गए. मेरे पति को सिर और मुंह पर काफी चोटे आई. उनकी टांगों पर भी काफी चोटे लगी. मुझे भी हाथ व पैरो में मल्टीपर फैक्चर आए और सिर पर भी चोट आई है मेरे सिर मे चौदह टॉक लगे है।

नीले रंग की बीएमडब्ल्यू 

नीले रंग की बीएमडब्ल्यू गाड़ी एक लडकी चला रही थी. वह गाड़ी इतनी तेज चला रही थी कि उसकी गाड़ी भी रोड पर पलट गई थी फिर मेरी आंखों के सामने अंधेरा सा छा गया था. इसके बाद यह महिला और एक पुरुष ड्राइवर मुझे और मेरे पति को एक वैन टाइप गाड़ी में डालकर कहीं ले जा रहे थे. मैं उस महिला से बार-बार यह अनुरोध कर रही थी कि हम दोनों पति-पत्नी को कही पास के अस्पताल में ले जाए ताकि हमें जल्दी से प्राथमिक उपचार मिल जाए. मेरे पति उस समय बेहोशी की हालत में थे और उनको तुरंत ही प्राथमिक उपचार चाहिए था. मगर मेरे बार-बार अनुरोध करने के बावजूद यह महिला हमें पास के अस्पताल नहीं ले जाकर जानबूझकर हमें बहुत दूर एक छोटे से अस्पताल में ले गई और वहां एडमिट करवाया. मुझे बाद में पता चला कि वह बीएमडब्लयू चलाने वाली महिला कही जीटीबी नगर के एक छोटे से अस्पताल में लेकर गई जहां पर भी मुझे काफी देर बाहर स्ट्रेचर पर ही रखा गया. मैंने उस महिला को कई बार अनुरोध किया कि पास के अस्पताल लेकर चलो मगर वह नहीं लेकर गई. वह महिला अपना नाम गगन प्रीत कौर बता रही थी और मुझे याद है कि उसकी बीएमडब्ल्यू नीले रंग की गाड़ी का नम्बर 0008 है जो रोड पर ही पलट गई थी. जीटीबी नगर में काफी देर बाद हॉस्पिटल में मेरा बेटा और मेरे जानकार आए उस अस्पताल से मुझे बाद में वेंकेटेश्वर अस्पताल लाया गया है. जहां पर मेरा ट्रीटमेंट चल रहा है.

किन धाराओं में केस हुआ दर्ज और क्या है सजा?

– धारा 281 बीएनएस
सड़क पर तेजी से और लापरवाही से गाड़ी चलाना, जिससे किसी का जीवन खतरे में पड़ जाए.

कितनी सजा हो सकती है
– 6 महीने तक की जेल या ₹1,000 तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.

– धारा 125बी
कोई व्यक्ति इतनी जल्दबाजी या लापरवाही से कोई कार्य करेगा जिससे मानव जीवन या दूसरों की व्यक्तिगत सुरक्षा खतरे में पड़ जाए.

कितनी सजा हो सकती है…
जहां गंभीर चोट पहुंचाई जाती है, वहां तीन साल तक की कैद या दस हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा.

– धारा 105
भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 105 गैर इरादतन हत्या के लिए सजा को परिभाषित और निर्धारित करती है. इसमें स्पष्ट किया गया है कि यदि मृत्यु का कारण बनने वाला कोई कार्य मृत्यु कारित करने के इरादे से या मृत्यु का कारण बनने वाली किसी शारीरिक चोट के इरादे से किया जाता है, तो अपराधी को आजीवन कारावास या न्यूनतम पांच वर्ष से लेकर दस वर्ष तक की सजा और जुर्माना हो सकता है. इसके विपरीत, यदि यह जानते हुए कि यह कार्य मृत्यु का कारण बन सकता है, लेकिन हत्या करने के विशिष्ट इरादे के बिना किया जाता है, तो सजा दस वर्ष तक की सजा और जुर्माना है. यह धारा मुख्यतः उन कृत्यों पर लागू होती है जो पूर्वनियोजित हत्या नहीं हैं, लेकिन फिर भी इरादे या संभावित नुकसान के ज्ञान के कारण मृत्यु का कारण बनते हैं.

कितनी सजा हो सकती है
इरादे से किया गया अपराध- आजीवन कारावास या कम से कम पांच वर्ष और अधिकतम दस वर्ष तक की सजा जुर्माना सहित हो सकती है;

– धारा 238 बीएनएस
भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 238 किसी अपराध के साक्ष्य को गायब करने या अपराधी को कानूनी सजा से बचाने के लिए झूठी जानकारी देने के कृत्य को अपराध मानती है. यह आईपीसी की धारा 201 के समान है और इसमें अंतर्निहित अपराध की गंभीरता के आधार पर अलग-अलग दंड का प्रावधान है, जिसमें कृत्य का इरादा एक प्रमुख कारक होता है.

क- यदि वह अपराध, जिसके बारे में वह जानता है या विश्वास करता है कि वह किया गया है मृत्युदंड से दंडनीय है, तो ऐसे में उसे सात वर्ष तक की सजा हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

ख- यदि अपराध आजीवन कारावास या दस वर्ष तक की हो सकने वाली कारावास हो सकती है तो ऐसे में उसे तीन साल की सजा और जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

ग- यदि अपराध किसी भी अवधि के कारावास से जो दस वर्ष तक की नहीं हो सकती, तो ऐसे में अदालत आरोपी को सबसे लंबी अवधि की सजा की एक-चौथाई तक की सजा हो सकती है.

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Location :

Delhi,Delhi,Delhi

First Published :

September 15, 2025, 16:04 IST

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