Last Updated:November 25, 2025, 16:51 IST
Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक ईसाई आर्मी ऑफिसर की बर्खास्तगी को सही ठहराया, जिसने एक मंदिर के पवित्र स्थान में घुसने से मना कर दिया था. यह कहते हुए कि आर्मी एक संस्था के तौर पर सेक्युलर है और इसके डिसिप्लिन से समझौता नहीं किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपने अपने सैनिकों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है और ऑफिसर सैमुअल कमलेसन पर घोर अनुशासनहीनता का आरोप लगाया और उन्हें 'आर्मी के लिए पूरी तरह से मिसफिट' कहा.
सेना के ईसाई अफसर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया क्या फैसला?नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक पूर्व ईसाई अधिकारी की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने अपनी सेवा समाप्ति को चुनौती दी थी. अधिकारी पर आरोप था कि उन्होंने अपनी पोस्टिंग के स्थान पर मंदिर के गर्भगृह में रेजिमेंटल धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने इस कृत्य को ‘अनुशासनहीनता की सबसे गंभीर श्रेणी’ बताया.
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसमें सेना की कार्रवाई को सही ठहराया गया था. कोर्ट ने कहा कि सैमुअल कमलेसन का व्यवहार सैन्य अनुशासन के अनुकूल नहीं था. सीजेआई ने कहा कि वह किस तरह का संदेश दे रहे हैं? उन्हें तो इसी वजह से बाहर कर देना चाहिए था. यह सेना के अधिकारी द्वारा अनुशासनहीनता की सबसे गंभीर श्रेणी है.
बेंच ने और क्या कहा?
पीठ ने कहा कि नेताओं को उदाहरण पेश करना होता है. आप अपने सैनिकों का अपमान कर रहे हैं. जब एक पादरी ने आपको सलाह दी, तो आपको वहीं रुक जाना चाहिए था. आप अपने धर्म की निजी समझ नहीं रख सकते, वह भी वर्दी में.” कमलेसन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कोर्ट में कहा कि उनके मुवक्किल को सेवा से सिर्फ एक बार मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश से इनकार करने के कारण बर्खास्त किया गया, क्योंकि यह उनके ईसाई विश्वास के खिलाफ था. उन्होंने कहा कि अधिकारी ने अन्य सभी बहुधर्मी स्थानों और रेजिमेंटल कार्यक्रमों में सम्मानपूर्वक भाग लिया था.
कैसे कोई अधिकारी इनकार कर सकता है: CJI
सीजेआई ने पूछा कि क्या अनुशासित बल में इस तरह का झगड़ालू व्यवहार स्वीकार्य है? उन्होंने यह भी पूछा कि एक टुकड़ी का नेता अपने सैनिकों के साथ उस स्थान पर जाने से कैसे इनकार कर सकता है, जिसे वे पवित्र मानते हैं. पीठ ने यह भी नोट किया कि रेजिमेंट में सिख सैनिकों की उपस्थिति के कारण एक गुरुद्वारा भी है. सीजेआई ने पूछा कि गुरुद्वारा सबसे धर्मनिरपेक्ष स्थानों में से एक है, जिस तरह से वह व्यवहार कर रहे हैं क्या वह अन्य धर्मों का अपमान नहीं कर रहे हैं?
ईसाई अधिकारी ने दी क्या दलील?
वरिष्ठ वकील ने कहा कि अपीलकर्ता का संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत धर्म का पालन करने का मौलिक अधिकार सिर्फ वर्दी पहनने के कारण नहीं छीना जा सकता. न्यायमूर्ति बागची ने पूछा कि अनुच्छेद 25 आवश्यक धार्मिक विशेषताओं की रक्षा करता है, हर भावना की नहीं, ईसाई धर्म में मंदिर में प्रवेश कहां वर्जित है? पीठ ने यह भी बताया कि अधिकारी ने स्थानीय पादरी की सलाह को भी नजरअंदाज कर दिया, जिन्होंने कहा था कि ‘सर्वधर्म स्थल’ में प्रवेश करना ईसाई विश्वास का उल्लंघन नहीं है.
CJI बोले – आप 100 चीजों में उत्कृष्ट हो सकते हैं लेकिन…
सीजेआई ने कहा कि आप 100 चीजों में उत्कृष्ट हो सकते हैं, लेकिन भारतीय सेना अपनी धर्मनिरपेक्षता के लिए जानी जाती है. आपने अपने ही सैनिकों की भावनाओं का सम्मान नहीं किया. यह बात उस दलील के जवाब में कही गई कि सेवा से बर्खास्तगी की सजा को हटाया जा सकता है. जब अपीलकर्ता के वकील ने कहा कि नोटिस जारी न करना समाज के लिए गलत संदेश होगा, तो पीठ ने कहा कि यह एक मजबूत संदेश देगा. साल 2017 में 3rd कैवेलरी रेजिमेंट में कमीशन हुए कमलेसन को ‘बी’ स्क्वाड्रन के टुकड़ी नेता के रूप में तैनात किया गया था, जिसमें सिख जवान शामिल थे. रेजिमेंट में एक मंदिर और एक गुरुद्वारा था, लेकिन ‘सर्वधर्म स्थल’ या चर्च नहीं था. कमलेसन ने दावा किया कि उन्होंने साप्ताहिक धार्मिक परेड के लिए दोनों स्थानों पर सैनिकों के साथ गए, लेकिन ‘आरती, हवन या पूजा’ के दौरान धार्मिक विवेक के कारण गर्भगृह में प्रवेश नहीं किया.
सेना का क्या था स्टैंड?
सेना ने कहा कि अधिकारी ने बार-बार अनिवार्य रेजिमेंटल परेड में शामिल होने से इनकार किया और वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें रेजिमेंटेशन के महत्व पर समझाने के ‘कई प्रयास’ किए. हालांकि, उन्होंने इनकार कर दिया और इससे यूनिट की एकता कमजोर हुई, जो संचालन की प्रभावशीलता के लिए जरूरी है. सेना ने माना कि कमलेसन की आगे की सेवा ‘अवांछनीय’ है और उनकी बर्खास्तगी को हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा. यह माना गया कि रेजिमेंटल धार्मिक स्थान, भले ही ऐतिहासिक रूप से स्थापित हों, उनका उद्देश्य धर्मनिरपेक्ष और एकजुटता बढ़ाने वाला होता है, न कि किसी एक धर्म का.
अरुण बिंजोला इस वक्त न्यूज 18 में बतौर एसोसिएट एडिटर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. वह करीब 15 सालों से पत्रकारिता में सक्रिए हैं और पिछले 10 सालों से डिजिटल मीडिया में काम कर रहे हैं. करीब एक साल से न्यूज 1...और पढ़ें
अरुण बिंजोला इस वक्त न्यूज 18 में बतौर एसोसिएट एडिटर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. वह करीब 15 सालों से पत्रकारिता में सक्रिए हैं और पिछले 10 सालों से डिजिटल मीडिया में काम कर रहे हैं. करीब एक साल से न्यूज 1...
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Location :
Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
November 25, 2025, 16:51 IST

1 hour ago
