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GAZAP तुर्किए का सबसे शक्तिशाली गैर-परमाणु हवाई बम है, जो 2,000 पाउंड का थर्मोबैरिक हथियार है।
तुर्किए ने अपने सबसे शक्तिशाली GAZAP और NEB-2 घोस्ट बॅाम्ब का सफल परीक्षण किया है। तुर्किए ने 26-27 जुलाई 2025 को इस्तांबुल में आयोजित 17वें इंटरनेशनल डिफेंस इंडस्ट्री फेयर (IDEF) 2025 फेयर में इस बम के टेस्ट का वीडियो जारी किया।
दोनों बम 970 किलोग्राम (लगभग 2,000 पाउंड) वजनी हैं। इसे तुर्किए के रक्षा मंत्रालय के अनुसंधान और विकास (R&D) केंद्र ने डिजाइन किया है। GAZAP थर्मोबैरिक वारहेड से लैस है। ये बम F-16 फाइटर जेट से गिराए जा सकते हैं।
फुटेज से पता चलता है कि यह बम सैकड़ों वर्ग मीटर के क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है। इसमें 10 हजार विशेष कण हैं, जो विस्फोट के बाद 10.6 कण प्रति वर्ग मीटर की दर से फैलते हैं। तुर्किये रक्षा मंत्रालय ने बताया की दोनों बम के सभी परीक्षण पूरे हो चुके हैं, और यह अब उपयोग के लिए तैयार है।
बॅाम्ब टेस्ट की फुटेज...

तुर्किए ने NEB-2 घोस्ट बॅाम्ब का परीक्षण किया है। ये जमीन के नीचे 295 फीट तक हमला तबाही करता है।

तुर्किए ने इंटरनेशनल डिफेंस इंडस्ट्री फेयर फेयर में बम के टेस्ट का वीडियो जारी किया। जिसमें बम ने सटीकता से निशाना साधा।

बमों को बंकरों और मजबूत संरचनाओं को तबाह करने के लिए बनाया गया है।
तुर्किए रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ा रहा
तुर्किए ने हाल के दशकों में अपनी सैन्य तकनीक का तेजी से विकास किया है। अब उसके रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ रहा है।
तुर्किए की रक्षा नीति का लक्ष्य विदेशी निवेशकों पर निर्भरता कम करना और स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देना है। इसके लिए तुर्की ने मिसाइल, बख्तरबंद वाहन, नौसेना जहाज और विमान जैसी तकनीक में बड़े कदम उठाए हैं।
तुर्किए के पास कई मिसाइलें हैं, जिनमें तायफून, सिपर, सापान शामिल हैं। तायफून ब्लॉक-4 तुर्किए की पहली हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसकी रेंज 800 किमी और स्पीड मैक 5 से अधिक है। इसका वजन 2,300 किलोमीटर और लंबाई 6.5 मीटर है।

तुर्किए के बॅाम्ब परीक्षण से भारत पर असर...
भारत और तुर्की के बीच संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, और कूटनीतिक दृष्टिकोण से जटिल और बहुआयामी रहे हैं। दोनों देशों के बीच व्यापारिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान तो हैं, लेकिन कुछ मुद्दों, खासकर तुर्की के पाकिस्तान समर्थन और कश्मीर पर रुख के कारण तनाव भी रहा है।
हालांकि, भारत ने 6 फरवरी 2023 को तुर्किए और सीरिया में आए 7.8 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप के बाद तुर्किए की मदद की थी। इस सहायता को ऑपरेशन दोस्त नाम दिया गया था। भारत ने इस आपदा में अपनी मानवीय प्रतिबद्धता दिखाई, जिसे तुर्किए ने भी सराहा।
तुर्किए-पाकिस्तान खास दोस्त
तुर्किए और पाकिस्तान के बीच मजबूत सैन्य और कूटनीतिक रिश्ते हैं। तुर्किये ने पहले भी पाकिस्तान को बायरेक्टर TB2 ड्रोन, MİLGEM कॉरवेट युद्धपोत समेत कई हथियार सप्लाई किए हैं। PNS बाबर इसका मौजूदा उदाहरण है।
अगर तुर्किए इन बमों (गजप और एनईबी-2) को पाकिस्तान के साथ साझा करता है या निर्यात करता है, तो यह पाकिस्तान की सैन्य क्षमता को बढ़ा सकता है।
तुर्किए का वॅारशिप भारत-पाक संघर्ष के बीच पाकिस्तान पहुंचा था
तुर्किए नौसेना का वॅारशिप TCG बुयुकडा (F-512) पूरे बेड़े के साथ भारत-पाक संघर्ष के समय मई में पाकिस्तान के कराची पोर्ट पर पहुंचा था। हालांकि, पाकिस्तानी नौसेना ने इसे गुडविल विजिट बताया था।
पाकिस्तानी सेना ने कहा था कि इस पोर्ट टूर का मकसद दोनों देशों के बीच समुद्री सहयोग को मजबूत करना है। तुर्किये ने भी इसे तालमेल बढ़ाने वाला कदम बताया।
तुर्किये का वॉरशिप ऐसे समय में कराची पहुंचा था, जब पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की सेनाएं किसी भी कार्रवाई के लिए अलर्ट पर हैं। TCG बुयुकडा एक बैठक के बाद कराची पहुंचा था, जिसमें तुर्किये के राजदूत डॉ. इरफान नेजीरोग्लू ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से एकजुटता का वादा किया था।
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