Children Airlift: युद्ध कभी भी किसी हल का रास्ता नहीं होता लेकिन इतिहास बार-बार इस रास्ते के लिए मजबूर हुआ है. ऐसा ही 1975 में हुआ था जब वियतनाम युद्ध हुआ था. उस युद्ध में कई ऐसे भयानक मंजर सामने आए थे जिससे दुनिया की रूह कांप उठी थी. युद्ध के आखिरी दिनों में उत्तरी वियतनामी सेना द्वाराकुछ इलाकों को घेर लिया गया था. इस संकट के समय अमेरिका और उसके सहयोगियों ने 'ऑपरेशन बेबीलिफ्ट' के तहत सैकड़ों अनाथ बच्चों को सुरक्षित निकालने का अभियान चलाया. अमेरिकी सैनिकों और वियतनामी महिलाओं के बच्चों समेत कई अनाथ बच्चों को अमेरिका और अन्य देशों में गोद लेने के लिए भेजा गया. इस दौरान 4 अप्रैल 1975 को पहली फ्लाइट में एक बड़ा हादसा हुआ जब एक अमेरिकी सैन्य विमान टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसमें 78 बच्चों समेत 138 लोगों की जान चली गई.
भयानक विमान हादसे के बावजूद बचाव कार्य जारी
असल में हाल ही में अलजजीरा की एक रिपोर्ट में इसके बारे में विस्तृत तरीके से बताया गया. हुआ यह था कि पहली उड़ान में दुर्घटना के बावजूद बचाव कार्य जारी रहा. घायल फ्लाइट नर्स रेजिना ऑने और अन्य कर्मियों ने जान जोखिम में डालकर बचे हुए बच्चों को मलबे से निकालकर सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया. इसके बाद ऑपरेशन को और तेज कर दिया गया और निजी एयरलाइनों ने भी मदद के लिए हाथ बढ़ाया. अगले तीन हफ्तों में लगभग तीन हजार से अधिक बच्चों को विभिन्न देशों में भेजा गया. हालांकि बाद में सामने आया कि कई बच्चों के परिवारों ने उन्हें विदेश भेजने की सहमति नहीं दी थी.
जिंदगी दांव पर लगाकर बचाई गई मासूम जिंदगियां
इस ऑपरेशन में शामिल मेडिकल टीमों और कर्मचारियों ने जान की परवाह किए बिना युद्धग्रस्त सैगॉन में जाकर बच्चों को अनाथालयों से एकत्रित किया. बच्चों को सुरक्षित निकालने के लिए विमान में फाइल बॉक्स का भी इस्तेमाल किया गया. युद्ध क्षेत्र से उड़ानों के दौरान कई मुश्किलें आईं. जैसे बम रखने की कोशिश पायलट की तबीयत बिगड़ना और विमान के शीशे में दरारें आना. बावजूद इसके बच्चे सुरक्षित फिलीपींस के क्लार्क एयरबेस और वहां से अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को लाए गए.
ऑपरेशन बेबीलिफ्ट पर उठे सवाल
शुरुआती दौर में ऑपरेशन बेबीलिफ्ट को एक मानवीय सफलता बताया गया लेकिन बाद में इस पर कई सवाल उठे. कई परिवारों ने आरोप लगाया कि वे बच्चों को केवल अस्थायी देखभाल के लिए सौंप रहे थे स्थायी तौर पर देश से बाहर भेजने के लिए नहीं. इसके अलावा कई बच्चों को गलत या अधूरी कागजी कार्रवाई के चलते सही परिवारों से जोड़ना मुश्किल हो गया. कुछ बच्चों के साथ उनके नए घरों में दुर्व्यवहार और भेदभाव के मामले भी सामने आए.
बचपन की जड़ों की तलाश में निकले बच्चे
सालों बाद बड़े हुए कई बच्चों ने अपनी जड़ों की तलाश शुरू की. कुछ ने अपने जन्मस्थान वियतनाम जाकर अपने परिवारों से मिलने की कोशिश की. इस यात्रा ने कई को अपनी पहचान को समझने और अपनाने का अवसर दिया. हालांकि हर किसी को अपने जैविक परिवार को खोजने में सफलता नहीं मिली लेकिन इस यात्रा ने उन्हें अपने जीवन की अधूरी कहानी को पूरा करने में मदद की.