Last Updated:August 11, 2025, 09:16 IST
Maternity Leave for Indian Students: भारत में मैटरनिटी लीव को लेकर कई नियम-कायदे बनाए गए हैं. कामकाजी महिलाओं के लिए बने नियम तो सभी जानते हैं लेकिन आज समझिए कि अगर कॉलेज या यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने वाली छात्...और पढ़ें

नई दिल्ली (Maternity Leave for Indian Students). भारतीय कामकाजी महिलाओं को बच्चे की डिलीवरी के बाद 6 महीने की मैटरनिटी लीव मिलती है. इस दौरान उन्हें पूरी सैलरी भी दी जाती है. लेकिन क्या यही नियम यूनिवर्सिटी या कॉलेज में पढ़ाई कर रही छात्राओं पर भी लागू है? पोस्टग्रेजुएशन या पीएचडी कर रही कई शादीशुदा छात्राएं इसी सवाल से जूझती हुई नजर आती हैं. छात्राओं के लिए मातृत्व अवकाश यानी मैटरनिटी लीव संवेदनशील विषय है. यह शिक्षा और मातृत्व के बीच बैलेंस बनाने में जरूरी भूमिका निभाता है.
देशभर में इस संबंध में कोई केंद्रीय कानून नहीं है, लेकिन यूजीसी और कुछ राज्य सरकारों ने छात्राओं की खास सिचुएशन को ध्यान में रखते हुए नियम बनाए हैं. UGC ने MPhil और PhD स्तर की शोधार्थियों के लिए पूरे कोर्स में एक बार अधिकतम 240 दिनों का मातृत्व या चाइल्डकेयर लीव देने का प्रावधान किया है. वहीं, केरल और हरियाणा जैसे राज्यों ने यूजी और पीजी स्तर की छात्राओं के लिए भी छुट्टी की व्यवस्था लागू की है. इससे गर्भावस्था के दौरान और बाद में छात्राओं की शिक्षा पर निगेटिव प्रभाव नहीं पड़ता है.
छात्रा को कितने दिनों की मैटरनिटी लीव मिल सकती है?
छात्राओं के लिए मैटरनिटी लीव का प्रावधान जरूरी है. इससे उन्हें न केवल शिक्षा में समान अवसर मिलते हैं, बल्कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी यह मजबूत कदम हैं. उदाहरण- केरल के राज्य विश्वविद्यालयों में 18 वर्ष से अधिक उम्र की छात्राओं को 60 दिनों की मैटरनिटी लीव और 73% उपस्थिति मानदंड में छूट दी गई है. हरियाणा में विवाहित छात्राओं को 45 दिन की छुट्टी मिलती है. आवेदन प्रक्रिया में मेडिकल प्रमाण पत्र और अवकाश की अवधि का स्पष्ट विवरण देना जरूरी होता है.
यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) के दिशा-निर्देश
यूजीसी ने एमफिल और पीएचडी कर रही महिला शोधार्थियों को पूरे कोर्स की अवधि में एक बार, अधिकतम 240 दिनों (लगभग 8 महीने) की मातृत्व या चाइल्डकेयर छुट्टी देने का प्रावधान किया है.
यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों से अनुरोध किया है कि वे UG/PG स्तर पर भी छात्राओं को मातृत्व छुट्टी, अटेंडेंस में छूट, परीक्षा फॉर्म जमा करने की तिथि में ढील जैसे प्रावधान तैयार करें.
केरल सरकार की मैटरनिटी लीव पॉलिसी
केरल के राज्य विश्वविद्यालयों में छात्राओं को मातृत्व अवकाश की सुविधा मिल रही है:
हरियाणा सरकार का प्रावधान (2017)
हरियाणा में विवाहिता छात्राओं को 45 दिनों की मैटरनिटी लीव दी जाती है. इसके लिए उन्हें संबंधित विभागाध्यक्ष से पहले से अनुमति लेनी होगी. साथ ही उचित मेडिकल सर्टिफिकेट भी जमा करने होंगे. लीव के दौरान छात्रा की जो अटेंडेंस मिस होती है, उसे पूरा करने के लिए एक्सट्रा क्लासेज करनी होती हैं. उस दौरान कोई परीक्षा मिस हो गई हो तो वह भी अलग से देनी होगी.
स्टूडेंट्स के लिए मैटरनिटी लीव पॉलिसी
संस्थान/राज्य | मातृत्व अवकाश की अवधि | शर्तें/नियम |
UGC (MPhil/PhD) | 240 दिन (पूरे कोर्स में एक बार) | विश्वविद्यालयों को नियम बनाने के निर्देश; UG/PG पर भी प्रावधान का सुझाव |
केरल (राज्य विश्वविद्यालय) | 60 दिन/ 6 महीने | 18+ उम्र; 6 महीने तक की छुट्टी पर बिना शुल्क फिर से प्रवेश; 73% हाजिरी |
हरियाणा (2017 नियम) | 45 दिन | मेडिकल सर्टिफिकेट के साथ पहले से अनुमति लेना जरूरी, अतिरिक्त क्लासेज और परीक्षा की व्यवस्था |
छात्रा मैटरनिटी लीव के लिए आवेदन कैसे कर सकती हैं?
स्टूडेंट्स मैटरनिटी लीव के लिए आवेदन कैसे कर सकती हैं, इसकी प्रक्रिया संस्थानों की विशेष व्यवस्था पर निर्भर करती है.
1- संस्थान (कॉलेज/यूनिवर्सिटी) की लीव पॉलिसी चेक करें.
2- संबंधित विभागाध्यक्ष या कॉलेज प्रिंसिपल से संपर्क करें.
3- डॉक्टर से मेडिकल प्रमाण पत्र बनवाएं.
4- आवेदन भरें और छुट्टी के बाद वापसी के नियम (जैसे अतिरिक्त क्लास, परीक्षा आदि) समझ लें.
Having an experience of 9 years, she loves to write on anything and everything related to lifestyle, entertainment and career. Currently, she is covering wide topics related to Education & Career but she also h...और पढ़ें
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First Published :
August 11, 2025, 09:16 IST