Last Updated:November 22, 2025, 09:09 IST
Delhi Noise Barrier: दिल्ली में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण को लेकर वैज्ञानिकों ने ऐसा समाधान पेश किया है, जो लागू होते ही न सिर्फ शहर के लोगों की सेहत में भारी सुधार ला सकता है, बल्कि अरबों-खरबों की बचत भी कर सकता है. जानें क्या है यह प्लान...
ध्वनि प्रदूषण से प्रभावित हर 1,000 लोगों पर हर साल 5.5 करोड़ रुपये तक की स्वास्थ्य बचत संभव है.राजधानी दिल्ली में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण को लेकर वैज्ञानिकों ने ऐसा समाधान प्रस्तावित किया है, जो लागू होते ही न सिर्फ शहर के लोगों की सेहत में भारी सुधार ला सकता है, बल्कि अरबों-खरबों की बचत भी कर सकता है. CSIR की नई स्टडी के मुताबिक दिल्ली में फ्लाईओवरों और हाईवे के किनारे नॉइज़ बैरियर्स लगाए गए तो ध्वनि प्रदूषण से प्रभावित हर 1,000 लोगों पर हर साल 5.5 करोड़ रुपये तक की स्वास्थ्य बचत संभव है. दिल्ली की कुल आबादी करीब 3.38 करोड़ है और इसी लिहाज से देखें तो इस कदम से सालाना 1,85,900 करोड़ रुपये तक की बचत बैठे-बैठे हो सकती है.
यह अध्ययन शुक्रवार को CSIR-CRRI की ओर से आयोजित एक कॉन्फ्रेंस में प्रस्तुत किया गया, जहां लगातार बढ़ते ट्रैफिक शोर पर रोक के समाधान पर चर्चा हुई. विशेषज्ञों ने बताया कि वायु और ध्वनि प्रदूषण दोनों ही दिल्ली में एक साथ गंभीर स्वास्थ्य संकट पैदा कर रहे हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, CSIR-CRRI के निदेशक प्रो. मनोरंजन परिदा कहते हैं कि द्वारका एक्सप्रेसवे पर नॉइज़ बैरियर्स लगाए जाने के बाद सकारात्मक प्रभाव दिखाई दिए, इसलिए इन्हें वसंत विहार फ्लाईओवर, AIIMS फ्लाईओवर और बड़ी सड़कों के किनारे भी स्थापित किया जाना चाहिए.
रिपोर्ट के मुताबिक, यह स्टडी पेश करने वाले वैज्ञानिक डॉ. नसीम अख्तर ने बताया कि तेज़ शोर का लंबे समय तक सामना करने से कई खतरनाक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ जाती हैं, जैसे नींद में बाधा, तनाव, हार्मोनल असंतुलन, दिल का दौरा, स्ट्रोक, डिमेंशिया और मानसिक अस्थिरता. उनका दावा है कि अगर शोर का असर तीन से पांच पीढ़ियों तक जारी रहा तो आनुवंशिक बीमारियों की संभावना भी बढ़ सकती है. वहीं नॉइज़ बैरियर्स लगाने से शोर में 10 से 19 डेसीबल तक कमी आती है, जो सेहत बचाने के लिए पर्याप्त मानी जाती है.
वैज्ञानिकों का सुझाव है कि तीन से पांच मीटर ऊंचे नॉइज़ बैरियर्स मुख्य हाईवे और खास तौर से रिहायशी इलाकों के पास लगाए जाएं, ताकि वहां रहने वाले लोगों को सबसे अधिक राहत मिले. इसके साथ ही घरों में डबल-ग्लेज़्ड विंडो लगाने और निर्धारित सीमा से अधिक शोर करने वाले वाहनों पर जुर्माना लगाने की सिफारिश भी की गई है. प्रशासनिक एजेंसियों के स्टाफ के लिए शोर की माप और नियंत्रण पर वर्कशॉप कराने की भी बात कही गई है.
कॉन्फ्रेंस में पेश एक अन्य अध्ययन में यह खुलासा हुआ कि दिल्ली के 14 क्षेत्रों में रेलवे लाइनों के पास रहने वाले लोग लगातार 90 डेसीबल तक शोर का सामना कर रहे हैं, जिसमें सबसे अधिक नुकसान डीजल इंजन वाली ट्रेनों से हो रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक शोर को उसके स्रोत पर नियंत्रित नहीं किया जाएगा, तब तक समस्या पूरी तरह खत्म नहीं होगी.
पूरे शोध का सार यही है कि दिल्ली में नॉइज़ बैरियर्स लगाए जाने से करोड़ों लोगों को राहत मिलेगी और बिना कुछ किए स्वास्थ्य पर होने वाला बोझ घटने के कारण लगभग 1,85,900 करोड़ रुपये की सालाना बचत हो सकती है. इस प्लान को लागू करने के लिए सरकार की मंजूरी और समन्वित कार्यनीति की जरूरत है, लेकिन अगर यह कदम उठाया गया तो दिल्लीवालों को बैठे-बैठे सबसे बड़ा फायदा मिल सकता है… पैसा भी बचेगा और सेहत भी सुधरेगी.
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
November 22, 2025, 09:09 IST

34 minutes ago
