वॉशिंगटन डीसीकुछ ही क्षण पहले
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का दूसरा कार्यकाल शुरू हुए अभी सिर्फ 130 दिन ही हुए हैं। लेकिन उनकी नीतियों को लेकर विवाद और कानूनी चुनौतियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं।
अब तक अमेरिकी अदालतों ने ट्रम्प प्रशासन के कम से कम 180 कार्यकारी आदेशों और नीतियों पर स्थाई या अस्थायी तौर पर रोक लगाई है। साथ ही, ट्रम्प ने खुद 11 प्रमुख फैसलों पर यू-टर्न लेते हुए पलटा है।
रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने जन्मसिद्ध नागरिकता खत्म करने, संघीय कर्मचारियों की सामूहिक बर्खास्तगी और विदेशी सहायता रोकने जैसे आदेशों को अवैध या असंवैधानिक ठहराया है।
वहीं, ट्रम्प ने फेडरल फंडिंग फ्रीज, अंतरराष्ट्रीय छात्र वीजा और टैरिफ नीतियों जैसे फैसलों को कई बार बदला या वापस लिया है।

ट्रम्प प्रशासन के आदेशों के खिलाफ अब तक 250 से अधिक याचिका दायर की जा चुकी है।
ट्रम्प के वो आदेश जिन्हें कोर्ट ने बदला
ट्रम्प ने वॉयस ऑफ अमेरिका को खत्म करने का फैसला लिया था, जिसे कोलोराडो की अदालत ने अवैध ठहराया। पर्यावरण नियमों को कमजोर करने वाले आदेशों को भी कैलिफोर्निया की अदालत ने रोका। वजह- वे क्लीन एयर एक्ट का उल्लंघन करते थे।
वाशिंगटन की अदालत ने गैर अमेरिकियों के लिए मतदान प्रतिबंध को असंवैधानिक माना। अप्रैल 2025 में एक हफ्ते में 11 मुकदमों में ट्रम्प प्रशासन को हार मिली।
ट्रम्प के ट्रांसजेंडर स्वास्थ्य अधिकारों को सीमित करने वाले आदेश को भी न्यूयॉर्क कोर्ट ने भेदभावपूर्ण ठहराते हुए अवैध ठहराया। इसके अलावा ट्रम्प के विदेशी फंडिंग से जुड़े आदेश को भी अदालत ने गलत माना।

इन मामलों में ट्रम्प द्वारा नियुक्त जजों ने भी रोक लगाई।
टैरिफ व बर्थ राइट के फैसले खुद पलटने को मजबूर हुए
ट्रम्प ने जिन नीतियों को बार-बार पलटा उनमें सबसे बड़ा मामला टैरिफ से जुड़ा है। साथ ही प्रवासी बच्चों की बर्थ राइट रोकने का फैसला भी आदेश के कुछ दिनों के भीतर ट्रम्प ने रद्द कर दिया।
डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी के तहत इबोला रोकथाम फंडिंग रद्द हुई, जिसे बाद में फिर बहाल किया गया।
मेक्सिको-कनाडा के साथ व्यापार समझौते को रद्द करने की घोषणा की लेकिन दबाव के बाद इसे स्थगित किया।
चीन में मस्क के कारोबारी हित जुड़े होने के कारण ट्रम्प से टकराव बढ़ा
कभी ट्रम्प के चुनावी अभियान में 2100 करोड़ रुपए का चंदा और खुलेआम समर्थन देने वाले कारोबारी इलॉन मस्क ने ट्रम्प से अलग हाेने का फैसला किया है। इसकी बड़ी वजह मस्क का चीन में कारोबारी हित का जुड़ाव होना है।
मस्क-ट्रम्प की तकरार की शुरुआत मार्च 2025 में पेंटागन की मीटिंग है। दरअसल, मस्क अपने हित साधने काे चीन पर अमेरिका की खुफिया नीति, जिसमें वॉर प्लान तक शामिल हैं की जानकारी चाहते थे। ट्रम्प ने ये साझा करने से मना कर दिया।
बता दें कि मस्क की ऑटोमोबाइल कंपनी टेस्ला चीन पर काफी हद तक निर्भर है। टेस्ला कंपनी के कारों में लगने वाली 40% बैटरी व 25% कलपुर्जे चीन से आते हैं।
2018 में चीन ने पहली विदेशी कंपनी को बिना साझेदार के शंघाई में गीगा फैक्ट्री लगाने दी। यहां टेस्ला की 50% गाड़ियां निर्माण होती हैं।
फरवरी 2025 में शंघाई में दूसरी फैक्ट्री शुरू। यहां हर साल 10 हजार मेगापैक बैटरियां बनती हैं। चीन, टेस्ला मॉडल वाई का दूसरा सबसे बड़ा बाजार है।
टेस्ला चीन के साथ डेटा भी साझा करती है। ट्रम्प प्रशासन इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानता है।
मस्क ने चीन से 11,760 करोड़ रु. का सरकारी कर्ज ले रखा है। ट्रम्प की चीन पर लगाए टैरिफ के चलते अप्रैल तक टेस्ला का मुनाफा 71% गिर गया।