उपराष्‍ट्रपति चुनाव ने एक मंच पर तो लाया, पर कब तक टिकेगी विपक्षी एकता?

3 hours ago

Last Updated:August 22, 2025, 10:53 IST

Opposition Politics: उपराष्‍ट्रपति चुनाव ने विपक्षी दलों को एक मंच पर ला दिया है. इसके बाद राजनीतिक हलकों में एक बात की चर्चा होने लगी है कि क्‍या विपक्ष फिर से एकजुट होगा और यह एकजुटता कितने दिनों तक टिकेगी?

उपराष्‍ट्रपति चुनाव ने एक मंच पर तो लाया, पर कब तक टिकेगी विपक्षी एकता?उपराष्‍ट्रपति चुनाव में पूरा विपक्ष एक मंच पर दिखा है.

नई दिल्ली. संसद के मानसून सत्र में सबसे अलग जो तस्वीर उभरकर सामने आई, वह थी विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक की असामान्य एकजुटता और सामंजस्य. साझा रणनीति, एक साथ सड़क और सदन में विरोध और उपराष्ट्रपति पद के लिए सर्वसम्मति से उम्मीदवार चुनने तक विपक्ष पहली बार एक यूनाइटेड पावर के रूप में दिखा. लेकिन, इन सबके बीच अंदर चल रही खटास और अंतर्विरोध छिपाना आसान नहीं. यह गठबंधन कई बार विरोधी रुख रखने वाली पार्टियों से बना है और इसकी नाजुकता लगातार सामने आती रही है.

आम आदमी पार्टी (AAP) भले ही पहले INDIA ब्लॉक से बाहर हो चुकी थी, लेकिन उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का समर्थन कर वह फिर से विपक्ष की कतार में दिखी. विपक्षी नेताओं का कहना है कि उम्मीदवार को INDIA ब्लॉक का नहीं, बल्कि विपक्ष का प्रत्याशी बताकर उन्होंने संदेश दिया कि जो दल गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं, वे भी साथ आ सकते हैं. इस दौरान सबसे आक्रामक तेवर ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने दिखाए. सात महीने बाद होने वाले बंगाल विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी ने बीजेपी पर हमले तेज कर दिए और संसद के भीतर-बाहर बार-बार विरोध प्रदर्शन किया. कभी रवींद्रनाथ टैगोर और काज़ी नजरुल इस्लाम की रचनाएं गाकर, तो कभी हाथों में तख्तियां लेकर, TMC ने विरोध को सांस्कृतिक रंग देने की भी कोशिश की.

2022 से अलग तस्वीर

इस बार TMC ने विपक्षी एकजुटता कायम रखने में अहम भूमिका निभाई. पार्टी ने न केवल पूर्व न्यायाधीश सुदर्शन रेड्डी के नाम पर सहमति बनाई, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि उन्हें INDIA ब्लॉक नहीं, बल्कि पूरे विपक्ष का प्रत्याशी पेश किया जाए. यह बदलाव खास है, क्योंकि 2022 में TMC ने उपराष्ट्रपति चुनाव का बहिष्कार किया था.

दरारें भी नजर आईं

हालांकि, दरारें भी सामने आईं. विपक्षी दलों में तय हुआ था कि गृहमंत्री के तीन विधेयक पेश करने पर कोई दखल नहीं देगा, लेकिन जब कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने आपत्ति जताई, तो TMC ने चुप्पी साध ली और बाहर आकर अलग से विरोध किया. पार्टी ने आरोप लगाया कि उसकी सांसदों मिताली बेग और शताब्दी राय के साथ धक्का-मुक्की हुई और अबू ताहेर खान को जॉस्टल किया गया. राज्यसभा में भी TMC ने बाकी विपक्ष से ज्यादा आक्रामक रुख दिखाया. उसके सांसदों ने तख्तियां लेकर नारेबाजी की और सदन के वेल में पहुंचे, जबकि कई कांग्रेस सांसद इसमें शामिल नहीं हुए.

आगे की चुनौती

TMC का दावा है कि उसने ही विपक्षी ताकतों को साथ लाने में अहम भूमिका निभाई. यहां तक कि ममता बनर्जी ने व्यक्तिगत पहल कर अरविंद केजरीवाल से बातचीत की, जिसके बाद उन्हें कांग्रेस नेताओं के साथ मंच साझा करते देखा गया, फिर भी असली कसौटी अब है. संसद का सत्र खत्म हो चुका है और उपराष्ट्रपति चुनाव भी जल्द पीछे छूट जाएगा. सवाल यही है कि क्या विपक्ष यह नाजुक संतुलन लंबे समय तक बनाए रख पाएगा. अभी तो कांग्रेस और TMC की दूरी कुछ घटी है, पर यह साथ कितनी दूर तक जाएगा, यह देखना बाकी है.

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

August 22, 2025, 10:53 IST

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