Last Updated:September 18, 2025, 14:35 IST
Indian Air Force MiG 21 Retirement: भारतीय वायुसेना का पहला सुपरसोनिक फाइटर जेट MiG 21 26 सितंबर को रिटायर होने जा रहा है. इस फाइटर जेट का कैसा रहा पूरा सफर और अब इसकी जगह कौन सा लड़ाकू विमान होगा तैनात, जानने के लिए पढ़ें आगे...

Indian Air Force MiG 21 Retirement: भारतीय वायुसेना के इतिहास से मिग-21 का एक महत्वपूर्ण अध्याय समाप्त होने वाला है. रूस में बना मिग-21 भारत का पहला सुपरसोनिक फाइटर एयरक्राफ्ट था. भारत और पाकिस्तान के बीच हुए तमाम युद्धों में वीरता की अद्भुद कहानी लिखने वाला यह सुपरसोनिक फाइटर जेट अब अपनी अंतिम उड़ान भरने की तैयारी कर रहा है. 26 सितंबर को चंडीगढ़ एयरबेस पर होने वाले समारोह के साथ ही इस विमान की 62 साल पुरानी यात्रा का अंत हो जाएगा. अपने 62 साल के इस सफर में मिग-21 ने नकेवल भारतीय आकाश की रक्षा की, बल्कि हर बार दुश्मनों को धूल भी चटाई. हालांकि इसी सफर के बीच हुए तमाम हादसों ने इस फाइटर जेट को ‘फ्लाइंग कॉफिन’ के नाम से कुख्यात कर दिया.
मिग-21 की शुरुआत सोवियत संघ से हुई. 1955 में मिकोयान-गुरेविच डिजाइन ब्यूरो ने इस विमान को डिजाइन किया. यह एक सिंगल इंजन, सिंगल सीटर मल्टी-रोल फाइटर था, जो आवाज की गति से दोगुनी यानी मैक-2 की रफ्तार से उड़ सकता था. 1960 के दशक में भारत-पाकिस्तान तनाव लगातार बढ़ रहा था. 1962 के चीन युद्ध के बाद भारतीय वायुसेना नए लड़ाकू विमानों के जरिए अपने जंगी बेड़े को मजबूत करना चाह रही थी. इसी बीच, अमेरिका ने खैरात के तौर पर पाकिस्तान को F-104 स्टारफाइटर दिया था. लेकिन, जब भारत ने स्टारफाइटर खरीदना चाहा तो अमेरिका ने आनाकानी शुरू कर दी. ऐसे में भारत ने तब के सोवियत संघ और आज के रूस की ओर रुख किया.
1963 के शुरूआती महीनों में मिग-21 की इंट्री भारतीय वायुसेना में हो गई. अप्रैल में पहले छह मिग-21 मुंबई (तब का बंबई) के इक्विपमेंट डिपो से आगरा होते हुए चंडीगढ़ पहुंचे थे. भारतीय वायुसेना की 28 स्क्वाड्रन को ‘फर्स्ट सुपरसोनिक्स’ होने को मौका मिला. शुरुआत में इनका इस्तेमाल दुश्मन के लड़ाकू विमानों को रोकने के लिए इंटरसेप्टर के तौर पर किया गया. लेकिन, जल्द ही ये ग्राउंड अटैक सहित अन्य भूमिकाओं में भी नजर आए. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने भारत में इनका प्रोडक्शन शुरू किया. कुल 850 से ज्यादा मिग-21 भारत आए, जिनमें से करीब 600 एचएएल ने बनाए. यह भारत का पहला गैर-पश्चिमी लड़ाकू विमान था, जिसने सोवियत संघ के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत किया था.
पाकिस्तान से युद्धों में मिग-21 की अग्निपरीक्षा
मिग-21 की असली परीक्षा भारत-पाकिस्तान के बीच हुए 1965 और 1971 के युद्धों में हुई. 1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध इसका पहला बड़ा मौका था. हालांकि संख्या कम होने और ट्रेनिंग की कमी से भूमिका सीमित रही, लेकिन इनकी फुर्ती ने पाकिस्तानी विमानों को खूब परेशान किया. फिर आया 1971 का बांग्लादेश मुक्ति संग्राम और उसके बाद शुरू हुआ भारत-पाकिस्तान युद्ध. यहां मिग-21 ने कमाल कर दिया. 1971 के युद्ध में इस सुपरसोनिक फाइटर जेट ने साबित कर दिया कि पाकिस्तान का स्टारफाइटर उसके सामने कहीं नहीं टिकता है. इस युद्ध में भारतीय वायुसेना के मिग-21 ने दुश्मन के तमाम टैंकों को नेश्ताबूद करते हुए, 11 पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों को मार गिराया था.
अपग्रेडेशन और कारगिल में मिग-21 की भूमिका
1980 के दशक में मिग-21 को अपग्रेड किया गया. MiG-21 Bis और MiG-21 Bison जैसे वेरिएंट आए. इनमें बेहतर रडार, अवियोनिक्स और हथियार सिस्टम लगाए गए. 1984 के ऑपरेशन मेघदूत में सियाचिन ग्लेशियर पर इनकी खास भूमिका रही, हालांकि ऊंचाई पर चुनौतियां बेहद कठिन थीं. 1999 के कारगिल युद्ध में मिग-21 ने एक नया गौरवपूर्ण अध्याय लिखा. ऑपरेशन सफेद सागर में यह सुपरसोनिक फाइटर मिराज 2000, मिग-29 जैसे आधुनिक जेट्स के साथ उड़ा. ऊंचे पहाड़ों में अपनी घातक बमबारी से पाकिस्तानी घुसपैठियों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया. हालांकि, इस लड़ाई में स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा का जेट हादसे का शिकार हुआ, लेकिन मिग-21 ने साबित भी कर दिया कि उम्र के बावजूद उसकी ताकत जस की तस है.
… और मिग-21 से जुड़ा है एक काला अध्याय
मिग-21 की कहानी में हादसे एक काला अध्याय भी है. 1963 में ही पहले साल दो मिग-21 गिरे. आंकड़ों के मुताबिक, 60 सालों में 500 से ज्यादा मिग-21 क्रैश हुए, जिनमें 170 से ज्यादा पायलट शहीद हुए. 1970 से अब तक 170 पायलट और 40 नागरिकों को मिग-21 के हादसों की वजह से अपनी जान गंवानी पड़ी. 400 से ज्यादा क्रैश सिर्फ 1971-2022 के बीच हुए थे. मिग-21 के लगातार बढ़ते हादसों को देखते हुए भारतीय वायु सेना ने इसे रिटायर करने का फैसला ले लिया. सितंबर 2025 में अंतिम दो स्क्वाड्रन रिटायर होंगे. नाल एयरबेस से चंडीगढ़ शिफ्ट होकर विदाई लेंगे. एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने अगस्त में अंतिम सॉर्टी उड़ाई और कहा कि यह फाइटरजेट बेहत फुर्तीला और मजबूत था, इसे हमेशा याद किया जाएगा. इन्हें तेजस Mk-1A से बदल दिया जाएगा. एचएएल तेजस का उत्पादन बढ़ा रहा है.
Anoop Kumar MishraAssistant Editor
Anoop Kumar Mishra is associated with News18 Digital for the last 6 years and is working on the post of Assistant Editor. He writes on Health, aviation and Defence sector. He also covers development related to ...और पढ़ें
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First Published :
September 18, 2025, 12:44 IST