Last Updated:July 28, 2025, 09:26 IST
IT Jobs in India: आईटी इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव आने की आशंका है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने US Tech Giants गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और एपल आदि से भारतीयों की हायरिंग कम करने के लिए कहा है.

हाइलाइट्स
डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ी कंपनियों से लोकल हायरिंग पर फोकस करने की सलाह दी है.वीजा पॉलिसी में बदलाव से भारतीयों को अमेरिका जाने में हो रही परेशानी.भारतीय आईटी सेक्टर में आ सकता है बड़ा बदलाव.नई दिल्ली (IT Jobs in India). आज के ग्लोबल टेक्नोलॉजी लैंडस्केप में भारत दुनिया के सबसे बड़े IT टैलेंट हब के रूप में उभर कर सामने आया है. IIT और IIM जैसे संस्थानों से हर साल हजारों होनहार इंजीनियर और मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स निकलते हैं. ये सभी दुनिया की टॉप कंपनियों में नौकरी का सपना देखते हैं. ज्यादातर लोगों का लक्ष्य एपल, माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसी ग्लोबल कंपनियों में प्लेसमेंट की तैयारी करते हैं. लेकिन हाल ही में अमेरिका में बढ़ती प्रोटेक्शनिज्म नीतियों ने भारतीय IT क्षेत्र के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई पॉलिसी में बदलाव किया है. अमेरिका में वीजा प्रतिबंधों और लोकल प्रोफेशनल्स की हायरिंग पर जोर ने भारतीय युवाओं के लिए विदेशी नौकरियों के अवसरों को सीमित कर दिया है. इससे गूगल में नौकरी मिलना मुश्किल हो सकता है. हालांकि चुनौतियों के बीच भारत में नए अवसर भी बन रहे हैं. ग्लोबल कंपनियां अब भारत में ही अपने ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) खोल रही हैं, जिससे देश के अंदर ही युवाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रोजेक्ट्स पर काम करने का मौका मिल रहा है.
आईटी सेक्टर में बड़ा बदलाव
IT सेक्टर में यह बदलाव भारत को ग्लोबल टेक्नोलॉजी पावरहाउस बनाने की दिशा में मजबूत कदम है. अब जरूरी है कि स्टूडेंट्स सिर्फ विदेश में नौकरी पर निर्भर न रहकर देश में मौजूद खास अवसरों का भी भरपूर फायदा उठाएं.
अमेरिकी हायरिंग बैन का असर
डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान H-1B जैसे वीजा प्रोग्राम्स को लेकर सख्ती बढ़ गई है, जिससे अमेरिकी कंपनियों को विदेशी टैलेंट हायर करने में दिक्कतें आने लगी हैं. इससे भारतीय इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स पर सीधा असर पड़ा है. टीसीएस, इन्फोसिस, विप्रो जैसी टॉप लेवल की IT कंपनियां बड़ी संख्या में भारतीय युवाओं को अमेरिका भेजती थीं. डोनाल्ड ट्रंप की नई नीतियों और लगातार आते स्टेटमेंट के चक्कर में उन्हें भी नई रणनीति बनानी पड़ी.
GCCs बन रहे हैं विकल्प
विदेश में हायरिंग में मुश्किलें बढ़ने के बाद कंपनियां अब भारत में ही अपने ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) खोलने पर फोकस कर रही हैं. Microsoft, Google, Amazon जैसी दिग्गज कंपनियां भारत में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स के जरिए R&D, AI, Cloud जैसे अल्ट्रा-मॉडर्न सेक्टर्स में काम कर रही हैं. इससे भारत के इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स और प्रोफेशनल्स के लिए देश में ही हाई-पेइंग नौकरियों के मौके बढ़ गए हैं. उन्हें खास प्रोजेक्ट के लिए विदेश भेजा जा सकता है.
IIT-IIM प्लेसमेंट पर असर
IIT और IIM जैसे संस्थानों के प्लेसमेंट पर भी अमेरिकी पॉलिसी का असर देखने को मिल रहा है. जहां पहले बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स को विदेशी कंपनियों में अच्छी सैलरी वाली नौकरी का ऑफर मिलता था, वहीं अब कंपनियां भारत में ही अच्छे पैकेज ऑफर कर रही हैं. इसका पॉजिटिव पहलू यह है कि अब टैलेंट ब्रेन ड्रेन के बजाय देश में ही काम कर रहा है, जिससे इकोनॉमी को भी मजबूती मिल रही है. भारतीय युवाओं को अपनी स्किल्स लगातार अपडेट करनी होंगी.
Having an experience of 9 years, she loves to write on anything and everything related to lifestyle, entertainment and career. Currently, she is covering wide topics related to Education & Career but she also h...और पढ़ें
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