'क्या वह आपके दोस्त...' जस्टिस यशवंत वर्मा पर वकील ने कही ऐसी बात, भड़क गए CJI

8 hours ago

Last Updated:July 21, 2025, 13:17 IST

Supreme Court on Justice Yashwant Verma Case: सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस बीआर गवई ने वकील मैथ्यूज नेदुमपारा को जस्टिस यशवंत वर्मा को 'वर्मा' कहने पर फटकार लगाई. नेदुमपारा ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ एफआईआर की मा...और पढ़ें

'क्या वह आपके दोस्त...' जस्टिस यशवंत वर्मा पर वकील ने कही ऐसी बात, भड़क गए CJI

जस्टिस यशवंत वर्मा मामले पर सुप्रीम कोर्ट में गर्मागरम बहस देखने को मिली. (News18)

हाइलाइट्स

वकील ने सुप्रीम कोर्ट से जस्टिस वर्मा के खिलाफ एफआईआर की मांग की थी.सीजेआई ने जस्टिस वर्मा को सिर्फ वर्मा कहने पर वकील को फटकार लगाई.SG तुषार मेहता ने वकील की इस भाषा पर आपत्ति जताई.

सुप्रीम कोर्ट में आज एक दिलचस्प स्थिति देखने को मिली. यहां चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने एक वकील को कसकर फटकार लगा दी. इस वकील ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा को सिर्फ ‘वर्मा’ कहकर संबोधित किया. इस पर भारत के सीजेआई बीआर गवई भड़क गए और वकील को फटकार लगाते हुए कहा, ‘क्या जस्टिस वर्मा आपके दोस्त हैं? वह अभी भी हाईकोर्ट के विद्वान न्यायाधीश हैं, आप उन्हें इस तरह कैसे संबोधित कर सकते हैं?’

यह मामला जस्टिस वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग से जुड़ा है. वकील मैथ्यूज नेदुमपारा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दिल्ली पुलिस को निर्देश देने की मांग की है कि वह जस्टिस वर्मा के घर से भारी मात्रा में नकदी मिलने के मामले में प्राथमिकी दर्ज करे. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष तीसरी बार यह याचिका दायर की थी और सोमवार को तत्काल सुनवाई की मांग कर रहे थे.

CJI ने जताई नाराज़गी

याचिका पर सुनवाई के दौरान जैसे ही नेदुमपारा ने जस्टिस वर्मा को ‘वर्मा’ कहकर संबोधित किया, मुख्य न्यायाधीश ने तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, ‘अगर आप चाहते हैं कि हम आपकी याचिका अभी खारिज कर दें, तो हम कर सकते हैं.’ सॉलिसिटर जनरल (महाधिवक्ता) तुषार मेहता ने भी इस भाषा पर आपत्ति जताई और कहा कि जब तक कोई न्यायाधीश पद पर है, तब तक उन्हें सम्मानपूर्वक संबोधित किया जाना चाहिए.

क्या है पूरा मामला?

मार्च 2024 में दिल्ली हाईकोर्ट में तैनात जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर आग लग गई थी. ऐसे में आग बुझाने पहुंचे दमकलकर्मियों और पुलिस को वहां प्लास्टिक की थैलियों में भरी बड़ी मात्रा में अधजली नकदी मिली थी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की एक तीन-सदस्यीय जांच समिति ने उन्हें दोषी पाया. जस्टिस वर्मा को बाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया था. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में इस कार्रवाई को चुनौती भी दी है.

नेदुमपारा की याचिका में क्या है?

नेदुमपारा की याचिका में कहा गया है कि इस तरह की बड़ी नकदी की बरामदगी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी कानून के तहत एक संज्ञेय अपराध है, लेकिन के. वीरास्वामी बनाम भारत सरकार के फैसले के मुताबिक किसी न्यायाधीश के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश की अनुमति आवश्यक होती है.

नेदुमपारा की याचिका में यह भी दावा किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच समिति असंवैधानिक है और यह पुलिस के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप करती है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इस समिति को अवैध घोषित करने और पुलिस को स्वतंत्र जांच की अनुमति देने की मांग की है.

Saad Omar

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...

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