चिकन नेक की टेंशन खत्म, कोई नहीं डाल पाएगा नजर, बिहार से नेपाल तक सबको लाभ

2 hours ago

Last Updated:September 15, 2025, 09:30 IST

Indian Railway News: अररिया से गलगलिया तक नई ब्रॉड-गेज रेल लाइन का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज उद्घाटन करेंगे. यह सीमांचल की लाइफलाइन और भारत की सामरिक सुरक्षा के लिए अहम साबित होगी. 110.75 किलोमीटर लंबी इस लाइन से पूर्वोत्तर भारत की 'चिकन नेक' पर निर्भरता कम होगी.

चिकन नेक की टेंशन खत्म, कोई नहीं डाल पाएगा नजर, बिहार से नेपाल तक सबको लाभप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अररिया से गलगलिया तक नई ब्रॉड-गेज रेल लाइन का उद्घाटन करने वाले हैं. (फाइल फोटो)

आज़ादी के बाद पहली बार बिहार के सीमांचल में लोगों का एक बड़ा सपना पूरा हुआ है. यहां अररिया से गलगलिया तक नई ब्रॉड-गेज रेल लाइन बनकर तैयार हो गई है. इस नई रेल लाइन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे आज जनता को समर्पित करने जा रहे हैं. इस लाइन को न केवल सीमांचल की लाइफलाइन कहा जा रहा है, बल्कि यह भारत की सामरिक सुरक्षा के लिहाज़ से भी बेहद अहम साबित होगी.

दरअसल, अब तक पूर्वोत्तर भारत को जोड़ने के लिए देश पूरी तरह से ‘चिकन नेक’ गलियारे पर निर्भर था. यही वह इलाका था जिस पर चीन और बांग्लादेश की नजरें हमेशा टिकी रहती थीं, लेकिन इस नई रेल लाइन के शुरू होने से इस चिंता का काफी हद तक समाधान हो जाएगा.

110KM लंबी रेल लाइन, 100 KMpH से दौड़ेगी ट्रेन

नई रेल लाइन कुल 110.75 किलोमीटर लंबी है और इसमें 11 रेलवे स्टेशन तथा एक हॉल्ट बनाए गए हैं. इसके अलावा 64 बड़े और 264 छोटे पुलों का निर्माण किया गया है, जिससे ट्रेनें अब 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकेंगी.

यह रेलमार्ग कटिहार-पूर्णिया-अररिया से होकर गलगलिया और फिर न्यू जलपाईगुड़ी तक जुड़ता है. इस तरह न केवल सीमांचल के अररिया और किशनगंज जिलों को नई सौगात मिली है, बल्कि पश्चिम बंगाल और नेपाल तक सीधा फायदा पहुंचेगा.

चिनक नेक पर निर्भरता खत्म

इस परियोजना का सबसे बड़ा लाभ देश की सामरिक ताकत को मिलेगा. चिकन नेक अब तक भारत की सबसे कमजोर कड़ी मानी जाती थी, क्योंकि चीन और बांग्लादेश, दोनों देशों की सीमाएं इस इलाके से सटी हैं. युद्ध या किसी भी आपात स्थिति में यहां कोई रुकावट आने पर पूर्वोत्तर से संपर्क कट सकता था. नई रेल लाइन इस खतरे को कम कर देगी. अब सेना की आवाजाही, मालगाड़ियों और यात्री सेवाओं के लिए एक वैकल्पिक, सुरक्षित और तेज़ मार्ग मौजूद होगा. इससे चीन और बांग्लादेश की किसी भी संभावित रणनीति का जवाब पहले से ज्यादा प्रभावी ढंग से दिया जा सकेगा.

लोगों का सपना पूरा

सीमांचल के स्थानीय लोगों के लिए यह केवल एक रेल सेवा नहीं बल्कि जीवन का सपना है. अनवर, कुर्बान और शमसुल जैसे आम लोगों ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनके घर के पास ट्रेन की सीटी बजेगी. कुर्बान का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी के काम की असली पहचान ऐसे ही विकास कार्यों से होती है. शमसुल ने कहा कि अब अररिया से किशनगंज तक रेल से सफर संभव होगा और इससे माल ढुलाई व यात्राएं आसान हो जाएंगी.

यह रेल लाइन किसानों और व्यापारियों के लिए भी वरदान साबित होगी. फसलों और अन्य सामान की ढुलाई अब सस्ती और तेज़ होगी. नेपाल सीमा से जुड़े कारोबार को नई रफ्तार मिलेगी और सीमांचल के युवाओं को रोजगार और शिक्षा के नए अवसर मिलेंगे. दिल्ली, कोलकाता और गुवाहाटी जैसे बड़े शहर अब पहले से ज्यादा करीब महसूस होंगे.

लंबा इंतजार और नई उम्मीदें

इस परियोजना का सपना पहली बार 2006 में देखा गया था, लेकिन इसे पूरा होने में 18 साल लग गए. करीब 2300 करोड़ रुपये की लागत से यह काम पूरा हुआ है. इस दौरान इलाके के लोगों ने लंबा इंतजार किया, लेकिन अब जब यह सपना साकार हो रहा है तो उनके चेहरों पर उम्मीद की नई चमक दिख रही है.

कुल मिलाकर अररिया-गलगलिया रेल लाइन न सिर्फ सीमांचल के लिए विकास और समृद्धि की नई राह खोलेगी बल्कि भारत की सुरक्षा रणनीति को भी नई मजबूती देगी. अब चिकन नेक पर पूरी तरह निर्भर रहने की मजबूरी खत्म हो जाएगी और चीन या बांग्लादेश की ओर से कोई भी खतरा भारत के लिए चिंता का कारण नहीं बनेगा.

Saad Omar

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें

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First Published :

September 15, 2025, 09:30 IST

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