तेजस्वी को 'बिहार अधिकार यात्रा' क्यों करनी पड़ी, क्या राहुल गांधी से डर गए?

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Last Updated:September 14, 2025, 12:36 IST

Tejashwi Yadav Bihar Adhikar Yatra: राहुल गांधी की 'वोटर अधिकार यात्रा' के बाद अब तेजस्वी यादव 'बिहार अधिकार यात्रा' पर निकलने वाले हैं. क्या राहुल गांधी ने बिहार में कांग्रेस में जान फूंक दी है? और क्या अब तेजस्वी महागठबंधन में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए यह यात्रा कर रहे हैं?

तेजस्वी को 'बिहार अधिकार यात्रा' क्यों करनी पड़ी, क्या राहुल गांधी से डर गए?तेजस्वी यादव मंगलवार से निकलेंगे बिहार अधिकार यात्रा पर.

पटना. बिहार आरजेडी के सीएम फेस और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव क्या कांग्रेस के गेम प्लान में फंस गए हैं? क्या तेजस्वी को सता रहा महागठबंधन में खुद के हाशिये पर जाने का डर? तेजस्वी यादव ने क्यों मंगलवार से ‘बिहार अधिकार यात्रा’ पर निकलने वाले हैं? जबकि, अभी कुछ दिन पहले ही तेजस्वी यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’का समापन हुआ था. 15 दिन पहले राहुल गांधी और महागठबंधन के अन्य नेताओं के साथ वोटर अधिकार यात्रा में निकलने वाले तेजस्वी यादव को अब अकेले यात्रा करने की नौबत क्यों आई? इस यात्रा के पीछे की क्या है इनासाइड स्टोरी? क्या वोटर अधिकार यात्रा से राहुल गांधी ने बिहार कांग्रेस में जान फूंक दी है, जिससे आरजेडी को सीट शेयरिंग में फंसने का डर है? या फिर तेजस्वी यादव अकेले यात्रा कर राहुल गांधी को सख्त मैसेज देने वाले हैं?

बिहार की सियासत में इन दिनों ‘यात्रा’ का मौसम है. एक तरफ जहां तमाम पार्टियां अपनी-अपनी यात्राओं के जरिए जनता से जुड़ने की कोशिश कर रही हैं, वहीं तेजस्वी यादव ने भी अपनी खुद की ‘बिहार अधिकार यात्रा’ का ऐलान कर दिया है. यह फैसला इसलिए भी चौंकाने वाला है, क्योंकि करीब 15 दिन पहले ही उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ ‘वोटर अधिकार यात्रा’ का समापन किया था. सवाल यह है कि जब एक संयुक्त यात्रा सफल रही तो तेजस्वी को अकेले एक और यात्रा करने की जरूरत क्यों पड़ी?

क्यों जरूरी है तेजस्वी के लिए यह यात्रा?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी का यह कदम सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है. वह यह यात्रा किसी और के लिए नहीं, बल्कि अपने ही गठबंधन के सहयोगी कांग्रेस के लिए कर रहे हैं. राहुल गांधी की यात्रा ने बिहार कांग्रेस को एक नई ऊर्जा दी है. पिछले कुछ सालों से हाशिए पर चल रही कांग्रेस अब सीटों के बंटवारे में ज्यादा सीटों की मांग कर सकती है. इस मांग को काउंटर करने के लिए तेजस्वी का यह कदम जरूरी है. वह यह साबित करना चाहते हैं कि आरजेडी आज भी महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी है और वह अकेले ही जनता को अपने पक्ष में कर सकते हैं.

नेतृत्व पर पकड़ मजबूत करना

राहुल गांधी के साथ यात्रा के दौरान तेजस्वी यादव को भी प्रमुखता मिली, लेकिन कांग्रेस के बड़े नेताओं ने भी जनता का ध्यान अपनी तरफ खींचा. ऐसे में तेजस्वी यादव अपनी खुद की यात्रा से यह साबित करना चाहते हैं कि वह महागठबंधन के निर्विवाद नेता हैं और सीएम फेस के रूप में जनता की पहली पसंद हैं. तेजस्वी अपने पिता लालू यादव की तरह जनता से सीधे तौर पर जुड़ना चाहते हैं. लालू भी हमेशा यात्राओं और रैलियों के जरिए लोगों से सीधे जुड़ते थे. तेजस्वी की यह यात्रा लालू की उस विरासत को आगे बढ़ाने का एक प्रयास भी है, जिसमें जनता के साथ सीधा संवाद होता है.

‘वोटर अधिकार यात्रा’ ने कांग्रेस को बिहार में एक नई पहचान दी. इस यात्रा के जरिए कांग्रेस ने यह साबित किया कि वह सिर्फ राजद की बी-टीम नहीं है, बल्कि उसका अपना जनाधार और राजनीतिक कद है. राहुल गांधी ने अपने भाषणों से जनता को यह संदेश दिया कि कांग्रेस बिहार के मुद्दों को लेकर गंभीर है. यह एक ऐसी स्थिति है जो राजद के लिए चुनौती बन गई है. राजद हमेशा से ही महागठबंधन में खुद को सबसे बड़ी पार्टी मानता रहा है और इसी आधार पर वह सीटों के बंटवारे पर अपनी शर्तें रखता है. लेकिन अब कांग्रेस मजबूत होकर अपनी शर्तें रख सकती है. यह स्थिति तेजस्वी यादव को असहज कर रही है. यही वजह है कि वह अपनी यात्रा से यह साबित करना चाहते हैं कि असली जनाधार आज भी राजद के पास है.

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First Published :

September 14, 2025, 12:36 IST

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तेजस्वी को 'बिहार अधिकार यात्रा' क्यों करनी पड़ी, क्या राहुल गांधी से डर गए?

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