भले ही आपने अंगद का पैर न देखा हो, लेकिन इस शहर में आज भी मौजूद हैं चिन्‍ह

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Last Updated:August 22, 2025, 11:13 IST

Indian Railways- हरियाणा के रेवाड़ी में हेरिटेज स्‍टीम इंजन लोको शेड है. यहां पर देशभर के पुराने पुराने स्‍टीम इंजनों को संरक्षित करके रखा गया है. उन्‍हीं में से एक अंगद है.

भले ही आपने अंगद का पैर न देखा हो, लेकिन इस शहर में आज भी मौजूद हैं चिन्‍ह95 साल हो चुकी है उम्र.

नई दिल्‍ली. रामायण तो आपको पूरी याद ही होगी. उसमें अंगद को भला कौन भूल सकता है.जिन्‍होंने रावण के दरबार में पैर जमा लिया तो बड़े से बड़े महारथी उसे हिला नहीं पाए थे. हालां‍कि अंगद को किसी ने देखा नहीं है, उनकी कहानी सभी लोग जानते हैं. मौजूदा समय लोग आम बोलचाल में भी कई बार अंगद के पैर का उदाहरण दिया जाता है. हरियाणा के एक छोटे शहर में अंगद के ‘निशान’ आज भी मौजूद हैं! आप वहां जाकर देख सकते हैं.

हरियाणा के रेवाड़ी में हेरिटेज स्‍टीम इंजन लोको शेड है, यह उत्तर रेलवे के तहत आता है. यहां पर देशभर के पुराने पुराने स्‍टीम इंजनों को संरक्षित करके रखा गया है. 14 विंटेज स्टीम इंजनों में 100 साल से भी ज्‍यादा पुराने इंजन भी शामिल हैं. इनमें ब्राड गेज और मीटर गेज के इंजन शामिल शामिल हैं. इनमें से कुछ इंजन आज भी दौड़ते हैं. लोग इनको देखने भी पहुंचते हैं.

सबसे भारी इंजन होने की वह से इसका नाम अंगद रखा गया है.

क्‍या हैं अंगद के चिन्‍ह

दरअसल यहां पर एक इंजन है. वो रेलवे का सबसे भारी है. इसका वजन 210 टन के करीब है. बताते हैं कि जब यह इंजन चलता था, तो ट्रैक के आसपास धरती कांपने लगती है, भूकंप जैसा अहसास होता है. भारी भरकम होने की वजह से इसका नाम अंगद रखा गया है. यानी बलशाली और वजनी. यह इंजन 1930 में बना है, यानी 95 साल की उम्र पार कर चुका है. रेलवे द्वारा इसे फिर से दौड़ाने के लिए रिपेयर का काम चल रहा है.

खासियत

इसमें 14 टन कोयला और 6000 गैलन पानी स्‍टोर किया जा है. इसकी अधिकतम स्‍पीड 75 किमी. प्रति घंटे की है. इसे चलाने में तीन लोगों की जरूरत पड़ती है एक लोको पायलट और दो फायरमैन, जो इंजन में लगातार कोयला डालते थे. इस तरह स्‍टीम इंजन लोको शेड रेवाड़ी जाकर अंगद को देख सकते हैं.

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Location :

Rewari,Rewari,Haryana

First Published :

August 22, 2025, 11:13 IST

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