Sheikh Hasina: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को उन्हीं के देश की इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (ICT) ने मानवता के खिलाफ अपराधों का मुजरिम करार दिया है और उन्हें फांसी की सजा सुनाई है. कोर्ट ने पाया है कि शेख हसीना और उनके सहयोगी पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल, जुलाई‑अगस्त 2024 के छात्र‑आंदोलन के दौरान हिंसा और हत्याओं को अंजाम देने में जिम्मेदार थे. इन अपराधों की गंभीरता देखते हुए अभियोजन पक्ष ने उनकी संपत्ति जब्त करने और पीड़ितों के परिवारों को देने की भी मांग की थी.
ट्रिब्यूनल का फैसला लाइव टीवी पर बांग्लादेश टेलीविजन (BTV) और अन्य स्थानों पर दिखाया गया, जबकि सुरक्षा व्यवस्था राजधानी ढाका में पूरी तरह सख्त कर दी गई थी. शेख हसीना वर्तमान में भारत में हैं और उन्होंने अदालत की सुनवाई में हिस्सा नहीं लिया था. इस सबके बीच एक सवाल जहन में गूंज रहा है कि आखिर यह इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल क्या है और अगर यह इंटरनेशनल है तो फिर बांग्लादेश में क्यों है.
बांग्लादेश की कोर्ट है ICT
सबसे पहले तो यह बता दें कि इंटरनेशल क्राइम ट्रिब्यूनल (ICT) कोई अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट नहीं है, बल्कि यह सिर्फ बांग्लादेश का ही एक कोर्ट है. इसका गठन बांग्लादेश में 1971 की जंग के दौरान हुए युद्ध अपराध, नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराध की सुनवाई करने के लिए हुआ था. यह बांग्लादेश की एक अदालत है ना कि कोई अंतरराष्ट्रीय अदालत.
मुजीबुर्रहमान बनाया Crimes (Tribunals) Act
बांग्लादेश ने 1971 में पाकिस्तान से स्वतंत्रता पाई. शेख मुजीबुर रहमान की सरकार ने 1973 में Crimes (Tribunals) Act बनाया. इसका मकसद युद्ध अपराधों का मुकदमा चलाना. हालांकि राजनीतिक अस्थिरता शासन में बदलाव के चलते ट्रिब्यूनल एक्टिव नहीं हो सका. कई सालों तक यह सिर्फ कानून में था और इसकी जमीनी हकीकत कुछ भी नहीं थी.
2010 में हुए ICT का गठन
हालांकि 2010 में शेख हसीना की सरकार में ICT-1 का गठन हुआ. ICT ने कई लोगों को फांसी और जेल की सजा दी. इनमें मुख्य तौर पर वो लोग थे जिन्होंने पाकिस्तान सेना की मदद की या फिर रजाकार और स्थानीय अपराथी थे. हालांकि ICT की तरफ से किए गए फैसले विवादों में बने रहे, बार-बार इसकी निष्पक्षता को लेकर सवाल उठते रहे.
| 1971 | स्वतंत्रता युद्ध | बांग्लादेश पाकिस्तान से स्वतंत्र हुआ। इस दौरान बड़े नरसंहार और युद्ध अपराध हुए. |
| 1973 | कानून का निर्माण | शेख मुजीबुर रहमान की सरकार ने Crimes (Tribunals) Act, 1973 पास किया. उद्देश्य: युद्ध अपराधियों का मुकदमा चलाना. |
| 1973-2010 | लंबा इंतजार | राजनीतिक अस्थिरता और प्रशासनिक कारणों से ट्रिब्यूनल सक्रिय नहीं हुआ. |
| 2010 | ICT-1 ICT-1 | शेख हसीना की सरकार ने ICT-1 की सुनवाई शुरू की. मुख्य आरोपी: पाकिस्तान सेना के सहयोगी, रज़ाकार और स्थानीय अपराधी. |
| 2012 | ICT-2 ICT-2 | ट्रिब्यूनल को विभाजित किया गया ताकि पुराने मुकदमों और नए मुकदमों को अलग-अलग ट्रिब्यूनल से संभाला जा सके। ICT-2 ने युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराधों की सुनवाई शुरू की. |
| 2010–2020 | बड़े मुकदमे और सजा | ICT-1 और ICT-2 ने कई दोषियों को फांसी और जेल की सजा दी. |
| 2024–2025 | नए मुकदमे | अब इसी कोर्ट में शेख हसीना समेत कई लोगों पर मुकदमा चला. |

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