Trump Vs EU: यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की और अमेरिकी प्रेसिडेंट ट्रंप के बीच बहस हुई. जिसके बाद दुनिया के समीकरण एकदम से बदल गए. क्योंकि कल तक जो ब्रिटेन, अमेरिका के साथ था उसने जेलेंस्की को न सिर्फ लगे लगाया बल्कि भारी भरकम मदद का भरोसा देकर करोड़ों डॉलर भी दिए. ब्रिटेन के साथ साथ फ्रांस भी यूक्रेन के सपोर्ट में उतर आया है. ऐसे में सवाल है कि क्या अब ट्रंप, यूरोपीय ताकतों से दुश्मनी मोल लेंगे.
ट्रंप ने जेलेंस्की को हड़काते हुए कहा था कि आप लाखों लोगों के साथ खेल रहे हैं. आप चाहते हैं कि तीसरा विश्वयुद्ध हो जाए. तो मुंह लटकाए जेलेंस्की यूरोपीय देशों की शरण में पहुंचे. यूरोप की बड़ी ताकतों ने जिस तरह से जेलेंस्की का वेलकम किया, उससे ट्रंप का पारा हाई होना तय है.
ऐसे में सवाल है कि
- क्या जेलेंस्की की जिद के चलते अमेरिका और यूरोप अब आमने-सामने आ सकते हैं.
-क्या जेलेंस्की और ट्रंप के बीच हुई बहस के चलते यूरोपीय देशों का बुरा वक्त शुरू होने वाला है..
और क्या अब यूरोप से दुश्मनी मोल ले सकते हैं ट्रंप?
ऐसा कहने की एक नहीं....दो नहीं...तीन बड़ी वजह है
पहली वजह - ब्रिटेन का जेलेंस्की को मदद का ऐलान
दूसरी वजह - फ्रांस का यूक्रेन के साथ खड़े होना
तीसरी वजह - जर्मनी का यूक्रेन का समर्थन करना
मतलब कल तक जो यूरोपीय देश अमेरिका के आगे नतमस्तक थे. वो आज जेलेंस्की और यूक्रेन को लेकर ट्रंप के खिलाफ खड़े होने की हिमाकत कर रहे हैं. इसकी शुरुआत की है ब्रिटेन ने. ट्रंप से मुलाकात के बाद जेलेंस्की सबसे पहले ब्रिटेन भी पहुंचे थे. जिस उम्मीद से जेलेंस्की ने लंदन में कदम रखा. उससे आगे बढ़कर ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर ने जेलेंस्की का न सिर्फ वेलकम किया, बल्कि जंग लड़ने के लिए भारी भरकम मदद का ऐलान कर एक तरह से ट्रंप को चिढ़ाने की कोशिश की है.
ब्रिटेन ने यूक्रेन को 14 हजार करोड़ रुपये की मदद देने का भरोसा दिया है.
इस पैसे से यूक्रेन 5000 एयर डिफेंस मिसाइलें खरीद सकता है.
मतलब अभी तक अमेरिका के दम पर पुतिन से पंगा लेने वाले जेलेंस्की अब यूरोप के दम पर जंग को जारी रखना चाहते हैं. क्योंकि ब्रिटेन के बाद एक और यूरोपीय देश भी जेलेंस्की के झांसे में आ गया है. ये मुल्क है फ्रांस- जिसने मिलकर युद्ध विराम की रणनीति बनाने का भरोसा जेलेंस्की को दिया है. जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज भी दबी जुबान में जेलेंस्की को मदद देने का ऐलान करते नजर आए हैं. हालांकि यूक्रेन के मुद्दे पर यूरोपीय यूनियन में भी दो फाड़ है. स्लोवाकिया ने यूक्रेन को मदद देने से इनकार कर दिया. हंगरी ने भी ट्रंप को मजबूत राष्ट्रपति बताकर साफ कर दिया कि वो जंग में जेलेंस्की के साथ नहीं है.
ऐसे में अगर यूरोप की बड़ी ताकतों ने ट्रंप से दुश्मनी मोल ली. और जेलेंस्की को मदद देकर जंग में उतरने की गलती की तो ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के लिए हालात ऐसे होंगे कि एक तरफ कुआ तो दूसरी तरफ खाई यानी एक तरफ पुतिन तो दूसरी तरफ ट्रंप मुश्किल खड़ी कर देंगे.
नैरेटिव ये है कि हम आबादी में अमेरिका से यूरोप ज्यादा है. हम मिलकर बहुत बड़ी शक्ति हैं तो हम अमेरिका से क्यों झुके.