दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 13 भारत में, जानिए टॉप पर किसका नाम?

1 month ago

Last Updated:March 11, 2025, 06:06 IST

Delhi Most Polluted Capital: भारत के 13 शहर दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हैं. इसमें मेघालय का बर्नीहाट सबसे ऊपर है. दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बनी हुई है. PM2.5 प्रदूषण स्वास्थ्य के लि...और पढ़ें

दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 13 भारत में, जानिए टॉप पर किसका नाम?

भारत के 13 शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल: रिपोर्ट

हाइलाइट्स

भारत के 13 शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हैं.दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बनी हुई है.PM2.5 प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है.

नई दिल्ली: दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित शहर भारत में ही हैं. चाहे दुनिया का मोस्ट पॉलुटेड सिटी हो या कैपिटल, दोनों यही हैं. जी हां, दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 13 भारत में हैं. मेघालय का बर्नीहाट इस लिस्ट में सबसे ऊपर है. दुनिया की सबसे अधिक प्रदूषित राजधानी का शर्मनाक खिताब अब भी दिल्ली के पास ही है. मंगलवार को प्रकाशित एक नई रिपोर्ट में ये चौंकाने वाला खुलासा हुआ.

स्विस एयर क्वालिटी टेक्नोलॉजी कंपनी IQAir की ‘वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट 2024’ के मुताबिक, दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बनी हुई है. वहीं, 2024 में भारत दुनिया का पांचवां सबसे प्रदूषित देश रहा. 2023 में भारत इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर था.

रिपोर्ट में क्या है
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024 में भारत में PM2.5 की मात्रा में 7 प्रतिशत की गिरावट देखी गई. 2024 में यह औसतन 50.6 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रही, जबकि 2023 में यह 54.4 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर थी. फिर भी, दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में से छह भारत में हैं. दिल्ली में लगातार प्रदूषण का स्तर ऊंचा दर्ज किया गया. यहां सालाना औसत PM2.5 की मात्रा 91.6 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रही. जो कि 2023 के 92.7 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के आंकड़े के मुकाबले लगभग अपरिवर्तित है.

दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल 13 भारतीय शहर हैं- बर्नीहाट, दिल्ली, मुल्लांपुर (पंजाब), फरीदाबाद, लोनी, नई दिल्ली, गुरुग्राम, गंगानगर, ग्रेटर नोएडा, भिवाड़ी, मुजफ्फरनगर, हनुमानगढ़ और नोएडा.

भारत में वायु प्रदूषण गंभीर खतरा
कुल मिलाकर, 35 प्रतिशत भारतीय शहरों ने सालाना PM2.5 का स्तर WHO की 5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर की सीमा से 10 गुना अधिक दर्ज किया. भारत में वायु प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा बना हुआ है, जिससे अनुमानित जीवन प्रत्याशा 5.2 वर्ष कम हो जाती है. पिछले साल प्रकाशित लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ स्टडी के अनुसार, 2009 से 2019 तक हर साल भारत में लगभग 15 लाख मौतें PM2.5 प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क में रहने से हुईं.

क्या है पीएम 2.5
PM2.5 हवा में मौजूद 2.5 माइक्रोन से छोटे सूक्ष्म प्रदूषण कणों को कहते हैं. ये कण फेफड़ों और रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे सांस लेने में तकलीफ, हृदय रोग और यहां तक कि कैंसर भी हो सकता है. इसके स्रोतों में वाहनों से निकलने वाला धुआं, औद्योगिक उत्सर्जन और लकड़ी या फसल अवशेषों का जलना शामिल है.

सौम्या स्वामीनाथन ने क्या सुझाव दिए
WHO की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक और स्वास्थ्य मंत्रालय की सलाहकार सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि भारत ने वायु गुणवत्ता डेटा संग्रह में प्रगति की है. लेकिन यहां इसको लेकर पर्याप्त कार्रवाई का अभाव है. उन्होंने पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा, ‘हमारे पास डेटा है, अब हमें एक्शन लेने की जरूरत है. कुछ उपाय आसान हैं जैसे बायोमास को एलपीजी से बदलना. भारत के पास इसके लिए पहले से ही एक योजना है, लेकिन हमें अतिरिक्त सिलेंडरों पर सब्सिडी देनी चाहिए. पहला सिलेंडर मुफ्त है, लेकिन सबसे गरीब परिवारों, खासकर महिलाओं को ज्यादा सब्सिडी मिलनी चाहिए. इससे उनके स्वास्थ्य में सुधार होगा और बाहरी वायु प्रदूषण कम होगा.’

आईसीएमआर की पूर्व चीफ का सुझाव
उन्होंने कहा कि शहरों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का विस्तार और कुछ खास कारों पर जुर्माना लगाने से मदद मिल सकती है. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि इसके लिए प्रोत्साहन और जुर्माने का मिला-जुला तरीका जरूरी है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की पूर्व महानिदेशक ने कहा कि उत्सर्जन कानूनों का सख्ती से पालन कराना बेहद जरूरी है. उद्योगों और निर्माण स्थलों को नियमों का पालन करना चाहिए और शॉर्टकट अपनाने के बजाय उत्सर्जन में कटौती के लिए उपकरण लगाने चाहिए.

Location :

Delhi,Delhi,Delhi

First Published :

March 11, 2025, 06:06 IST

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