दुनिया में कौन पहले आया कुत्ता या आदमी,क्या सच में डॉग्स की जमीनें हथियाई गईं

7 hours ago

डॉग लवर्स जब प्रदर्शन करते हैं तो ये तर्क भी देते हैं कुत्ते इस दुनिया में पहले आए, उनकी जमीनें मनुष्य ने हथिया लीं. जानते हैं मानव इतिहास इस बारे में क्या कहता है. क्या वाकई ऐसा है. इसे लेकर कई वैज्ञानिक शोध हुए. वैसे डॉग्स आज से नहीं हजारों सालों से मनुष्य के साथी बने हुए हैं.

ये एक बहुत रोचक सवाल है. हालांकि ये सवाल इतना सीधा भी नहीं है, इसमें कुछ घुमाव जरूर है लेकिन इसका सीधा सा जवाब ये भी है कि मनुष्यों से करोड़ों साल पहले कुत्तों के पूर्वज यानि भेड़िये पृथ्वी पर आ चुके थे. अब आइए इस बारे में

दरअसल ये सवाल आज से नहीं बरसों से उठता रहा है. ये सवाल वैज्ञानिक शोध और आनुवंशिक अध्ययनों का भी महत्वपूर्ण विषय रहा है. वैज्ञानिक सबूत बहुत साफ साफ कहते हैं कि कुत्तों के पूर्वज (भेड़िये) मनुष्यों से करोड़ों साल पहले से पृथ्वी पर अस्तित्व में थे.

अमेरिकन म्युजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के पेलियोन्टोलॉजी विभाग के अध्ययन इसकी पुष्टि करते हैं.जीवाश्म अभिलेख और आनुवंशिक अध्ययन बताते हैं कि कुत्तों के पूर्वज करीब 4-6 करोड़ साल पहले पृथ्वी पर थे. रिसर्च कहती है कि आधुनिक भूरे भेड़िये, जिनसे सभी कुत्तों का जन्म हुआ, वो करीब 8 लाख से 10 लाख साल पहले प्लेइस्तोसिन युग में विकसित हुए. नेचर और साइंस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन भी इसकी तसदीक करते हैं.

…तो कौन धरती पर पहले आया

होमो सेपियन्स को आधुनिक मानव के जन्म के साथ जोड़कर देखते हैं. जीवाश्म और DNA सबूत बताते हैं कि आधुनिक मनुष्य का उदय अफ्रीका में लगभग तीन लाख साल पहले हुआ. हालांकि इससे पहले उससे पहले हमारे पूर्वज (जैसे होमो इरेक्टस) लगभग 20 लाख साल पहले से exist कर रहे थे. सेल जर्नल में 2016 में प्रकाशित एक अधययन कहता है कि कुत्तों का पालतूकरण लगभग 20,000 से 40,000 साल पहले हुआ था.

वर्ष 2020 में जर्मनी के एक जीवाश्म स्थल से मिले एक कुत्ते के जीवाश्म का अध्ययन किया गया. पता चला कि यह कुत्ता लगभग 14,000 साल पहले मनुष्यों के साथ रहता था और उसका आहार मनुष्यों जैसा था. यह पालतूकरण का एक ठोस सबूत है.

भेड़ियों से ही पालतू कुत्ते

कुत्ते वास्तव में भेड़ियों की एक उप-प्रजाति हैं. उनका विकास मनुष्यों से काफी पहले हो गया था. भेड़ियों के सबसे पुराने पूर्वज हेस्परोसियओन करीब 4 करोड़ साल पहले पृथ्वी पर घूम रहे थे. भेड़िया एक जंगली जानवर है. पालतू कुत्ता वह भेड़िया है जिसका मनुष्यों ने हज़ारों साल पहले पालतूकरण कर लिया. इस प्रक्रिया में भेड़िये धीरे-धीरे कुत्तों में बदल गए.

क्या ये सही है मनुष्यों ने कुत्तों की जमीन हथिया ली

दरअसल इसका सीधा सा जवाब है ही नहीं. डॉग लवर्स आमतौर पर इस तर्क को सही ठहराते हैं. मनुष्यों ने जब शहर, कस्बे, खेत और सड़कें बनाईं, तब इस प्रक्रिया में जंगलों का सफाया हुआ, जो भेड़ियों और अन्य जानवरों का प्राकृतिक आवास था. इस हिसाब से तो बेशक हमने उनकी ज़मीन और संसाधनों पर कब्ज़ा कर लिया.

मनुष्यों के फैलाव ने प्राकृतिक पर्यावरण को बदल दिया, जिससे बहुत से जानवरों की प्रजातियाँ या तो विलुप्त हो गईं या उनके रहने की जगह सिमट गई. कुत्तों के पूर्वज (भेड़िये) भी इसके शिकार हुए. हालांकि पालतू बनाने की प्रक्रिया में मनुष्य ने कुत्ते के प्रजनन, भोजन और जीवन पर पूरा ही कंट्रोल कर लिया.

दूसरा दृष्टिकोण कहता है कि बात जमीन हथियाने की है ही नहीं. ये सहयोग और आपसी फायदे की कहानी है. भेड़ियों के एक समूह ने मानव बस्तियों के आस-पास रहना शुरू किया, क्योंकि उन्हें भोजन के अवशेष आसानी से मिल जाते थे. बदले में उन्होंने मनुष्यों को शिकार में मदद की, खतरों की चेतावनी दी और कीटों को दूर रखा. वैसे ये दीगर है कि अगर मनुष्यों के फैलाव ने जंगली जानवरों के आवास पर कब्जा कर लिया तो कुत्तों ने भी मनुष्यों के साथ रहकर अपने अस्तित्व और प्रसार को बेहतर बनाया. दोनों ने एक दूसरे के साथ खुद को ढाला.

इस तरह कुत्ते और मनुष्य साथी बन गए

रिसर्च कहती हैं कि प्राचीन मनुष्य और भेड़िए दोनों शिकारी थे. अक्सर एक ही शिकार का पीछा करते थे. कुछ भेड़िए, जो कम आक्रामक और अधिक जिज्ञासु थे, मनुष्यों के शिविरों के करीब आने लगे, जहां वे बचे-खुचे भोजन जैसे हड्डियां या मांस खा सकते थे. बदले में, ये भेड़िए मनुष्यों को शिकार में मदद या बाहरी खतरों से चेतावनी देकर लाभ पहुंचाने लगे.

भेड़ियों की तीव्र इंद्रियों और शिकारी स्वभाव ने उन्हें मनुष्यों के लिए उपयोगी साथी बनाया. मनुष्यों ने देखा कि ये भेड़िए शिकार का पता लगाने, उसका पीछा करने और शिविरों की रक्षा करने में मदद कर सकते हैं. इससे दोनों के बीच एक सहयोगी संबंध विकसित हुआ.

भेड़ियों से कैसे बनीं कुत्तों की नस्लें

भेड़िए भी सामाजिक प्राणी हैं, झुंड में रहते हैं. कुछ भेड़ियों ने मनुष्यों के समूहों को अपने झुंड की तरह देखा. उनके साथ सामाजिक बंधन बनाना शुरू किया. मनुष्यों ने भी इन भेड़ियों को अपने समुदाय का हिस्सा मानना शुरू कर दिया.

समय के साथ मनुष्यों ने उन भेड़ियों को प्राथमिकता दी जो अधिक विनम्र, कम आक्रामक और मनुष्यों के प्रति वफादार थे. इन भेड़ियों को प्रजनन के लिए चुना गया, जिससे धीरे-धीरे उनकी संतानें और अधिक पालतू हो गईं। यह प्रक्रिया हजारों साल तक चली, जिसके परिणामस्वरूप आधुनिक कुत्तों की विभिन्न नस्लें विकसित हुईं.

भेड़ियों का पालतूकरण इस बदलाव में उपयोगी साबित हुआ, क्योंकि वे न केवल शिकार में मदद करते थे, बल्कि बस्तियों की रक्षा और पशुधन की देखभाल में भी सहायक थे.

अगर दुनिया से आवारा कुत्ते गायब हो जाएं तो…

दुनिया में लाखों की संख्या में आवारा कुत्ते हैं. ये कुत्ते शहरी और ग्रामीण इलाकों में छोटे चूहे, खरगोश और कीटों की आबादी को कंट्रोल करते हैं. उनके गायब होने से इन सब जानवरों की आबादी अचानक बढ़ जाएगी, जिससे फसलों को नुकसान और बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ेगा.

आवारा कुत्ते प्रकृति के सफाईकर्मी की भूमिका निभाते हैं. वे कचरे, मरे हुए जानवरों आदि को खाकर पर्यावरण को साफ रखने में मदद करते हैं. उनके बिना कचरा और डिकंपोजिशन की प्रक्रिया प्रभावित होगी.

पेट केयर इंडस्ट्री (वेटरनरी डॉक्टर, पेट फूड, पेट एक्सेसरीज, ग्रूमिंग सैलून) अरबों डॉलर का उद्योग है। यह पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा, जिससे लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे।

कुत्तों का उपयोग सुरक्षा गार्ड के रूप में, पुलिस (K-9 यूनिट), सेना, और एयरपोर्ट सुरक्षा में किया जाता है. इन सभी क्षेत्रों में सुरक्षा और कार्यकुशलता में भारी कमी आएगी. इनकी जगह लेने के लिए और अधिक मानवबल और महंगी तकनीक की जरूरत पड़ेगी.

कुत्ते लाखों-करोड़ों लोगों के लिए सिर्फ एक जानवर नहीं, बल्कि परिवार का सदस्य और भावनात्मक सहारा हैं. उनके अचानक गायब होने से लोगों में दुख, अकेलापन, डिप्रेशन और चिंता जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ेंगी.

कुत्तों पर कैंसर, आनुवंशिक बीमारियों और शल्य चिकित्सा के महत्वपूर्ण शोध होते हैं क्योंकि उनकी शारीरिक बनावट और कुछ बीमारियां इंसानों से मिलती-जुलती हैं. यह शोध बुरी तरह प्रभावित होगा.

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