पटना. बिहार में जहां देखो आजकल बीजेपी के फायर ब्रांड नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की ‘हिंदू स्वाभिमान यात्रा’ की ही चर्चा हो रही है. पिछले कुछ दिनों से गिरिराज सिंह बिहार में न केवल गरज रहे हैं, बल्कि मुस्लिम इलाकों में जमकर बरस भी रहे हैं. सिंह की इस गर्जना से आरजेडी नेता तेजस्वी यादव. एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी और पूर्णियां के सांसद पप्पू यादव को मिर्ची लग गई है. राजनीतिक गलियारे में इस बात की भी चर्चा शुरू हो गई है कि बीजेपी ने बिहार विधानसभा 2025 के लिए अपना एजेंडा सेट कर दिया है. सिंह ने अपनी ‘हिंदू स्वाभिमान यात्रा’ में वही भाव झलकाने की कोशिश की, जो यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ और RSS प्रमुख मोहन भागवत के हिंदुओं के एकजुट होने की अपील में झलकता है. ऐसे में क्या गिरिराज सिंह, सम्राट चौधरी की जगह बिहार बीजेपी के नए पोस्टर ब्वॉय बन गए हैं?
इस साल लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार बीजेपी के कद्दावर नेता सुशील कुमार मोदी का निधन हो गया था. सुशील मोदी बिहार में कैलाशपति मिश्रा के बाद दूसरे ऐसे नेता थे, जिनके इर्द-गिर्द दशकों तक बीजेपी की राजनीति की धुरी घूमती रही. बिहार में कम से कम साल 2014-15 तक तो सुशील कुमार मोदी का कालखंड कहा जा सकता है. लेकिन, मोदी-शाह के दिल्ली में पैर जमाते ही बिहार बीजेपी से सुशील मोदी का पैर उखड़ने लगा.
बिहार बीजेपी का नया पोस्टर ब्वॉय
इस दौरान बीजेपी आलाकमान ने बिहार बीजेपी के कई नेताओं पर दांव खेला. लेकिन, सुशील मोदी स्तर का नेता कोई बन नहीं पाया. तारकिशोर सिन्हा, रेणु देवी, संजय जयसवाल और नित्यानंद राय जैसे नेता कब आगे आए और कब कहां चले गए इसकी चर्चा अभी भी हो रही है. रविशंकर प्रसाद, नंदकिशोर यादव और प्रेम कुमार जैसे नेता भी बीजेपी आलाकमान के कसौटी पर खरे नहीं उतरे. ऐसे में बीजेपी ने सम्राट चौधरी को चेहरा बनाया. चौधरी बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बने और फिर नीतीश सरकार में नंबर- 2 का पद डिप्टी सीएम भी मिला. लेकिन, सम्राट चौधरी कई विचारधाराओं को अपनाते हुए बीजेपी में आए हैं. ऐसे में इनपर भी संशय के बादल मंडराने लगा है.
गिरिराज सिंह, सम्राट चौधरी या फिर कोई और…
अब 72 साल के गिरिराज सिंह को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. बिहार की राजनीति को करीब से जानने वाले और मौजूदा दौर में बीजेपी के सभी नेताओं के उभार को देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडेय कहते हैं, ‘गिरिराज सिंह फायर ब्रांड नेता हैं, इसमें दो राय नहीं है. वह केंद्रीय मंत्री कम नेता ज्यादा लगते हैं. खासकर, हिंदू वोट के लिए वह पार्टी के पोस्टर ब्वॉय बन कर उभरे हैं. उनकी ‘हिंदू स्वाभिमान यात्रा’ से बिहार बीजेपी ने भले पल्ला झाड़ लिया. लेकिन, जहां-जहां वह गए हर जगह पार्टी के विधायकों और सांसद उनके साथ थे. चाहे वह तारकिशोर प्रसाद हों या अररिया के सांसद प्रदीप सिंह. इसलिए, मैं मानता हूं कि यह पार्टी की रणनीति का ही हिस्सा था.’
क्या कहते हैं जानकार
पांडेय आगे कहते हैं, ‘उत्तर बिहार से लेकर सीमांचाल में बीते लोकसभा चुनाव में एनडीए ने 26 में से 23 सीटों पर जीत दर्ज की थी. सिर्फ तीन सीटें पूर्णियां, किशनगंज और कटिहार में एनडीए की हार हुई थी. इससे ठीक उलट विधानसभा चुनाव 2029 में इन इलाकों में एनडीए का प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं था. ऐसे में बीजेपी भले जो कुछ कहे लेकिन, गिरिराज सिंह ने हिंदू वोट को चार्ज करने के लिए भागलपुर, पूर्णियां, कटिहार,अररिया और किशनगंज में ‘हिंदू स्वाभिमान यात्रा’ निकाली. कोई केंद्रीय मंत्री व्यक्तिगत कैसे यात्रा निकाल सकता है? गिरिराज सिंह की यह यात्रा उनके उद्देश्य के ही करीब था. अब उनके उद्देश्य में कितनी सफलता मिली यह तो वक्त ही बातएगा. हां, जहां तक सीएम फेस की बात है मुझे नहीं लगता है कि बीजेपी ऐसा निर्णय ले पाएगी. क्योंकि यहां पिछड़ा बनाम पिछड़ा और पिछड़ा बनाम अतिपिछड़ा की पॉलिटिक्स शुरू हो गई है. हां, गिरिराज सिंह ने बीजेपी के हिंदू एजेंडे को राज्य में धार दिया.’
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FIRST PUBLISHED :
October 26, 2024, 18:55 IST