दबाव, तबादले, संघर्ष, चुनौतियां.. क्या IAS अफसर बनना आसान है?

1 month ago

Last Updated:March 02, 2025, 12:37 IST

IAS Job Profile: आईएएस अफसर बनना आसान नहीं है. यह देश की टॉप लेवल की सरकारी नौकरी है. आईएएस अफसर बनने के लिए यूपीएससी परीक्षा पास करना जरूरी है. लेकिन चुनौती सिर्फ यही नहीं. आईएएस अफसर की असली चुनौतियां तो ट्रे...और पढ़ें

दबाव, तबादले, संघर्ष, चुनौतियां.. क्या IAS अफसर बनना आसान है?

IAS Job Profile: आईएएस अफसरों की जिंदगी काफी चैलेंजिंग होती है

हाइलाइट्स

आईएएस अफसर बनना बेहद चुनौतीपूर्ण है.ट्रेनिंग के बाद असली चुनौतियां शुरू होती हैं.राजनीतिक दबाव और तबादले आम हैं.

नई दिल्ली (IAS Job Profile). आईएएस का फुल फॉर्म भारतीय प्रशासनिक सेवा है. यह अखिल भारतीय सिविल सेवा में शामिल है. आईएएस अफसर बनने के लिए दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में शामिल, यूपीएससी परीक्षा पास करना जरूरी है. यूपीएससी सीएसई की टॉप रैंक में नाम आने पर आईएएस अफसर बन सकते हैं. इसके बाद मसूरी स्थित आईएएस ट्रेनिंग सेंटर यानी LBSNAA जाकर ट्रेनिंग लेनी होती है. फिर शुरू होती हैं सरकारी नौकरी की चुनौतियां (Central Govt Jobs).

आईएएस अधिकारी बनना काफी सम्मानजनक और प्रतिष्ठित करियर ऑप्शन है. लेकिन इसके साथ कई तरह की चुनौतियां जुड़ी हुई हैं. आईएएस अफसर पब्लिक और पॉलिटिक्स के बीच बैलेंस बनाते हैं. इनका सामना आम लोगों से होता है तो नेताओं से तकरार भी. कई बार मामला बढ़ जाने पर इनका तबादला कर दिया जाता है, कभी गुंडों-माफिया से धमकियां मिलती हैं तो कभी कोई और चुनौती सामने आ जाती है. जानिए आईएएस अफसर का पूरा वर्क प्रोफाइल (IAS Work Profile).

1. उच्च कार्यभार और दबाव

लॉन्ग वर्किंग आवर्स: आईएएस अफसरों को अक्सर दिन-रात काम करना पड़ता है. इनके काम के घंटे निर्धारित नहीं होते हैं. प्राकृतिक आपदा, दंगे, त्योहार या बड़े आयोजनों के दौरान इनका काम बढ़ जाता है. निर्णय जल्दी लेने का स्ट्रेस: कई बार तत्काल और प्रभावी निर्णय लेने की जरूरत होती है. इसके लिए गहन विश्लेषण और जिम्मेदारी की भावना चाहिए. गलत निर्णय से जनता और सरकार, दोनों पर असर पड़ सकता है. मल्टीटास्किंग: एक ही समय में कई विभाग (जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, कानून-व्यवस्था) संभालने पड़ते हैं.

2. राजनीतिक दबाव

राजनेताओं का हस्तक्षेप: आईएएस अधिकारियों को अक्सर स्थानीय या राज्य स्तर के नेताओं के दबाव का सामना करना पड़ता है, जो नीतियों को लागू करने में बाधा डाल सकता है. नैतिक दुविधा: कई बार उन्हें ऐसे फैसले लेने पड़ते हैं जो उनकी व्यक्तिगत नैतिकता से मेल नहीं खाते. लेकिन प्रशासनिक या राजनीतिक मजबूरी के कारण उन पर अमल करना जरूरी हो जाता है.

3. सामाजिक अपेक्षाएं और आलोचना

जनता की उम्मीदें: आम जनता आईएएस अधिकारियों से हर समस्या का समाधान तुरंत चाहती है. लेकिन यह हमेशा संभव नहीं हो पाता है. इससे असंतोष और आलोचना बढ़ती है. भ्रष्टाचार के आरोप: आईएएस अधिकारी चाहे कितना भी ईमानदार हो, लेकिन व्यवस्था में कोई भी करप्शन होने की स्थिति में उन पर भी संदेह किया जाता है. सुरक्षा जोखिम: कुछ क्षेत्रों में (जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में), कानून-व्यवस्था बनाने के दौरान उनकी जान को भी खतरा हो सकता है.

4. ट्रेनिंग और क्षेत्रीय चुनौतियां

ग्रामीण क्षेत्रों में पोस्टिंग: आईएएस अफसर को शुरुआती वर्षों में अक्सर दूरदराज और अविकसित क्षेत्रों में पोस्टिंग मिलती है, जहां बुनियादी सुविधाओं (बिजली, पानी, स्वास्थ्य) की कमी होती है. स्थानीय भाषा और संस्कृति: जिस राज्य में आईएएस अफसर की तैनाती होती है, वहां की भाषा और परंपराओं को समझना और अपनाना एक चुनौती हो सकता है.

5. व्यक्तिगत जीवन पर प्रभाव

परिवार से दूरी: लगातार व्यस्त रहने और बार-बार तबादलों के कारण परिवार के साथ समय बिताना मुश्किल हो जाता है. तनाव और मानसिक स्वास्थ्य: निरंतर दबाव और जिम्मेदारियों के कारण तनाव, चिंता और बर्नआउट की समस्याएं होना आम है. सामाजिक अलगाव: लगातार काम और तबादलों के कारण सामाजिक जीवन सीमित हो जाता है.

6. भ्रष्टाचार और नौकरशाही की जटिलता

प्रणालीगत बाधाएं (Systemic Barriers): नौकरशाही की पुरानी और जटिल प्रक्रियाएं नीतियों को लागू करने में देरी का कारण बनती हैं. ईमानदारी बनाए रखना: भ्रष्टाचार से भरी व्यवस्था में आईएएस अफसर का ईमानदार रहना और सुधार लाना किसी चुनौती से कम नहीं है.

7. संसाधनों की कमी

सीमित बजट और स्टाफ: कई बार सरकारी योजनाओं को लागू करने के लिए पर्याप्त संसाधन या कर्मचारी नहीं मिलते हैं, जिससे काम प्रभावित होता है. बुनियादी ढांचे की कमी: खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क, बिजली और इंटरनेट जैसी सुविधाओं की कमी कार्यक्षमता को कम करती है.

उदाहरण:

आर्मस्ट्रांग पेम (Armstrong Pame IAS): मणिपुर कैडर के आईएएस आर्मस्ट्रांग पेम को ‘मिरेकल मैन’ कहा जाता है. उन्होंने अपनी पहली पोस्टिंग में सड़क बनवाने के लिए स्थानीय लोगों के साथ मिलकर काम किया, लेकिन संसाधनों की कमी और राजनीतिक दबाव का सामना करना पड़ा. दुर्गा शक्ति नागपाल (Durga Shakti Nagpal): उत्तर प्रदेश में अवैध रेत खनन के खिलाफ कार्रवाई के लिए जानी गईं, लेकिन राजनीतिक दबाव के कारण उनका तबादला कर दिया गया था.

First Published :

March 02, 2025, 12:37 IST

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