'जज भी इंसान, गलती होने पर सुधार जरूरी', SC को याद आई 39 साल पुरानी गलती

4 hours ago

Last Updated:October 24, 2025, 10:07 IST

'जज भी इंसान, गलती होने पर सुधार जरूरी', SC को याद आई 39 साल पुरानी गलतीसुप्रीम कोर्ट ने 39 साल पहले दिए फैसले में सुधार किया है. (फाइल फोटो)

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने 39 साल पुराने एक मामले में बड़ी बात कही है. शीर्ष अदालत ने कहा कि जज भी इंसान हैं और उनसे भी गलतियां हो सकती हैं, लेकिन अदालतों को ऐसी किसी त्रुटि को स्वीकार करने और उसे सुधारने से पीछे नहीं हटना चाहिए. फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी भी पक्ष को केवल इसलिए नुकसान नहीं होना चाहिए, क्योंकि अदालत से कोई गलती या चूक हो गई हो. जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि भारतीय न्यायशास्त्र में यह सिद्धांत गहराई से स्थापित है कि actus curiae neminem gravabit यानी अदालत का कोई भी कदम किसी पक्षकार को नुकसान पहुंचाने वाला नहीं होना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ ने कहा कि न्यायिक अधिकार का प्रयोग लिटिगेंट्स (litigants) के नुकसान नहीं, बल्कि न्याय के हित में होना चाहिए. आखिर इंसान से भूल हो सकती है और जब अदालत का ध्यान इस ओर आकर्षित किया जाए तो यह उसका दायित्व है कि कोई भी पक्ष ऐसी चूक के कारण पीड़ित न रहे. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने एक पुराने प्रॉपर्टी विवाद के मामले की सुनवाई के दौरान इस महत्वपूर्ण टिप्पणी की है.

तकरीबन 4 दशक पुराना मामला

‘टाइम्‍स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट के अनुसार, साल 1989 में चंडीगढ़ में एक व्यक्ति ने 25,000 रुपये अग्रिम देकर एक संपत्ति खरीदने के लिए सहमति जताई और कब्जा ले लिया. लंबी कानूनी लड़ाई के कारण उसे मालिकाना हक नहीं मिला. सुप्रीम कोर्ट ने 39 साल तक चले विवाद का अंत करते हुए खरीदार को 2 करोड़ रुपये मुआवज़ा देने का आदेश तो दिया, लेकिन फैसले में यह स्पष्ट नहीं किया कि भुगतान के बाद खरीदार को संपत्ति का कब्जा मालिक को वापस करना होगा. इस चूक का फायदा उठाते हुए खरीदार ने 2 करोड़ रुपये मिलने के बाद भी भवन का कब्जा लौटाने से इनकार कर दिया. मालिक को फिर से निचली अदालत और पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा, जहां निर्णय उसके पक्ष में गया. सुप्रीम कोर्ट ने अब इस आदेश को बरकरार रखते हुए खरीदार को “दुराचारी” करार दिया और उस पर 10 लाख रुपये का अतिरिक्त जुर्माना भी लगाया.

न्याय की रक्षा सर्वोपरि

अदालत ने इस फैसले के ज़रिए यह संदेश दिया कि यदि कोर्ट से कोई त्रुटि होती है तो उसे तत्काल सुधारा जाना चाहिए, ताकि न्याय की मूल भावना बनी रहे और कोई भी पक्ष अप्रिय परिस्थिति में न फंसे. बता दें कि कोर्ट में हर दिन सैकड़ों की तादाद में मामले सुनवाई के लिए आते हैं. इनमें से कई वाद में फैसले भी आते हैं. फैसले से असहमत लोग ऊपरी अदालत का रुख करते हैं. और यह प्रक्रिया सतत चलती रहती है.

Manish Kumar

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

October 24, 2025, 10:07 IST

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